मरीज देखभाल पर निर्भर है ईलाज की सफलता ः डॉ. दीपक

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Published on : 08 Oct, 17 13:10

न्यूरो सर्जरी में मरीज देखभाल पर निर्भर है ईलाज की सफलता ः डॉ. दीपक

मरीज देखभाल पर निर्भर है ईलाज की सफलता ः डॉ. दीपक उदयपुर। दुर्घटना में घायल के मस्तिष्क का ऑपरेशन के बाद उसे बचाना संभव हो जाता है, लेकिन हॉस्पिटल या घर पर उसकी उचित देखभाल पर ही ईलाज की पूर्णता होती है। चोटग्रस्त हिस्से में इंफेक्शन के कारण मरीज की जान सांसत में आ सकती है। यह जानकारी वाशिंगटन मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरो एनेस्थिसियोलॉजिस्ट डॉ. दीपक मिश्रा का।
डॉ. दीपक फर्स्ट उदयपुर अपडेट इन न्यूरो कि्रटिकल केयर पर दो दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र को रविवार को संबोधित कर रहे थे। इस कांफ्रेंस म शहर के करीब पौने दो सौ डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। डॉ. दीपक ने बताया कि दुर्घटना या किसी भी हादसे में सिर या स्पाइन की चोट लगने पर मरीज को जितना जल्दी हो नजदीक के हॉस्पिटल में ले जाना चाहिए। उस हॉस्पिटल में हर तरह के ऑपरेशन से निबटने की व्यवस्था पर ही मरीज के सिर या स्पाइन के ऑपरेशन की शुरूआत करनी चाहिए। कई बार ऑपरेशन टेबल पर ऐसे गंभीर मरीजों की स्थिति में बदलाव हो जाता है। डॉ. दीपक ने बताया कि ऑपरेशन से पहले और बाद में घायल की देखभाल और सारसंभाल महत्वपूर्ण होती है। चोटग्रस्त हिस्से की सफाई और ऑपरेशन के बाद उस हिस्से से होने वाला इंफेक्शन से घायल को बचाना ही चुनौती होता है। यह इंफेक्शन किसी भी कारण से लग सकता है। डॉ. दीपक ने जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल को इसके लिए उपयुक्त हॉस्पिटल बताया। कार्यशाला में जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के डायरेक्टर कि्रटिकल केयर डॉ. कमलेश भट्ट ने १५ हजार से अधिक मरीजों के ईलाज का अनुभव सांझा करते हुए न्यूरो कि्रटिकल केयर की बारीकियों और न्यूरो के मरीजों की सार संभाल के लिए महत्वपूर्ण कार्य बताए। न्यूरो सर्जन डॉ. अजीत सिंह ने सिर और स्पाइन की चोटग्रस्त हिस्से के ऑपरेशन की गंभीरता बताते हुए कहा कि ऐसे अधिकांश मरीज गंभीर हालत में ही पहुंचते है। कई बार ३६ से ७२ घंटे में ऐसे घायलों की स्थिति में बदलाव आता है। ऐसे में कई बार एक से अधिक ऑपरेशन की भी जरूरत होती है। उसमें गंभीरता और समय पर ऑपरेशन से गंभीर घायल को भी कई बार बचाना संभव हो सकता है। इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. तरूण माथुर ने दुर्घटना में घायल के मस्तिष्क की धमनियों से रक्तस्त्राव और उसके कारण पूरे शरीर में होने वाले असर बताते हुए उससे बचाव के तरीकों पर चर्चा की।
ग्रुप डायरेक्टर डॉ. आनंद झा ने बताया कि कार्यशाला की शुरूआत ग्रुप डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज डॉ. दिनेश शर्मा के केक काटने से हुई। इस दौरान डॉ. उदय भौमिक, डॉ. तरूण रहलोत, डॉ. गौरव जयसवाल, डॉ. राजेंद्र शर्मा, डॉ. नरेंद्र मल मंचासीन रहे। कार्यशाला में आईएमए से डॉ. सुनील चुग, डॉ. आनंद गुप्ता सहित संभाग के पौने दो सौ अधिक डॉक्टर्स, सर्जन ने शिरकत की। जीबीएच का आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर अमेरिकी मापदंड पर
डॉ. दीपक शर्मा ने रविवार को जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के मेडिकल, कार्डियेक और न्यूरो आईसीयू का अवलोकन किया। साथ ही उन्होंने चार ऑपरेशन थिएटर की गतिविधियों की भी जानकारी ली। उन्होंने इसके अवलोकन के बाद प्रबंधन से चर्चा में बताया कि इस तरह के आईसीयू और ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था होना बडा काम है। जिस अस्पताल में इस तरह की व्यवस्था हो वह ईलाज की गुणवत्ता और सफलता पर खरा उतरता है। अमेरिका के बडे और नामी हॉस्पिटल में इस तरह की व्यवस्था मिलती है।




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