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जीवोत्थान - पंचांगम् 03/06/2020,- बुधवार 

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02 Jun 20
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जीवोत्थान - पंचांगम् 03/06/2020,- बुधवार 


Dainikam Jeevotthan Panchangam, Sanskaritam -  दिनांके -(आँग्ल) 03/06/2020,-बुधवार 

राष्ट्रीय भारतीय दिनांक - 13/03/1942
13ज्येष्ठ 1942)
भारतीय पंचांगं दिनांक
27/03/2077( इसे यहाँ निम्नानुसार लिखा है - सूर्योदयी तिथि सौरतः कृष्ण पक्षतः या गताग्र /पूर्णिमांत चैत्रादि मास /विक्रम संवत्|तिथि /मास में वृद्धि पर +, क्षय पर - अंकित, स्थानीय व्यवस्था) 
सौर ज्येष्ठ  , शुक्ल पक्ष।
ग्रीष्म ऋतु। उत्तर गोलायन।
माह (अमावस्यांत)ज्येष्ठ
माह (पूर्णिमांत)ज्येष्ठ
तिथि द्वादशी09:04:34तक।
पक्ष शुक्ल
नक्षत्र स्वाति20:42:05 तक।
योग वरियान06:19:58तक।
योग परिघ26:48:53*तक। करण
बालव09:04:34 तक।
करण कौलव19:34:33 तक।
वार बुधवार
माह (अमावस्यांत)ज्येष्ठ
माह (पूर्णिमांत)ज्येष्ठ
चन्द्र राशि  तुला
सूर्य राशि  वृषभ
विक्रम संवत् 2077
शाकाब्द संवत् 1942
सूर्योदय05:47:22
सूर्यास्त19:19:40
दिनकाल13:32:18
रात्रीकाल10:27:36
चंद्रोदय16:49:33
चंद्रास्त28:26:48*
लग्न सूर्योदय वृषभ18°46' ,
सूर्य नक्षत्र रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र स्वातिपद, नामकरण
चरण2 रे स्वाति09:47:43तक।
3 रो स्वाति15:14:48
4 ता स्वाति20:42:05
1 ती विशाखा26:09:39*
मुहूर्त
राहुकाल12:34 - 14:15अशुभ
यमघंटा07:29 - 09:10अशुभ
अभिजित् 12:06 -13:01अशुभ
दूरमुहूर्त12:06 - 13:01अशुभ
चोघडिया, दिन
लाभ05:47 - 07:29शुभ
अमृत07:29 - 09:10शुभ
काल09:10 - 10:52अशुभ
शुभ10:52 - 12:34शुभ
रोग12:34 - 14:15अशुभ
उद्वेग14:15 - 15:57अशुभ
चर15:57 - 17:38शुभ
लाभ17:38 - 19:20शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग19:20 - 20:38अशुभ
शुभ20:38 - 21:57शुभ
अमृत21:57 - 23:15शुभ
चर23:15 - 24:33*शुभ
रोग24:33* - 25:52*अशुभ
काल25:52* - 27:10*अशुभ
लाभ27:10* - 28:29*शुभ
उद्वेग28:29* - 29:47*अशुभ

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आकाशदर्शन/स्वाध्याय बोध , ।प्रदोष व्रत, सावित्री व्रतारंभ, पूर्वा भाद्रपद के भौम। व्यापार उद्योग शिक्षा-तकनीकी एवं सैन्य विद्वत् सज्जन में किसी प्रकरण में सावधानी विवेक उचित । ग्राफिक्स बढेगा। किडनी, डायलिसिस, गर्मी तत्व तथा ऊँचाई की घटना क्रम। कहीं भूकंपन या पर्यावरण प्रभावित , कहीं जानवर दृष्टिगोचर । वृषार्क,। ##############
*अन्तिम कालम अन्त  समाप्तिकाल है।   
*समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले। तिथि - वार- नक्षत्र - योग - करण पंचांग में किसी के अशुभ प्रभाव में शुभाधिक्यता में सुयोग की तथा भद्रादि के यथा परिहार की मान्यता प्रचलित। कहीं स्थानीय यथाव्यवस्था देशाचारीय मान्यता से व्रतपर्वोत्सवोंकी व्यावहारिकता प्रचलित । जीवोत्थान स्थानीय देशान्तर - अक्षांश पर संगणित। विशेषार्थ आपके स्थलीय पंचांग दृष्टव्य


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