जीवोत्थान पंचांगम् एवं सांकेतिक जन्म राशि फलानुमान (पाक्षिक समेकित राशि फल सहित) {#यह सेवा जिन सज्जनों के लिए काम आ सके तदर्थ है।ज्योतिर्विद- सुविज्ञों के लिए आवश्यक नहीं# }
(महर्षि यादवेन्द्र शिक्षाचार्य , Rtd RES, भाषात्रयी आशुसाहित्यकार)
Jeevotthan Panchangam, Sanskaritam - Evam Janm Rashi Falanuman
दिनांके -(आँग्ल)23/10/2021,शनिवार
राष्ट्रीय भारतीय दिनांक01 /08/1943
01कार्तिक मास1943
सृष्टिगतसौरार्कदिनांक -
05/07
/1955885122#(# पंचांगकारानुसार वर्ष, दैनिक सूर्योदय कालीन सूर्य संक्रांति राशि - अंशतः अंकतः स्थानीय व्यवस्था)
भारतीय पंचांग विक्रमीय दिनांक
03/08/2078
( इसे यहाँ निम्नानुसार लिखा है - सूर्योदयी तिथि सौरतः कृष्ण पक्षतः या गताग्र /पूर्णिमांत चैत्रादि मास /विक्रम संवत्|तिथि /मास में वृद्धि)
तिथि तृतीया27:01:01*
पक्ष कृष्ण
नक्षत्र कृत्तिका21:52:03
योग व्यतिपात्22:30:56
करण वणिज13:43:10
करण विष्टि भद्रा27:01:01*
माह (अमावस्यांत)आश्विन
माह (पूर्णिमांत)कार्तिक
चन्द्र राशि वृषभ
सूर्य राशि तुला
सूर्योदय06:39:02
सूर्यास्त18:01:48
दिन काल11:22:46
रात्री काल12:37:45
चंद्रास्त08:47:47
चंद्रोदय19:52:03
सूर्योदयलग्न तुला5°41'
'सूर्य नक्षत्र चित्रा
चन्द्र नक्षत्र कृत्तिका
पद, चरण2 ई कृत्तिका08:21:25
3 उ कृत्तिका15:06:19
4 ए कृत्तिका21:52:03
1 ओ रोहिणी28:38:30*
मुहूर्त
राहु काल09:30 - 10:55अशुभ
यम घंटा13:46 - 15:11अशुभ
अभिजित्11:58 -12:43शुभ
दूर मुहूर्त08:10 - 08:56अशुभ
चोघडिया, दिन
काल06:39 - 08:04अशुभ
शुभ08:04 - 09:30शुभ
रोग09:30 - 10:55अशुभ
उद्वेग10:55 - 12:20अशुभ
चर12:20 - 13:46शुभ
लाभ13:46 - 15:11शुभ
अमृत15:11 - 16:36शुभ
काल16:36 - 18:02अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ18:02 - 19:37शुभ
उद्वेग19:37 - 21:11अशुभ
शुभ21:11 - 22:46शुभ
अमृत22:46 - 24:21*शुभ
चर24:21* - 25:55*शुभ
रोग25:55* - 27:30*अशुभ
काल27:30* - 29:05*अशुभ
लाभ29:05* - 30:40*शुभ
होरा, दिन
शनि06:39 - 07:36
बृहस्पति07:36 - 08:33
मंगल08:33 - 09:30
सूर्य09:30 - 10:27
शुक्र10:27 - 11:24
बुध11:24 - 12:20
चन्द्र12:20 - 13:17
शनि13:17 - 14:14
बृहस्पति14:14 - 15:11
मंगल15:11 - 16:08
सूर्य16:08 - 17:05
शुक्र17:05 - 18:02
होरा, रात
बुध18:02 - 19:05
चन्द्र19:05 - 20:08
शनि20:08 - 21:11
बृहस्पति21:11 - 22:14
मंगल22:14 - 23:18
सूर्य23:18 - 24:21*
शुक्र24:21* - 25:24*
बुध25:24* - 26:27*
चन्द्र26:27* - 27:30*
शनि27:30* - 28:33*
बृहस्पति28:33* - 29:36*
मंगल29:36* - 30:40*
अंतिम कॉलम अंत समय है.
