
डॉ. प्रभात कुमार सिंघल - लेखक एवं पत्रकार, कोटा
समुद्री द्वीपों के सौंदर्य की धरती पर अब आपको ले चलते हैं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह की सैर पर। समुद्री जीवन, इतिहास एवं जलक्रीडा में रूची रखने वालों के लिए यह एक आदर्श पर्यटक स्थल है। निकोबार सर्वाधिक हरियाली वाला द्वीप है। यहां की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है जो यहां का सबसे बडा शहर भी है। करीब ५७२ छोटे-बडे द्वीपों से मिलकर बना यह क्षेत्र भारत का केंद्र शासित राज्य है जिसका गठन १ नवम्बर १९५६ को किया गया। इस संघ राज्य का क्षेत्रफल ८२४९ वर्ग किलोमीटर तथा जनसंख्या ३८०५८१ है। यहां ८६ प्रतिशत क्षेत्र में वन पाए जाते हैं। इस संघ राज्य के तीन जिले उत्तर और मध्य अंण्डमान, दक्षिण अंण्डमान तथा निकोबार हैं। यह राज्य बंगाल की खाडी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। यहां प्रमुख रूप से हिन्दी व अंग्रजी भाषाएं बोली जाती हैं।
भारत की आजादी के संघर्ष के दौरान आंदोलनकारियों को दमनकारी नीति के तहत इसी जगह भेजा जाता था और यहां बने सैक्यूलर जेल में रखा जाता था। आंदोलनकारी इसे काले पानी की सजा के नाम से बुलाते थे। यही वह स्थान है जहां नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में पहली बार तिरंगा झण्डा फहराया था। उन्होनें ३० दिसम्बर १९४३ को आजाद हिंद फौज की जैकेट उतार कर तिरंगा फहराया था। अण्डमान में लकडी का काम, बांस व खपच्चियों का फर्निचर एवं अन्य सामान, समुद्री सीप-शंखों से बनी सजावटी वस्तुएं मुख्य हस्तशिल्प हैं। यहीं पर एशिया की विशालतम लकडी चीरने की ‘‘बाथम आरा मिल‘‘ पाई जाती है।
संघ राज्य में प्रचुरता से वन्य जीव देखने को मिलते हैं। यहां ९ राष्ट्रीय पार्क, ९६ वन्य जीव अभ्यारण्य तथा एक जैव संरक्षित क्षेत्र पाए जाते हैं। जीव जन्तुओं में स्तनपाई, रैंगने वाले जीव, समुद्री जीव, पक्षी तथा मूंगा एवं प्रवाल बहुतायत से देखने को मिलते हैं। अण्डमान के सदाबहार घने वन, सुंदर समुद्र तट, दुर्लभ वनस्पति तथा जीव जंतुओं की विभिन्न प्रजातियां पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। समुद्र के किनारे साहसिक गतिविधियां देखते ही बनती हैं।
सेल्यूलर जेल
अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह का एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है सेल्यूलर भवन का ”राष्ट्रीय स्मारक एवं संग्रहालय“। तिमंजिले भवन में वीर शहीदों के नाम लिखें हैं तथा संग्रहालय में वे अस्त्र-शस्त्र सुरक्षित रखे गये हैं जिनसे यहां स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार किये जाते थे। आज का यह पर्यटक स्थल किसी जमाने में अंग्रेजों के शासनकाल में १९०६ से १९४७ तक यहां काले पानी की सजा भुगतने वाले कैदियों को जेल में रखा जाता था। यहां जेल में छोटी-छोटी ६९४ कोठरियां बनी हैं, जिनमें कैदी यातना भुगतते थे। यहां प्रतिदिन सायंकाल ”प्रकाश एवं ध्वनि“ कार्यक्रम के माध्यम से शहीदों के साहस एवं राष्ट्र प्रेम की गाथाओं का प्रदर्शन किया जाता है। सैलानियों के लिए आयोजित यह विशेष कार्यक्रम हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं में एक-एक घण्टे का शो आयोजित किया जाता हैं। इस भवन की पहाडी से नीचे उतरकर सागर की ओर बढने पर एक जलक्रीडा केन्द्र बना है जहां विविध प्रकार के वाटर स्पोट्स का आनन्द लिया जा सकता है। यहीं पर जापानी उद्यान, बच्चों का पार्क, रेस्ट्रा एवं मनोरंजन केन्द्र बने हैं। इस प्रकार यहां का सम्पूर्ण परिवेश सैलानियों के लिए आकर्षण का बडा केन्द्र बन जाता हैं।
