GMCH STORIES

कोविड महामारी और भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में स्वतः वक्तव्य

( Read 10852 Times)

15 Sep 20
Share |
Print This Page
कोविड महामारी और भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के बारे में  स्वतः वक्तव्य

नई दिल्ली, आज राज्यसभा में कोविड महामारी और भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन द्वारा दिए गए स्वतः वक्तव्य का पाठ्य निम्नलिखित है-

मैंने इस सदन को इस वर्ष पहले फरवरी में और बाद में मार्च में कोविड महामारी को लेकर अवगत कराया था। मैं माननीय सदस्यों को कोविड महामारी की वर्तमान स्थिति और भारत सरकार द्वारा की गई कार्रवाई से एक बार फिर अवगत कराना चाहूंगा।

पिछली बार मार्च महीने में अवगत कराए जाने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को एक महामारी घोषित किया और सभी देशों से इस जन-स्वास्थ्य संकट के विरुद्ध तत्काल और आक्रामक कार्रवाई करने को कहा।

11 सितंबर, 2020 को विश्व के 215 देश/क्षेत्र इस महामारी से प्रभावित थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 2.79 करोड़ से अधिक मामले हैं और 9.05 लाख से अधिक मौतें हुई हैं, मामलों पर मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है।

भारत में 11 सितंबर, 2020 को कुल 45,62,414 पुष्ट मामलों और 76,271 मौतों (मामलों पर मृत्यु दर 1.67 प्रतिशत) की खबर है। 35,42,663 (77.65 प्रतिशत) रोगी ठीक हुए हैं। मौत के अधिकांश मामले मुख्य रूप से महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, असम, केरल और गुजरात से हैं। इन सभी राज्यों में एक-एक लाख से अधिक मामलों की खबर है। कोविड-19 के प्रबंधन में हमारे प्रयासों में संपूर्ण सरकार और संपूर्ण समाज के दृष्टिकोण से भारत प्रति 10 लाख आबादी पर मामलों और मौतों को सीमित रख सका है। प्रति 10 लाख आबादी पर 3,328 मामले और प्रति 10 लाख आबादी पर 55 मौतें हुईं, जोकि इसी प्रकार से प्रभावित देशों की तुलना में विश्व में न्यूनतम देशों में से एक है।

महामारी विज्ञान के अनेक मानदंड जैसे कि प्रसार का माध्यम, उप-नैदानिक संक्रमण, वायरस के फैलाव (शेडिंग), प्रतिरोधक क्षमता की भूमिका आदि पर अभी अनुसंधान किया जा रहा है। जब कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो रोग एक से 14 दिन के भीतर किसी समय विकसित हो सकता है। कोविड के मुख्य लक्षण ज्वर, खांसी और सांस लेने में कठिनाई हैं। हमारे देश में लगभग 92 प्रतिशत मामलों में मामूली रोग है। लगभग 5.8 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जिनमें ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत है, केवल 1.7 प्रतिशत गंभीर मामलों में सघन देखभाल (आईसीयू) की आवश्यकता है।

भारत में इस बीमारी के फैलाव के विस्तार के फलस्वरुप संक्रमण रोकने की व्यापक रणनीति पर आधारित अग्रसक्रिय, पूर्व निर्धारित, श्रेणीकृत, संपूर्ण सरकार, संपूर्ण समाज दृष्टिकोण से जानें बचाई गईं और रोग का प्रभाव न्यूनतम किया गया।

