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मेडिकल टूरिज्म की और बढ़ते कोटा के कदम

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18 Sep 18
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मेडिकल टूरिज्म  की और बढ़ते कोटा के कदम
डॉ.प्रभात कुमार सिंघल,लेखक एवम् पत्रकार,कोटा, एक समय था जब चिकित्सा सेवाएं कोटा रियासत के समय वैद्य और हकीमों के हाथों में थी और आज कोटा मेँ सभी प्रकार की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध है। विशेषज्ञ एवम् परम विशेषज्ञ सेवाये मिलने लगी है। सरकारी सेवाओ में इज़ाफ़ा होने के साथ-साथ निजी क्षेत्र को मिला कर कोटा राज्य का महत्वपूर्ण मेडिकल हब बनता जा रहा है। कोटा में बढ़ती हुई चिकित्सा सेवाएं कोटा को मेडिकल टूरिज्म सेण्टर की दिशा में आगे बढ़ा रही हैं।यही नही यहां देश के कई राज्यों से मेडिकल में प्रवेश की कोचिंग के लिए बच्चे बड़ी संख्या में हर वर्ष आते है और यह संख्या बढ़ती जा रही है। आइये एक नज़र डालते है मेडिकल सेवाओ के विकास के इतिहास और वर्तमान पर।
कोटा मेँ चिकित्सा सेवाओ का इतिहास उस समय शुरू हुआ जब वर्ष 1873 में एक कुशल चिकित्सक, एक कम्पाउण्डर, एक ड्रेसर एवं सहायता के लिए कई नौकर नियुक्त किये गए तथा दवाईयों के लिए बजट स्वीकृत किया गया। यहीं से रियासत के समय चिकित्सा विभाग की शुरूआत की गई। रानी विक्टोरिया का स्वर्णीम जयंती स्मृति समारोह मनाने के लिए महिला चिकित्सालय खोला गया। वर्ष 1893 में इटावा, सांगोद, घाटोली, कुंजेड़, सुल्तानपुर, मण्डाना एवं मांगरोल में चिकित्सालय खोले गए। वर्ष 1900 में कोटा में तीन चिकित्सालय तथा कोटा सहित कस्बों में 17 डिस्पेंसरी संचालित थी।
महाराजा उम्मेद सिंह के समय राज्य में रेडक्रॉस सोसायटी की स्थापान की गई। चिकिसा सुविधाओं का विकास निरंतर होता रहा तथा आजादी के समय 1948 में कोटा नगर में दो चिकित्सालय संचालित थे।
राजस्थान निर्माण के बाद की लोकतांत्रिक सरकार ने बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के कार्य को विशेष प्राथमिकता प्रदान की। निरंतर प्रयासों का ही परिणाम है कि एक वर्ष 2016-17 में जिलें में 6 एलौपैथिक चिकित्सालय, 13 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 45 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 12 शहरी डिस्पेंसरी, 216 उपस्वास्थ्य केंद्र एवं एक क्षय निवारण केंद्र, एक ईएसआई अस्पताल, चार ईएसआई डिस्पेंसरी, चार मातृ शिशु स्वास्थ्य केंद्र, एक जिला अस्पताल, एक मेडिकल कॉलेज, एक आयुुर्वेदिक अ-श्रेणी चिकित्साल, 58 आयुर्वेदिक ब-श्रेणीं चिकित्साल, 7 होमियोपैथिक चिकित्सालय, तीन यूनानी दवाखानें, 74 निजी चिकित्सालय, 10 चल चिकित्साल (एलोपैथिक एवं आयुर्वेदिक) संचालित हैं। मरीजों की सेवा के लिए 17 (108 एम्बुलेंस) तथा 14 (104 जननी एक्सप्रेस) संचालित हैं। एलोपैथिक चिकित्सलयों में शहरी क्षेत्र में 1680 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 444 कुल 2124 बिस्तारों की सुविधा उपलब्ध है।
महाराव भीमसिंह चिकित्सालय कोटा में वर्ष 1951-52 में राज्य सरकार ने नया चिकित्सालय भवन बनाने की मंजूरी दी। इसके लिए महाराव भीमसिंह ने निशुल्क भूमि उपलब्ध करवाई। उनके नाम पर महाराव भीमसिंह चिकित्सालय का शुभांरभ जनवरी 1958 में किया गया। भवन निर्माण एवं साज-सामान पर उस समय 30 लाख रूपये खर्च किये गए। प्रारम्भ में यहां 150 बिस्तरों का प्रावधान किया गया जो अब शनेः शनेः बढ़कर 750 बिस्तरों तक पहंुच गया।
