उदयपुर। लोकतंत्र रक्षा मंच उदयपुर ने अजमेर सांसद भागीरथ चैधरी की उस बात का पूरा समर्थन किया जिसमें उन्होंने कल लोकसभा में नियम 377 के तहत अविलम्बनीय लोक महत्व के मामले के अन्तर्गत उठाते हुए लेाकतंत्र सैनानियों को स्वतंत्रता सैनानियों के समकक्ष सम्मान निधि दिये जाने की बात कहीं।
मंत्र के दलपत देाशी ने बताया कि चैधरी ने लोकसभा में केन्द्र सरकार से देश में 26 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक रहे आपातकाल के दौरान आजादी की दूसरी लड़ाई अर्थात लोकतंत्र की रक्षार्थ लड़ी गई। लड़ाई में भाग लेने वाले राजनीतिक एवं सामाजिक बंदियों को भी स्वतंत्रता सैनानियों के समान ही देश के लोकतंत्र सेनानी के रूप में सम्मानित किये जाने की मांग रखी। अजमेर सांसद चैधरी ने कहा कि ये लोकतंत्र सेनानी एक ऐसे कर्म योेद्वा है जिनको इस आपातकाल के दौरान भाग लेने पर उन्हें सार्वजनिक रूप से यातनाएं मिली, दंडित किया गया, जेल में बंदी बनाकर रखा गया, सरे-बाजार पीट-पीटकर, उल्टा लटका कर घुमाया गया। इनका घर बार बिखर गया, इनकी पढ़ाई छूट गई, कुछ तो अपंग हो गए, साथ ही साथ इनके परिवारजनों तक को भी यातानाये दी गई। इन्हे तंग भी किया गया है।
विगत 10-15 वर्षों से देश के कोने कोने से, हर राज्य से आपातकाल के दौरान संघर्षरत रहे इन कर्म योद्धाओं को लोकतंत्र सेनानी के रूप में केन्द्र स्तर पर घोषणा कर सम्मानित करने की मांग उठी है, लेकिन केंद्र स्तर पर इन मीसा बंदियों, डीआईआर, सीआरपीसी के तहत प्रताड़ित रहे सरकारी रिकॉर्डड राजनीतिक एवं सामाजिक बंदियों को सम्मान देने हेतु अभी तक उचित कार्रवाई लंबित है जो कि खेदजनक है। हालांकि देश के कुछ राज्यों में राज्य सरकारों ने इन लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान पूर्वक पेंशन, चिकित्सा सहायता, आवागमन सुविधा पास आदि को नियमानुसार कानून बनाकर सम्मान निधि के रूप में प्रदान भी की है, लेकिन अत्यंत दुख का विषय है कि देश को गत 50 वर्षों से चूर-चूर कर खोखला कर चुकी हमारे विपक्षी राज्य सरकारों ने कुछ राज्यों में सत्ता सुख प्राप्त करते ही इन लोकतंत्र सेनानियों को नियमानुसार प्रदत सम्मान निधि पर रोक लगा दी है जो कि इनकी ओछी मानसिकता को प्रदर्शित करती है जो कि गलत है हम इसका विरोध करते हैं।
संासद ने लोकतंत्र सेनानियों को तत्समय की कांग्रेस सरकार ने आपातकाल लगाकर, तानाशाही प्रवृत्ति के अनुरूप कार्य किया था इसलिए मैं सदन में मांग करता हूं कि अब इस विषय पर केंद्र सरकार ही उचित संज्ञान लेकर इन कर्म योद्धाओं को यथा सम्मान प्रदान करें, क्योंकि यह आजादी के बाद की एक महत्वपूर्ण ऐसी लड़ाई थी जिसमें देश के लोकतंत्र की रक्षा हेतु एक पुनीत कार्य किया गया था।’