भारत सरकार ने कोविड-19 की चुनौती को राजनीतिक प्रतिबद्धता के उच्चतम स्तर पर स्वीकार किया। भारत सरकार द्वारा समुदाय को सम्मिलित कर माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर स्वयं लागू किए गए जनता कर्फ्यू की शुरुआत और राष्ट्रव्यापी पूर्णबंदी (लॉकडाउन) का साहसपूर्ण निर्णय वास्तव में कोविड-19 के प्रबंधन में सामूहिक शक्ति और कोविड के आक्रामक प्रसार को सफलतापूर्वक कम करने का प्रमाण है। यह अनुमान है कि इस निर्णय से लगभग 14 से 29 लाख मामले और 37 से 78 लाख मौतों को रोका गया। इसके अलावा इन चार महीनों का उपयोग अतिरिक्त स्वास्थ्य ढांचा विकसित करने मानव संसाधन के विस्तार और भारत में ही पीपीई, एन-95 मास्क और वेंटीलेटर के विनिर्माण के लिए किया गया। मार्च, 2020 में मौजूद बिस्तरों के मुकाबले विशेष आइसोलेशन बिस्तरों में 36.3 गुना और विशेष आईसीयू बिस्तरों में 24.6 गुना से अधिक वृद्धि हुई। उधर, महामारी के शुरुआत के समय आवश्यक मानक के पीपीई का स्वदेशी विनिर्माण नहीं हो रहा था, जबकि अब हम इसमें आत्म निर्भर हैं और इनका निर्यात भी कर रहे हैं। देशवासियों की ओर से मैं इस अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को बधाई देता हूं, जो निरंतर स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और नेतृत्व कर रहे हैं।

भारत सरकार ने रोग के प्रवेश को रोकने और इसे सीमित करने के लिए कई कार्रवाईयां प्रारंभ कीं। मैं प्रतिदिन स्थिति की समीक्षा कर रहा हूं। स्वयं माननीय प्रधानमंत्री ने नियमित रूप से मुद्दे को समझने और प्रभावी कोविड प्रबंधन के लिए राज्यों के साथ सहयोग के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों तथा सभी पक्षों के साथ विचार-विमर्श किया। मेरी अध्यक्षता में मंत्री समूह का गठन किया गया, जिसमें विदेश मंत्री, नागरिक विमानन मंत्री और गृह राज्य मंत्री, विमानपत्तन राज्य मंत्री और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री शामिल हैं, इस मंत्री समूह के 3 फरवरी, 2020 को गठन के बाद 20 बैठकें हुईं। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की समिति ने स्वास्थ्य, रक्षा से संबंधित मंत्रालयों, विदेश मंत्रालय, नागरिक विमानन, गृह, वस्त्र, औषध, वाणिज्य और राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत अन्य अधिकारियों के साथ नियमित रूप से समीक्षा की।

माननीय प्रधानमंत्री के समग्र मार्गदर्शन में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने 29 मार्च, 2020 को देश में कोविड-19 के प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर (i) चिकित्सा आपात योजना, (ii) अस्पतालों, आइसोलेशन, क्वारंटीन केन्द्रों की उपलब्धता, रोग निगरानी (सर्विलांस) और टेस्टिंग, (iii) आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना, (iv) मानव संसाधन बढ़ाने और क्षमता निर्माण, (v) आपूर्ति चेन और लॉजिस्टिक प्रबंधन, (vi) निजी क्षेत्र के साथ समन्वय, (vii) आर्थिक और कल्याण उपाय, (viii) सूचना, संचार और जन-जागरूकता, (ix) प्रौद्योगिकी और डेटा प्रबंधन, (x) जन-शिकायत और (xi) लॉकडाउन से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर 11 अधिकार प्राप्त समूहों का गठन किया। इन समूहों का हाल ही में उभरते परिदृश्य और आवश्यकता के आधार पर 10 सितंबर को पुनर्गठन किया गया।

मेरा मंत्रालय उभरते परिदृश्य की लगातार समीक्षा कर रहा है। राज्यों के साथ नियमित रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही हैं। हमने राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों, स्वास्थ्य विभागों के अधिकारियों और जिला स्तर के अधिकारियों के साथ अब तक 63 वीडियो कॉन्फ्रेंस की हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को तकनीकी मुद्दों पर सलाह देने वाले स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक की अध्यक्षता में संयुक्त मॉनिटरिंग समूह की जोखिम, तैयारियों और कार्रवाई व्यवस्था की समीक्षा तथा तकनीकी दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने के लिए अब तक 40 बैठकें हुई हैं।

भारत सरकार ने महामारी और इससे पहले महामारी के सफल प्रबंधन के अनुभव के आधार पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में आवश्यक रणनीति, योजना और प्रक्रियाएं प्रदान कीं। इनमें कंटेनमेंट योजनाएं और यात्रा, व्यवहार एवं मनो-सामाजिक स्वास्थ्य, सर्विलांस, प्रयोगशाला सहायता, अस्पताल ढांचा, नैदानिक प्रबंधन, निजी सुरक्षा उपकरण पीपीई के तर्कसंगत उपयोग आदि समेत स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए प्रेरक दिशा-निर्देश शामिल हैं।