होरा(वारों की प्रकृति तथा करणीय शुभ कामों के अनुसार उपयोगी)
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विशेष विवेचन - आकाशदर्शन/स्वाध्याय बोध - स्वाती में सूर्य। हेमंत ऋतु व राष्ट्रीय कार्तिक मास प्रारंभ। वृश्चिक में भानु। पूर्व वायव्य दक्षिण दिशाएँ प्रभावित। जनहित योजना । शिक्षा-तकनीकी एवं विद्वत् सज्जन में किसी प्रकरण में नव चिंतन । ग्राफिक्स नीचे प्रभावित पर। । ##############
*अन्तिम कालम अन्त समाप्तिकाल है।
*समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले। तिथि - वार- नक्षत्र - योग - करण पंचांग में किसी के अशुभ प्रभाव में शुभाधिक्यता में सुयोग की तथा भद्रादि के यथा परिहार की मान्यता प्रचलित। कहीं स्थानीय यथाव्यवस्था देशाचारीय मान्यता से व्रतपर्वोत्सवोंकी व्यावहारिकता प्रचलित । जीवोत्थान स्थानीय देशान्तर - अक्षांश पर संगणित। विशेषार्थ आपके स्थलीय पंचांग दृष्टव्य।
@जीवोत्थान जन्म राशि फलानुमान @
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जन्मराशितःआज सांकेतिक फलानुमान
(विशेषार्थ स्वजन्म पत्रिका दृष्टव्य) (एकन्दर राशि फल बोध
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सिंह धन वृष कन्या राशि वालों के लिये दिनमान के मिश्रित ,मिथुन तुला कुंभ के लिए अड़चन फलद समय तथा अन्य हेतु अपेक्षाकृत दिनमान ठीक।)
जन्म राशि - - - - - समेकित फलानुमान
मेष - सुधार 61 %
वृष. - मिश्रित 63 %
मिथुन - मिश्रित 58 %
कर्क. - अच्छा 63 %
सिंह. - ठीक ठाक 59 %
कन्या. - मिश्रित 61 %
तुला. परेशानी 67 %
वृश्चिक. उलझन 58 %
धन. - मिश्रित 58 %
मकर. - लाभ65 %
कुंभ. - अवरोध 56 %
मीन. -अनुकूलता 59 %
विशेष - दिन शुद्धि सामान्यतः.ठीक फलद है।
जीवोत्थान पाक्षिक जन्म राशि समेकित फलानुमान
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(अक्टूबर उत्तरार्द्ध )
मेष - - अनुकूलता
वृष - - - -अच्छा
मिथुन - - - - - - अनुकूलता
कर्क - - - - - उलझन
सिंह - - - - -लाभदायक
कन्या - - - -सुधार
तुला - - - - परेशानी
वृश्चिक - - - - उलझन
धन - - - - - - - -लाभोदय
मकर - - - - - तरक्की
कुंभ - - - - - सुधार
मीन - - - - - - परेशानी
{(जीवात्मा की विचित्रता, ग्रह-प्रकृति फल भोग।
कर्मफल के सार से, जीवनचक्र - संजोग ।।
स्वात्मदेव सुसाक्षी रख, स्मरण परब्रह्म साथ।
स्वशुद्धभाव कर्मरत् हो ,तो साथ रहे नाथ।
सम्मान प्रदान,दिया,लिया,,यथाभाग्य सब लेख।
सुजन निभावे पात्रता,आप्राण विधि- प्रलेख।।)}
भारत की अद्वितीय विशेषताओं का,
अनवरत् दिव्यामृतपान करनाहै।
"ब्रह्माण्डोत्थान" हेतु मानवादर्श का,
'जीवोत्थान 'सदाश्रय को अपनाना है।।
ॐमहर्षि - यादवेन्द्र जीवोत्थान उदयपुर