कंप्यूटर युग में भी परचम लहरा रहा है कागज उद्योग ः सिंघानिया

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Published on : 09 Sep, 17 22:09

कंप्यूटर युग में भी परचम लहरा रहा है कागज उद्योग ः सिंघानिया उदयपुर। जेके पेपर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हर्षपति सिंघानिया ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद देश में पेपर इंडस्ट्री का भविष्य उज्जवल है। देश के आर्थिक सुधारों के दीर्घकालीन परिवर्तन और उनके प्रभाव निश्चित हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था के मौलिक तत्व मजबूत हैं एवं विश्व की सबसे तेजी से बढने की संभावना रखती है। अब व्यापार के तौर तरीकों व शिक्षा के स्तर में भी बदलाव होगा। ऐसे परिदृश्य में भारत में पेपर की मांग सबसे ज्यादा बढने की संभावना है। जीएसटी सबके लिए अच्छा है और सभी को इसका पालन कर सरकार को सहयोग देना चाहिये। आने वाले समय में जीएसटी की दरों में कमी की भी संभावनाएं हैं। ये विचार श्री सिंघानिया ने आगरा में 7-8 सितंबर को जेपी पैलेस में आयोजित जे. के. पेपर लि. की दो दिवसीय होलसेलर कांफ्रेंस में व्यक्त किए। कांफ्रेंस को कंपनी के पूर्णकालीक निदेशक ओ. पी. गोयल, पे*सिडेंट ए.एस. मेहता, संतोष वाकलू, सैकत बासू सहित अन्य पदाधिकारियों ने संबोधित किया। कांफ्रेंस में देशभर के 25॰ से अधिक होलसेलरों ने भाग लिया।
उदयपुर के प्रतिनिधि डॉ. तुक्तक भानावत ने बताया कि अपने ओजस्वी भाषण में श्री सिंघानिया ने कहा कि पेपर आयात सबसे बडी चुनौती है। हमें स्वदेशी पेपर को बढावा देना चाहिए। प्लांटेशन से न केवल वातावरण में सुधार होता है बल्कि काफी लोगों को रोजगार मिलता है। पेपर उद्योग रोजगार केन्द्रित है और बडी मात्रा में लोगों की जीविका इससे चलती है।
पे*सिडेंट ए.एस. मेहता ने कहा कि अभी बाजार अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। हम सबको इसका मुकाबला करना ही होगा। कागज उद्योग देश में 6-7 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहा है। कम्प्यूटर के युग में भी कागज उद्योग अन्य उद्योगों से बढत पर है व स्थिरता लिए हुए है। श्री मेहता ने कहा कि अन्य उद्योग के मुकाबले इस उद्योग में प्रदूषण कम है। देशभर में 1॰ लाख टन से ज्यादा डिटरजेंट बनता है, जो अंत में पानी में ही घुलता है जबकि कागज उद्योग प्रदूषण को संरक्षित-सुरक्षित करता है। जहां तक लकडी का सवाल है तो केवल 7 प्रतिशत लकडी ही उद्योगों में काम आती है, इसमें से भी केवल 3 प्रतिशत लकडी कागज बनाने में काम आती है जबकि 93 प्रतिशत लकडी जलाने यथा गांवों आदि में रसोई आदि में काम आती है। यह होव्वा बना रखा है कि कागज उद्योग लकडी को उपयोग कर जंगलों को खत्म करता जा रहा है। श्री मेहता ने बताया कि पिछले 7 साल में एक लाख हेक्टेयर प्रतिवर्ष कागज उद्योग वृक्षारोपण कर रहा है।
कॉन्फ्रेंस में कई सत्रों में उद्योग की दशा और दिशा तथा भविष्य की योजनाओं, नवाचारों आदि पर मंथन किया गया। स्वागत भाषण राजेश कपूर ने दिया। डिजिटल ट्रांसफोर्मेशन पर श्री अशोक लाल्ला ने विस्तार से विचार रखे। ओपन हाउस सेशन में सवाल-जवाब के दौर चले। दिनेश जैन व श्री खन्ना के भी विशेष सत्र हुए। धन्यवाद मनोज अग्रवाल ने दिया।


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