भारत सरकार ने कोविड के प्रसार को सीमित करने/रोकने के लिए कई अन्य उपाय किए। पहला यात्रा परामर्श 17 जनवरी, 2020 को जारी किया गया और उभरती स्थिति के अनुसार श्रेणीकृत तरीके से यात्रा परामर्शों में संशोधन किया गया। सभी देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग की शुरुआत की गई और 23 मार्च, 2020 तक (सभी वाणिज्यिक उड़ानों के स्थगन तक) कुल 14,154 उड़ानों के 15,24,266 यात्रियों की हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग की गईं। हवाई अड्डों के अलावा जमीनी सीमा पर 16.31 लाख लोगों और 12 प्रमुख, 65 छोटे बंदरगाहों पर 86,379 लोगों की स्क्रीनिंग की गई।

वर्तमान में भारत सरकार ने सलाह दी है कि 22 मार्च, 2020 से किसी विदेशी हवाई अड्डे से भारत में किसी हवाई अड्डे के लिए किसी निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक यात्री विमान को उड़ने की अनुमति न दी जाए। हालांकि 7 मई, 2020 को कोविड-19 महामारी के कारण कई देशों में फंसे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए वंदे भारत मिशन के अंतर्गत उड़ानें चलाने की अनुमति दी गई। भारत और 9 अन्य आपसी सहमति वाले देशों के बीच अस्थायी वायु यात्रा प्रबंधों (ट्रांसपोर्ट बबल्स) का उद्देश्य वाणिज्यिक यात्री सेवा फिर शुरू करना है। ये आपसी आधार पर हैं, इसका अर्थ है कि दोनों देशों की एयरलाइंस को समान फायदे मिलेंगे। मंत्रालय ने 24 मई, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय आगमन के दिशा-निर्देश जारी किए, जिन्हें 2 अगस्त, 2020 को संशोधित किया गया।

लॉकडाउन 1.0 से पहले भारत सरकार ने चीन में वुहान, डायमंड प्रिंसेस क्रूज जहाज, जापान, ईरान, इटली और मलेशिया से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकाला। 11 सितंबर, 2020 तक वंदे भारत मिशन के अंतर्गत कुल 12,69,172 यात्रियों को भारत वापस लाया गया।

शुरू में सामुदायिक सर्विलांस यात्रा संबंधित मामलों के लिए शुरू की गई थी और बाद में समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) द्वारा समुदाय से पता चले मामलों के लिए भी की गई। 11 सितंबर, 2020 तक कुल लगभग 40 लाख लोगों को सर्विलांस में रखा गया और प्रसार की चेन तोड़ने के लिए रोग सर्विलांस नेटवर्क के माध्यम से सभी पुष्ट मामलों के नियमित रूप से संपर्कों का पता लगाने का सघन कार्य किया जा रहा है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कलस्टर और अधिक मामलों के फैलाव वाले क्षेत्रों को सीमित करने के लिए 2 मार्च और 4 मार्च, 2020 को क्रमशः कंटेनमेंट योजनाएं जारी कीं और इन योजनाओं का समय-समय पर अद्यतन किया गया। कंटेनमेंट योजनाओं में (i) कंटेनमेंट और बफर जोन की परिभाषा (ii) कड़ा नियंत्रण मानदंड लागू करने (iii) मामलों और संपर्कों के लिए सघन सक्रिय घर-घर तलाश (iv) संदिग्ध मामलों और अधिक जोखिम वाले संपर्कों का आइसोलेशन और जांच (v) अधिक जोखिम वाले संपर्कों का क्वारंटीन (vi) साधारण रोकथाम के उपायों और तुरंत उपचार प्राप्त करने की आवश्यकता पर सामुदायिक जागरुकता बढ़ाने के लिए सघन जोखिम संचार और (vii) कंटेनमेंट और बफर जोन में गैर-सक्रिय इंफ्लूएंजा जैसा रोग (आईएलआई)/श्वस्न से जुड़ी बीमारी (एसएआरआई) के सर्विलांस की मजबूती की रणनीति बनाना शामिल हैं।