हैवलोक द्वीप
यहां राधा नगर बीच का स्वच्छ निर्मल पानी तथा इन द्वीपों में तैरती हुई डाल्फिन मछलियों के झुण्ड तथा द्वीप के तट पर सागर सफेद रंग की रेत का सौन्दर्य देखते ही बनता है। शीशे की तरह साफ पानी में जल के नीचे जलीय पौधे एवं मछलियों को तैरते हुए देखना अपने आप में रोमांच उत्पन्न करता है। यह एक बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल हैं।
रॉस द्वीप
महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में रॉस द्वीप ब्रिटिश वास्तुशिल्प के खण्डरों के लिए जाना जाता है। यह द्वीप करीब २०० एकड क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां फीनिक्स उपसागर से नाव लेकर कुछ ही समय में पहुँच सकते हैं। प्रातःकाल में इस द्वीप पर बडी संख्या में पक्षी देखने को मिलते हैं और लगता है जैसे यह द्वीप पक्षियों का स्वर्ग हो। इस द्वीप को देखने के लिए बडी संख्या सैलानी पहुँते हैं।
रोज टापू
पशु-पक्षियों को नजदीक से देखने के लिए रोज टापू एक मनोरम स्थल है। यहां मोर एवं हिरनों को झुण्ड में देखा जा सकता है। यहां रक्षामंत्रालय एवं भारतीय नौ सेना का कार्यालय भी स्थापित है।
निकोबार में ”इन्दिरा पाइंट“ दक्षिण में भारत के अन्तिम छोर पर ३१० कि.मी. दूरी पर है। यदि समय है तो भारत के इस अन्तिम पाइंट को भी अवश्य देखना चाहिए।
पोर्ट ब्लेयर
पोर्ट ब्लेयर इस द्वीप का सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र हैं। यहां कुछ पर्यटक स्थल ५-६ कि.मी. क्षेत्र में स्थित है तथा कुछ इसके आस पास ह।
सामुद्रिक वस्तु संग्रहालय
इस द्वीप के समुद्र में पाये जाने वाली वनस्पतियों एवं जीवों के बारे में इस संग्रहालय में विस्तृत जानकारी संग्रहित की गई हैं। यहां स्टार फिश, ऑक्टोपस, डालफिन के साथ-साथ अनेक प्रकार की सुन्दर एवं आकर्षक मछलियां मत्स्य संग्रहालय में देखने को मिलती हैं। यहां वन संग्रहालय, कुटीर उद्योग संग्रहालय, वन्य जीवन संग्रहालय तथा एन्थ्रापोलॉजी संग्रहालय विशेष रूप से दर्शनीय हैं।
वंडूर बीच
पोर्ट ब्लेयर से करीब ३० कि.मी. दूर स्थित वंडूर बीच एक रमणिक स्थल है। यहां मरीन नेशनल पार्क एवं वन विभाग का विश्रामग्रह बना हुआ है। वंडूर से नाव द्वारा ’जॉली बाय‘ अवश्य जाना चाहिए। यहां से नाव में जाते एवं आते समय नाव की तली में लगे पारदर्शी ग्लास से समुद्र के स्वच्छ जल में तैरते हुए जलीय जीव, वनस्पति एवं विशेषकर कई प्रकार की मछलियों को देखने का अतिरिक्त आनन्द प्राप्त होता है।
बाथम आरा मिल
पोर्ट ब्लेयर के उत्तरी भाग में ”बाथम आरा मिल“ नामक एक सुन्दर द्वीप है। यहां प्राचीन एवं विशालतम लकडी चीरने की मिल बनी है। आस-पास के क्षेत्रों में पाये जाने वाले टीक, बादाम, पडौक, पीमा, साटिन, मार्बल आदि पेडों की लकडी चीरने के लिए काटकर जहाज से यहां लाई जाती हैं। लकडी चीरने की यह मिल सम्भवतः एशिया की सबसे प्राचीन और बडी मिल है। इसके आस-पास का वातावरण भी अत्यन्त मनोहारी है। पोर्ट ब्लेयर से २५ कि.मी. दूर चिडया टापू भी दर्शनीय स्थल है। हरे-भरे नारियल के वृक्षों की छंठा से आच्छादित ”कार्बिन कोब्स बीच“ भी यहां का दर्शनीय स्थल है। इस द्वीप समूह पर वाइपर द्वीप रेडस्किन आईलैंड, नील आईलैंड, डिगलीपुर तथा सेडल पीक अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
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