नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जानना चाहा कि क्या दिल्ली विधानसभा में ‘ईवीएम में छेड़छाड़’ को दिखाने वाली कार्यवाही को असंवैधानिक घोषित करने की मांग करने वाली याचिका विचारणीय है। विधानसभा सत्र की कार्यवाही की संवैधानिकता और वैधता को चुनौती देने वाली याचिका कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ के समक्ष आई। पीठ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह अपनी जनहित याचिका की विचारणीयता पर संक्षिप्त दलील दें।
दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र नौ मई को आम आदमी पार्टी सरकार ने बुलाया था। इस सत्र में सदन के पटल पर ईवीएम के एक प्रोटोटाइप का इस्तेमाल करके दिखाया गया था कि कैसे ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती है। आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने दिखाया था कि कैसे विभिन्न पार्टियों को दो-दो मत दिये जाने के बावजूद अंतिम गणना के समय कुछ पार्टियों का मत एक पार्टी के खाते में चला गया।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अभिषेक आनंद राय ने इस चर्चा और इस मुद्दे पर आप विधायकों द्वारा पारित प्रस्ताव को इस आधार पर अवैध घोषित करने की मांग की कि ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और किसी विचाराधीन मामले को विधानसभा की कार्यवाही में नहीं छुआ जाना चाहिये था। दिल्ली सरकार के वकील रमेश सिंह ने याचिका की विचारणीयता पर आपत्ति जताई। इसका संज्ञान लेते हुए पीठ ने दोनों पक्षों को याचिका की विचारणीयता के पक्ष और विपक्ष में लिखित दलील और जिस केस लॉ पर वे भरोसा कर रहे हैं उसे सौंपने को कहा। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख आठ फरवरी को निर्धारित कर दी गई।
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