उभरते परिदृश्य के साथ प्रयोगशाला नेटवर्क को लगातार मजबूत बनाया जा रहा है। जनवरी में कोविड की जांच करने के लिए केवल एक प्रयोगशाला की स्थिति से लेकर अब कोविड-19 की जांच के लिए 1705 प्रयोगशालाएं हैं। दूरगम क्षेत्रों जैसे लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और अन्य पूर्वोत्तर राज्य, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में भी प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। वर्तमान में प्रतिदिन 10 लाख नमूनों की जांच की जा रही है (प्रतिदिन 10 लाख की जनसंख्या पर 720 जांच), जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित प्रतिदिन 10 लाख की जनसंख्या पर निर्धारित 140 जांच से कहीं अधिक है। 11 सितंबर, 2020 तक कुल 5,51,89,226 नमूनों की जांच की गई। कोविड की जांच मशीनों या प्रयोगशाला निदान के लिए कोई स्वदेशी विनिर्माता नहीं था, जबकि आज हमारे पास प्रतिदिन 10 लाख किट से अधिक बनाने की स्वदेशी क्षमता है।

कोविड-19 मामलों के समुचित प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य केन्द्रों की त्रिस्तरीय व्यवस्था बनाई गई (i) मामूली और प्रारंभिक लक्षणों वाले मामलों के लिए आइसोलेशन बिस्तर युक्त कोविड केयर सेंटर (ii) मध्यम मामलों के लिए ऑक्सीजन सुविधा युक्त आइसोलेशन बिस्तर वाले कोविड स्वास्थ्य केन्द्र-डीसीएचसी और (iii) गंभीर मामलों के लिए आईसीयू बिस्तर वाले विशेष कोविड अस्पताल – डीसीएच काम कर रहे हैं। मामलों के प्रबंधन में मदद के लिए ईएसआईसी, रक्षा, रेलवे, अर्धसैनिक बलों, इस्पात मंत्रालय आदि के अंतर्गत तृतीयक देखभाल अस्पताल हैं।

12 सितंबर, 2020 तक ऑक्सीजन की सुविधा बगैर 13,14,646 विशेष आइसोलेशन बिस्तर वाले 15,284 कोविड उपचार केन्द्र विकसित किए गए। इसके अलावा कुल 2,31,093 ऑक्सीजन सुविधा युक्त आइसोलेशन बिस्तर और 62,717 आईसीयू बिस्तर (32,575 वेंटीलेटर बिस्तर सहित) बनाए गए हैं। रोग की प्रवृत्ति पर लगातार नजर, उपलब्ध ढांचे का विश्लेषण और भविष्य के लिए पहले ही योजना से विकसित देशों के समक्ष आए प्रमुख संकट जैसी स्थिति को टाला गया है। इसके अलावा 5,98,811 बिस्तरों के साथ 12,826 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए हैं।

कोविड-19 के नैदानिक प्रबंधन पर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे और उनका नियमित रूप से अद्यतन किया गया तथा इन्हें व्यापक रूप से परिचालन किया गया। इनमें मामले की परिभाषा, संक्रमण रोकने और नियंत्रण, प्रयोगशाला निदान, पहले मदद देने वाली थेरेपी, गंभीर मामलों और जटिलताओं का प्रबंधन शामिल हैं। अब तक कोई विशेष एंटी-वायरल प्रभावी साबित नहीं हुआ। ज्वर और खांसी, समुचित स्तर पर शरीर में पानी का स्तर बनाए रखना (एप्रोप्रिएट रि-हाइड्रेशन), पूरक ऑक्सीजन थेरेपी उपचार के मुख्य तत्व हैं। हमने मामूली (लेकिन अधिक जोखिम मामले) और मध्यम मामलों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को रि-पर्पज किया है। यह सीमित वैज्ञानिक प्रमाण पर किया गया, लेकिन अच्छी तरह स्वीकार किया गया कि इस दवा का इस्तेमाल भारत में व्यापक रूप से उन बीमारियों के लिए किया जाता है, जो लंबे समय तक चलती हैं और सुरक्षा का ध्यान रखा जाता है।

इसके अलावा रेमडेसीविर, कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा और टोक्लीजुमाब के इस्तेमाल से चिकित्सकों के सघन निरीक्षण में गंभीर मामलों के प्रबंधन के लिए अन्वेषक (इंवेस्टिगेशनल) थेरेपी का प्रावधान है।

