राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय कोटा और राष्ट्रीय कवि चौपाल, कोटा के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गीता जयंती समारोह ,डॉ• रघुनाथ मिश्र 'सहज' के मुख्य आतिथ्य, डा• गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल' अध्यक्षता, रघुनंदन हटीला व आचार्य बद्रीलाल गुप्ता के विशिष्ट आतिथ्य मे सोल्लास सम्पन्न हुआ । प्रारंभ में मंचस्थ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती व श्रीमद्भागवत गीता पुराण पर माल्यार्पण-दीप प्रज्वलन व रघुनंदन हटीला की शानदार सरस्वती वंदना से, आयोजन की विधिवत शुरुवात हुई। पुस्तकालय की प्रथम सहायक,प्रखर कवयित्री शशि जैन ने भी सभी अतिथियों-संभागियों का तिलक लगाकर व माल्यार्पण कर स्वागत किया।
“ गीता विमर्श” पर मण्डल पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ• दीपक श्रीवास्तव ने श्रीमद्भागवत गीता पुराण जयंती के अवसर पर ,अपने विषय प्रवर्तन व सारगर्भित भाषण में, गीता को समग्र जीवन जीने का वास्तविक व सम्पूर्ण अध्याय कहा। उन्होंने अपनी विशिष्ट आकर्षक शैली में स्पष्ट व उद्धरणों सहित इस बात पर फोकस किया कि,गीता को सचिंतन पढ़ लेने के बाद, जीवन की सभी कठिनाइयों के समाधान के रास्ते प्रशस्त नजर आते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ• सहज ने, गीता को भक्ति ग्रंथ के साथ-साथ प्रेम व समग्र जीवन ग्रंथ कहते हुए सुझाया कि,मानव जीवन में, सभी सृजनधर्मियों को गीता अवश्य पढना चाहिए।इसमें प्रेम पर सर्वाधिक जोर दिया गया है। सभी अतिथियों ने गीता की प्रासंगिकता पर वृहद चर्चाओं में ,उसके हर काण्ड की महत्ता पर प्रकाश डाला।
अगले-अंतिम सत्र में काव्यपाठ में डॉ. रघुनाथ मिश्र ‘सहज’, कवि कपिल खंडेलवाल ‘कलश ’, ब्रजेन्द्र पुखराज, डा गोपाल कृष्ण भट्ट 'आकुल', महेश पंचोली, हरि शंकर हरीश, आत्म प्रकाश, रघुनंदन हटीला , बी एल गुप्त, रूप नारायण 'संजय', शशि जैन, नंद किशोर अनमोल, जितेन्द्र निर्मोही सहित 16 साहित्यकारों/ कवियों ने,सरस काव्यपाठ के साथ-साथ,गीता पर सारगर्भित उद्गार भी दिए।
मंचस्त अतिथियों ने, आज के अवसर पर शिक्षाप्रद उदगारों से माहौल को पूरी तरह आध्यात्मिक बना दिया।पूरे आयोजन की धारा,गीता ग्यानामृत पर केन्द्रित रही। अंत में डॉ• दीपक श्रीवास्तव ने सभी आगंतुक मेहमानों-संभागियों का, राष्ट्रीय कवि चौपाल कोटा व पुस्तकालय की ओर से आभार व्यक्त किया। अध्यक्ष, कवि कपिल खंडेलवाल ‘कलश’ के भी आभार व्यक्त करने सहित, भाईचारा के मृदु वातावरण में, अगली गोष्ठी में पुन: मिलन के वायदे के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ |