काला कानून वापस लेना लोकतंत्र की विजय

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Published on : 21 Feb, 18 10:02

उदयपुर। राजस्थान विधानसभा में प्रस्तुत किये गये लोक सेवक संरक्षण संबंधी विधेयक के मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा वापस लेने पर जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जार), उदयपुर ने प्रसन्नता जताई है। जार के जिलाध्यक्ष डॉ. तुक्तक भानावत ने बताया कि इस कानून के खिलाफ जार ने बढचढकर भाग लिया था और सरकार को काला कानून वापस लेने को मजबूर किया।
उन्होंने कहा कि इसके तहत गत दिनों जिला कलेक्टर महोदय को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन प्रस्तुत किया था। ज्ञापन में बताया गया कि यह विधेयक प्रदेश के अध्याय में काला कानून है तथा यह लोकतंत्र के लिए खतरा भी है। इस विधेयक से न केवल लोकतंत्र कमजोर होगा वरन राजस्थान में भ्रष्ट्राचार को बढावा मिलेगा तथा किसी भी दागी लोक सेवक को यह एक प्रकार से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगा। यह विधेयक भारतीय संविधान की भावना के अनुकूल न होने के कारण अनैतिक व असंवैधानिक भी है। राजस्थान सरकार की ओर से जिस प्रकार इस विधेयक को पेश करने में जल्दबाजी दिखायी गयी उससे सरकार की मंशा पर ही सवालिया निशान लग गये है।
यदि सरकार अपने आप को लोककल्याणकारी व संवेदनशील होने का दावा करती है तो इस प्रकार के विधेयक का कोई औचित्य नहीं है। हां यह सही है कि विधानसभा में राज्य सरकार के पास बहुमत है पर इसका मतलब यह तो नहीं कि प्रदेश की जनता की भावना के प्रतिकूल कोई विधेयक वहां पर आनन फानन में पास कर कानून बना दिया जाये। अगर ऐसा होता है तो यह आपातकाल के समय की याद दिलायेगा।
जार के सभी सदस्यों ने मुख्यमंत्री द्वारा काला कानून वापस लेने पर प्रसन्नता जाहिर की है और इसे लोकतंत्र की विजय बताई है।
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