ब्यूरोक्रेट के ‘‘चक्रव्यूह’ में फंसे केजरीवाल

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Published on : 12 Apr, 18 07:04

शीर्ष नौकरशाह के साथ रिटार्यड आईएएस अधिकारी हुए लामबंद

ब्यूरोक्रेट के ‘‘चक्रव्यूह’ में फंसे केजरीवाल नौकरशाही द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बैठकों के बहिष्कार का मामला लगातार तूल पकड़े हुए है। मुख्यमंत्री की बैठक से अधिकारियों की अनुपस्थिति का सिलसिला जारी है, एक भी अधिकारी 20 फरवरी से अबतक मुख्यमंत्री या किसी भी मंत्री की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। नौकरशाही द्वारा लगातार जारी बहिष्कार में युवा आईएएस अति सक्रिय दिख रहे हैं। सभी फ्रेशर एसोसिएशन की बैठक में कड़े तर्क पेश करते हैं। बैठकों में युवा आईएएस ठोस तरीके से बात रख रहे हैं व उनके विरोध का स्वर ज्यादा उग्र है। वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से किसी भी कीमत पर समझौता न करने की दलील देते हैं। युवा अधिकारी तर्क देते हैं कि सम्मान सवरेपरि है इसलिए मुख्यमंत्री से समझौता न किया जाए। दिल्ली सरकार के वरिष्ठ नौकरशाह ऊपरी तौर पर शांत दिखते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री की बैठकों से गायब रहने का उनका इरादा काफी ठोस है। आईएएस एसोसिएशन की शर्त है कि मुख्यमंत्री लिखित व सार्वजनिक माफी मांगें। इस संदर्भ में आईएएस अधिकारियों का कहना है कि यह समझौते की न्यूनतम शर्त है जिसपर कोई समझौता संभव नहीं है। नौकरशाहों द्वारा मुख्यमंत्री के बैठकों की अनुपस्थिति के कारण अब किसी भी विषय पर मौखिक निर्देश का कोई मतलब ही नहीं बनता है, इसलिए मुख्यमंत्री कार्यालय विभागों को लिखित निर्देश भेज रहा है जिसमें फाइल पर काम पूरा करने की समयसीमा भी तय की जा रही है, लेकिन इससे वरिष्ठ अधिकारी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश व तय समयसीमा का पालन करते हुए वे फाइल वापस मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज देते हैं, लेकिन उनके तेवर कड़े हैं । सचिव व प्रधान सचिव स्तर के अधिकारी तकनीकी कुशलता के साथ फाइलों पर काम कर रहे हैं। दिल्ली सरकार से लंबे काम के बाद सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी भी शीर्ष अधिकारियों को इस सम्मान की लड़ाई में भरपूर सहयोग कर रहे हैं। युवा आईएएस अधिकारी व वरिष्ठ अधिकारियों के बाद यह तीसरा स्तर भी काफी सक्रिय है व उनके पास तीस वर्ष से ज्यादा काम करने का कार्यानुभव भी है। ये रिटार्यड अधिकारी जमकर मोर्चा संभाल रहे हैं। लिहाजा दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास अधिकारी वर्ग से ताल मेल बिठाने की कड़ी चुनौती है।
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