दुनिया में आए हैं तो जाना ही पड़ेगा: आचार्यश्री सुनील

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Published on : 11 Nov, 17 09:11

दुनिया में आए हैं तो जाना ही पड़ेगा: आचार्यश्री सुनील
उदयपुर, हुमड़ भवन में आयोजित प्रात:कालीन धर्मसभा में आचार्य सुनीलसागरजी महाराज ने कहा कि इस दुनिया में कोई भी अजर अमर नहीं है। दुनिया में आए हैं तो जाना ही पड़ेगा। जन्म की सार्थकता सम्यगदृष्टि और आत्मबोध में हैं। जो दुनिया में आए हैं सभी को जाना है, हां जान कब है यह समय निश्चित नहीं है। अब दुनियां से जाने के बाद उनकी फोटो, अस्थियां चाहे कितनी भी सम्भाल कर रखो उससे वो वापस आने वाले नहीं है। अगर अच्छा कर्म करके जाएंगे तो दुनिया मरने के बाद भी याद करेगी और अच्छा ही कहेगी और अगर जीवन में सदैव बुरे कर्मों में ही लिप्त रहे और चले गये तो मरने के बाद कांधा देने वाले भी कम पड़ जाएंगे और यही कहेंगे चलो अच्छा हुआ चला गया, धरती का बोझ कम हुआ, सभी इससे परेशान थे इससे तो मुक्ति मिली। इसलिए संसार से जाने से पहले अच्छे कर्म करो, सद्कर्म करो ताकि मोक्ष मार्ग के साथ सद्गति मिले। अगर बुरे कर्मों, कषायों और विकारों में ही लिप्त रहे और चले गये तो दुर्गति में जाना निश्चित है।
आचार्यश्री ने कहा कि दुनिया में लोग ज्यादातर धन सम्पदा और नाम के पीछे भागते हैं। कई बार इसे लेकर वाद- विवाद पैदा हो जाते हैं। सिर्फ नाम अच्छा होने से जरूरी तो नहीं कि उसका कर्म भी वैसा ही होगा। अब अगर किसी का नाम शांतिलाल है, जरूरी थोड़ी है कि उसके जीवन में शांति ही शांति है। राह चलते उसके पांव में अगर छोटा सा कांटा भी चुभ जाता है तो उसके मन में शांति की जगह क्रांति आ जाती है जब तक कि वह कांटा निकल नहीं जाता। विवेकशील और आत्मबोध में रहने वाले व्यक्ति ज्यादातर मौन साधना ही करते हैं। वह बेकार के वाद- विवाद में नहीं पड़ते हैं। ऐसे विचार किस काम के जो आपस में झगड़ा करवा दे। अगर जन्म के साथ मौत को भी सिद्ध करना है तो मन, वचन, काय की शुद्धि करना चाहिये। जो विकारों और कषायों में लिप्त रहते हैं वह भोगी कहलाते हैं और जो इनका त्याग कर लेते हैं वो योगी कहलाते हैं। इसलिए दुनिया में हमें जन्म मिला है तो सम्यगदृष्टि रखें, आत्मबोध करें ताकि इस जीवन के साथ अगलीा जन्म भी साुख मयी हो क्योंकि दुनिया में आए हैं तो जाना तो पड़ेगा ही।
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