महिला पत्राकार डॉ. मीना शर्मा को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित

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Published on : 08 Mar, 16 22:03

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने किया राजस्थान की

महिला पत्राकार डॉ. मीना शर्मा को नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित नई दिल्ली, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राजस्थान की महिला पत्राकार डॉ. मीना शर्मा को नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में मंगलवार को आयोजित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नारी शक्ति पुरस्कार-2015 से सम्मानित किया। इस मौके पर केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्राी श्रीमती मेनका गांधी और अन्य कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
डॉ. मीना का चयन नारी शक्ति पुरस्कार-2015 की व्यक्तिगत श्रेणी में किया गया है। यह सम्मान प्राप्त करने वाली वे राज्य की पहली महिला पत्राकार है।
डॉ. शर्मा राजस्थान के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रा से आई एक टी.वी. पत्राकार है, और उन्होंने 16 साल की उम्र में ऑल इंडिया रेडिया में उद्घोषक के रूप में कार्य किया। जीवन में अपने मिशन के रूप में ये लिंग भेदभाव के खिलाफ लड़ रही है और इसके लिए माध्यम के रूप में इन्होंने पत्राकारिता को चुना है।
डॉ.शर्मा ने देश के कोने-कोने से ऐसी बेटियों की तलाश की, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी समाज में एक मुकाम हासिल किया है। उन्होेंने भ्रूण हत्या आदि के विरोध में अपनी रिपोर्टिंग के द्वारा सामाजिक चेतना जागृत करने में अहमं योगदान दिया है।
डॉ. मीना शर्मा ने महिला एवं बाल विकास मंत्राी की प्रेरणा पर एक टी.वी. कार्यक्रम ’’अबके बरस मोहे बिटियां दीजो‘‘ की शुरूआत की जो काफी लोकप्रिय हुआ है। जिसने देश भर के विभिन्न टी.वी. चेनल्स तक अपनी चमक बिखेरी। जिसमें उन्होंने देशभर के कोने-कोने से ऐसी बेटियों की तलाश की जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी समाज में एक मुकाम हासिल किया।
डॉ. शर्मा के इस योगदान से न केवल हजारों-लाखों महिलओं को जीने की नई राह दिखाई है, बल्कि बेटियों के माता-पिता के लिए भी वो अवसर प्रदान किए जिसमें बेटियों के जन्म पर माता-पिता उन्हें अपने बुढ़ापे की लाठी बता सकें।
डॉ. शर्मा ने पहले टी.वी. स्टिंग ऑपरेशन में बच्चों द्वारा अपने माता-पिता की उपेक्षा की स्थिति का उल्लेख गया। यह बड़े पैमाने पर जनता के मध्य बहस का मुद्दा बना और इसके परिणामस्वरूप 2007 में रखरखाव और माता-पिता के कल्याण और वरिष्ठ नागरिक अधिनियम भी लागू किया गया।
डॉ. मीना शर्मा 6 राज्यों में ऐसे 500 क्लीनिकों का पर्दाफाश किया है जो अवैध लिंग निर्धारण और कन्या भ्रूण हत्या में लिप्त थे। परिणामस्वरूप सरकार ने पीसीपीएनडीटी अधिनियम के प्रवर्तन पर ध्यान केंन्द्रित किया। डॉ. शर्मा ने पांचाली प्रथा के खिलाफ भी आवाज उठायी है, जिसमें राजस्थान और मध्य प्रदेश के डकैत संक्रमित क्षेत्रों में महिलाओं को दयानीय हालत में रहने को मजबूर करने की व्यवस्था वर्णित थी।
उन्होंने देश भर की जमीनी स्तर की कामयाब महिलाओं की पहचान के लिए एक अनूठा कार्यक्रम बनाया है। यह कार्यक्रम दूरदर्शन सहित विभिन्न टी.वी. चैनल द्वारा एक साथ प्रसारित किया जा रहा है। यह अपनी तरह का एक खास तरह का मल्टी चैनल कंटेन्ट शेयरिंग कार्यक्रम है।
डॉ. मीना शर्मा देश के कोने -कोने से ऐसी बेटियों की तलाश में जुटी हैं, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी समाज में एक मुकाम हासिल किया है। डॉ. शर्मा की अपील पर प्रधानमंत्राी ने रेडियों पर ’’मन की बात’’ कार्यक्रम में महिलाओं की उपलब्धियों की तारीफ की। उन्होंने संघर्षशील महिलाओं को राष्ट्रीय परिदृश्य पर मंच प्रदान करने के मकसद सेएक टी.वी. कार्यक्रम का निर्माण किया जिसे नाम दिया ’’अबके बरस मोहे बिटिया ही दीजो‘‘। इस कार्यक्रम में शामिल बेटियों की देश भर में चर्चा है। प्रधानमंत्राी कार्यालय ने आगे बढ़कर उन 100 बेटियों को गणतंत्रा दिवस पर राजपथ पर आमंत्रित किया, जिनकी जीवटता की कहानियां इस कार्यक्रम में शामिल की गई।
डॉ. शर्मा का उद्देशय है कि सामाजिक और अन्य क्षेत्रों में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता मिले और ऐसी योजना बनाई जाएं कि बेटियां और उनकी सफलता एक दूसरे की पूरक बन जाएं। डॉ. शर्मा अपनी अभियान को उस स्तर तक ले जाने में जुटी हैं कि जब बेटियों के जन्म पर घरों में थालियां बजें, माता-पिता गर्व का अनुभव करें और जैसा कि प्रधानमंत्राी ने लाल किले से कहा था कि माता-पिता बेटों को अनुशासन में रहने की सीख दें।
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्राी ने देश की उन बेटियों से मिलने की इच्छा जाहिर की है जो आत्म सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई में प्रधानमंत्राी के सपनों को साकार करने में जुटी हैं।
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