पढे-लिखे इंसान ही करते हैं जीवन में गल्तियांः नील नितिन मुकेश

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Published on : 14 Nov, 17 17:11

वर्ल्ड डायबिटीज डे पर अलख नयन द्वारा नई क्रांति की शुरूआत

पढे-लिखे इंसान ही करते हैं जीवन में गल्तियांः नील नितिन मुकेश उदयपुर। फिल्म अभिनेता नील नितिन मुकेश ने कहा कि आज का दिन उनके जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहां आने पर पता चला कि डायबिटिज का आंखों से भी उतना ही सीधा कनेक्शन होता है, जितना शरीर का धडकन से। आज के परिवेश में अनपढ लोगों को कोई सीख दी जाए तो वे उसे आसानी से अपने जीवन में उतार देते हैं, लेकिन समझदार और पढे-लिखे इंसान सीख को जीवन में उतारने की बजाय उसके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। इसका परिणाम भी उन्हें भविष्य में भुगतना ही पडता है।
ये विचार अभिनेता नील ने मंगलवार को वर्ल्ड डायबिटीज डे पर उदयपुर के अलख नयन मंदिर नेत्र संस्थान की ओर से राजस्थान में पहली बार उदयपुर से शुरू किए गए ‘कम्यूनिटी बेस्ड डायबिटिक रेटिनोपेथी प्रोजेक्ट (सीबीडीआरपी) के उद्घाटन अवसर पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि यह संस्थान अपने नाम से इस बात को परिभाषित करता है कि इस मंदिर पर आने वाला व्यक्ति कभी भी निराश नहीं लौटता। इससे अच्छी बात यह है कि इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट से मिराज समूह भी जुडा हुआ है।
व्यक्ति से व्यक्तित्व और उससे होती है व्यापकता
अध्यक्षीय संबोधन में मिराज समूह के एमडी मदन पालीवाल ने कहा कि वे अलख नयन के संस्थापक डॉ. हरिसिंह चूंडावत से लंबे अरसे से जुडे रहे। उनका व्यक्तित्व इतना व्यापक था कि आज भी जब उनका स्मरण करते हैं तो उनकी आकृति सामने आ जाती है। मैं डॉ. चूंडावत से उस समय पहली बार मिला, जब मेरी माताजी को आंख की समस्या हो गई थी। उन्होंने इलाज किया तो एक आंख को नया जीवन मिला, लेकिन बाद में दूसरी आंख का ऑपरेशन किसी अन्य से कराया तो वह आंख लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकी। उनका जीवन संतत्वता से परिपूर्ण था और आज जब इतना बडा प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है तो उनकी कमी खल रही है। यह बात कहते ही मिराज समूह के एमडी पालीवाल की आंखें छलछला उठीं।
विशिष्ट अतिथि ऑपरेशन आई साइट यूनिवर्सल भारत के हेड प्रोग्राम मैनेजर फ्रेंकलिन डेनियन थे। इससे पहले अलख नयन मंदिर की मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. लक्ष्मी झाला ने बताया कि ‘कम्यूनिटी बेस्ड डायबिटिक रेटिनोपेथी प्रोजेक्ट (सीबीडीआरपी) नामक इस प्रोजेक्ट को अलख नयन मंदिर नेत्र संस्थान ऑपरेशन आइसाइट यूनिवर्सल कनाडा के सहयोग से कार्यान्वित करेगा जिसमें मिराज समूह का सीएसआर के तहत महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। उन्होंने बताया कि डायबिटीज के कारण आंखों पर जो नुकसान होता है उसके कारण डायबिटिक रेटिनोपेथी बीमारी हो जाती है। इसका उपचार लैजर, ऑपरेशन, इंजेक्शन या दवाइयों से संभव है। इस प्रोजेक्ट के दो मकसद हैं। एक तो आंखों की जांच कर डायबिटीज के कारण उस पर पड रहे असर का मापन-मूल्यांकन व बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था करना तथा दूसरा आंखों की जांच के माध्यम से यह भी बताना कि मरीज डायबिटीज से पीडित है। कई बार मरीजों को पता ही नहीं होता कि उन्हें डायबिटीज है। इस प्रोजेक्ट के तहत उदयपुर शहर में हुए ट्रायल पायलेट कैम्प में यही बात सामने आई। आंखों की जांच के दौरान लोगों को पता चला कि उन्हें गंभीर स्तर वाली डायबिटीज है।
अलख नयन के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एल. एस. झाला ने बताया कि 40 साल की उम्र के बाद सबको आंखों की नियमित जांच करवानी चाहिए तथा डायबिटीज का स्तर भी जांचते रहना चाहिए। उन्होंने बताया कि डायबिटीज के मरीजों खासतौर पर पिछले 20 वर्षों से ‘नॉन इन्सुलिन डायबिटिक मरीजों’ में से 60 प्रतिशत मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की समस्या पाई जाती है और इन्सुलिन पर निर्भर रहने वाले डायबिटिक मरीजों में लगभग सभी मरीजों में रेटिना की समस्या हो सकती है। राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत हाल ही में जारी किए गए आंकडों के अनुसार भारत में 6.2 करोड लोग मधुमेह (डायबिटीज) से ग्रसित हैं। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक भारत में विश्व के सर्वाधिक मधुमेह रोगी होंगे, लगभग 5 करोड 70 लाख। कनाडा स्थित एनजीओ-ऑपरेशन आई साइट के हाल ही में शुरू किए गए कार्यक्रम ‘कम्यूनिटी बेस्ड डायबिटिक रेटिनपेथी प्रोजेक्ट-सीडीआरपी’ के अनुसार 40 वर्षों से अधिक आयु वर्ग के लोगों में से 10.91 व्यक्ति डायबिटिक रेटिनोपैथी से ग्रसित हैं। इनमें से 35 प्रतिशत लोगों को तत्काल उपचार की आवश्यकता है। इनमें से ज्यादातर डायबिटिक रोगियों को ये भी नहीं पता कि उनकी आंखों में लक्षण रहित रेटिना की समस्या उत्पन्न हो चुकी है जिनके कारण उनकी आंखों की रोशनी कभी भी पूर्णतया जा सकती है।
प्रोजेक्ट डायरेक्टर मीनाक्षी चूण्डावत ने बताया कि भारत में 1997 में स्थापित अलख नयन मंदिर नेत्र संस्थान ऑपरेशन आई साइट यूनिवर्सन के साथ विश्वसनीय भागीदार है। अलख नयन मंदिर नेत्र संस्थान भारत में एक जाना पहचाना नाम है जहां विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाएं और मेडिकल सेवाएं पूर्णरूप से प्रशिक्षित एवं अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में उपलब्ध है।

सीबीडीआरपी के लक्षण एवं उद्देश्य :
समुदाय आधारित डायबिटीज एवं डायबिटिक रेटिनोपैथी परियोजना का क्रियान्वयन करना। डायबिटिक रेटिनोपैथी के उपचार की सुविधा अलख नयन मंदिर नेत्र संस्थान में उपलब्ध करवाना ताकि डीआर के मरीजों का बेहतर एवं सुरक्षित उपचार हो सके। इसके लिए समाज के हर वर्ग को डोर-टू-डोर सर्वे द्वारा जानकारी प्रदान कर जागरूक करना। चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाले प्रत्येक नर्सिंग होम, मेडिकल स्टोर, चिकित्सा केंद्र, प्रयोगशालाओं व मधुमेह जांच केंद्रों को प्रोजेक्ट में शामिल करना। संग्रहित सभी आंकडों को व्यवस्थित रूप से कम्प्यूटरीकृत करना ताकि आवश्यकता होने पर उनका विश्लेषण एवं उपयोग किया जा सके। प्रोजेक्ट के तहत उदयपुर में डोर टू डोर सर्वे होगा व हर रविवार को कॉलोनियों में मुफ्त नेत्र जांच, डायबिटीज जांच एवं उपचार शिविर लगेंगे। यह प्रोजेक्ट चार साल तक चलेगा और इस पर एक करोड पन्द्रह लाख रुपए व्यय होंगे। इस पर मिराज समूह के एमडी मदन पालीवाल ने कहा कि चार साल का समय लंबा है। इसे कम से कम एक साल में पूरा किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने प्रोजेक्ट में व्यय होने वाली राशि स्वयं देने की बात कही।
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