महाराव भीमसिंह चिकित्सालय में वर्तमान में सभी के बहिरंग विभाग (ओपीडी), मेडिसिन, शल्य चिकित्सा, नेत्र चिकित्सा, अस्थी व जोड़ चिकित्सा, नाक-कान-गला (ईएनटी) चिकित्सा, दंत रोग, चर्म एवं रति रोग (एसटीडी), कुष्ठ रोग, मनोरोग, न्यूरोलॉजी एवं न्यूरो सर्जरी चिकित्सा, क्षय एवं दमा रोग चिकित्सा, मधु रोग चिकित्सा, कार्डियो थोरेसिक सर्जन, गेस्ट्रालॉजी, प्लास्टिक सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, एलर्जी क्लिीनिक, जानवरों से काटे गए व्यक्ति का उपचार, निश्चेतन सेवाएं, फिजियोथेरेपी सेवाएं, नशा मुक्ति सेवाएं, कैंसर उपचार, एमआरआई, कोबाल्ट थेरेपी, मेमोग्राफी (स्तन केंसर) आदि की विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध हैं।
महाराव भीमसिंह चिकित्सालय में न्यूरो सर्जरी एवं न्यूरोलॉजी का आधुनिक आईसीयू एवं मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर, कैंसर विभाग मंे समस्त कैंसर उपचार सुविधाएं तथा आधुनिक एवं वातानुकुलित नया फिजियोथेरेपी भवन तथा इंमरजेन्सी मेडिकल वार्ड सुविधाओं का विकास किया गया है। परिसर में 100 सीट सुविधा का नया नर्सिंग कॉलेज भवन बनवाया गया है। रोगों की जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशाला बनवाई गई है। चिकित्सालय से कुछ विभाग न्यू मेडिकल चिकित्साल में स्थानांतरित होने से वर्तमान में अस्पताल में 441 रोगी बिस्तर सुविधा उपलब्ध है।
जे.के. लोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय एमबीएस चिकित्सालय परिसर मे ही प्रसूति महिलाओं एवं शिशु रोगों के उपचार एवं सेवाओं के लिए 2 अक्टूबर 1973 से जेके लोन मातृ एवं शिशु चिकित्सालय प्रारंभ किया गया। यहां परिवार कल्याण, स्त्री रोग, प्रसूति महिला, शिशु रोग एवं नवजात शिशु रोग तथा टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। चिकित्सालय में दान-दाताओं के सहयोग से नया बच्चों का आधुनिक आईसीयू वार्ड, 10 बिस्तर की सुविधाओं वाला नया (नियोनेटल) नवजात शिशु वार्ड, गंभीर प्रसूता महिलाओं के लिए आईसीयू वार्ड तथा आधुनिक वातानुकूलित पोस्ट ऑपरेटिव वार्ड की सुविधाएं एवं सोनोग्राफी भी उपलब्ध हैं।
चिकित्सा महाविद्यालय कोटा में चिकित्सा शिक्षा के अध्ययन के लिए वर्ष 1992 में चिकित्सा महाविद्यालय 50 सीट के साथ ईएसआई चिकित्सालय भवन में प्रारंभ किया गया था। इसे राजस्थान विश्व विद्यालय जयपुर से संबद्ध किया गया। वर्तमान में सभी 17 विषयों में पीजी कोर्स तथा दो विषयों न्यूरोलॉली एवं न्यूरोलॉजी में परम विशेषज्ञ (डीएम) कोर्स संचालित हैं। वर्ष 1998 से यह महाविद्यालय अपने स्वयं के भवन में संचालित हो रहा है। वर्तमान में सीटों की संख्या बढ़कर 150 हो गई है। महाराव भीमसिंह चिकित्साल, जेके लोन मातृ एवं शिशु चिकित्साल तथा रामपुरा का जिला चिकित्सालय इससे संबद्ध हैं।
मेडिकल कॉलेज का अपना एक हजार बिस्तरों का नवीन चिकित्सालय का भू-तल, प्रथम तल बनकर उपयोग में आ रहा है। चिकित्सालय में 2939 लाख रूपये लागत से द्वितीय तल का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। अनुसंधान की दृष्टि से मल्टी अनुशासनिक अनुसंधान लेब स्थापित की गई है। बायोमेडिकल अकादमी की स्थापना भी की गई है। सूपर स्पेशलिटी विंग का 150 करोड़ रूपये से निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। यहां पर समस्त परम विशेषज्ञ सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध होगें।




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