इन मानक उपचार प्रोटोकॉल का प्रसार और अधिकतम स्तर तक मृत्यु रोकना सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई पहल शुरू की गई हैं। एम्स कोरोना हेल्पलाइन – 9971876591 चिकित्सा प्रबंधन के लिए डॉक्टरों के मार्ग-निर्देशन हेतु इसे शुरू किया गया है। एम्स, दिल्ली कोविड-19 नेशनल टेली कंसलटेशन सेंटर चला रहा है, जिसके साथ फोन संख्या-91-9115444155 से संपर्क किया जा सकता है। यह देश के किसी भी भाग से उन डॉक्टरों को सेवा प्रदान कर रहा है, जो कोविड-19 के रोगियों तथा सामान्य जनता के रोगों के प्रबंधन के लिए एम्स के विशेषज्ञों से परामर्श करने के इच्छुक हैं। टेली-मेडिसिन दिशा-निर्देश क्लीनिक में भीड़भाड़ रोकने तथा रोगियों को अपने रोग में कमी लाने हेतु टेली-कंसलटेशन प्रदान करने के लिए 25.03.2020 को जारी किए गए थे। यह सीमित पहुंच वाले इलाकों में स्वास्थ्य देखभाल प्रदानकर्ताओं को रोगियों की देखभाल के लिए प्राथमिकता तय करने, उपचार और परामर्श में मदद दे सकते हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सर्वोच्च नोडल संस्थान एम्स,नई दिल्ली और राज्य स्तर के उत्कृष्ट केन्द्रों के साथ मिलकर क्लीनिकल उत्कृष्ट सेंटर पहल की शुरुआत की है, ताकि नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल पर दिशा-निर्देश दिए जा सकें। इन राज्य स्तर के उत्कृष्ट केन्द्रों को महत्वपूर्ण नैदानिक उन मुद्दों पर परामर्श देने जिनमें कोविड मामलों के प्रबंधन के लिए डॉक्टरों को दिशा-निर्देश की आवश्यकता हो, एम्स द्वारा साप्ताहिक वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं। इन राज्य स्तर के उत्कृष्ट केन्द्रों से आशा है कि वे अपने-अपने जिलों में दिशा-निर्देशों का आगे प्रसार करेंगे।

कोविड और गैर-कोविड स्वास्थ्य मुद्दों के गुणवत्तापूर्ण उपचार की दूर-दराज के इलाकों में उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए टेली-मेडिसिन के उपयोग को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है। टेली-मेडिसिन के लिए वेब आधारित व्यापक ई-संजीवनी ऐप का इस्तेमाल 23 राज्यों में किया जा रहा है, ताकि दोनों ग्रामीण इलाकों और अलग-थलग समुदायों में विशेष स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की पहुंच विस्तृत की जा सके।

आईसीएमआर कोविड पर एक राष्ट्रीय क्लीनिकल रजिस्ट्री स्थापित कर रहा है, जो कोविड-19 के रोग के नैदानिक परिदृश्य, विस्तार और रोगियों के निष्कर्ष पर जानकारी प्रदान करेगा।

रि-पर्पज्ड दवाओं के 13 नैदानिक परीक्षण और आधुनिक चिकित्सा दृष्टिकोण के इस्तेमाल से पारम्परिक ज्ञान के दोहन से कोविड-19 के रोगियों के लिए थेरापैटिक विकल्पों का पोर्टफोलियो बनाया जा रहा है। इम्युनोमॉड्यूलेटर सेप्सिवाक के नैदानिक परीक्षण का दूसरा चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अब तक के पहले फाइटो फॉर्मास्यूटिकल एसीक्यूएच के नैदानिक परीक्षण का दूसरा चरण किया जा रहा है। अश्वगंधा के एक प्रोफाइलेक्टिक परीक्षण और गुडुची +पिपली के तीन परीक्षण, यश्टिमधु और पोलिहर्बल आयुष दवा (आयुष 64) का परीक्षण कोविड-19 के मध्यम रोगियों पर किए जाने की योजना है।

इस रोग में अर्मामेंटेरियम के खिलाफ प्रभावी वैक्सीन निश्चित तौर पर फायदेमंद होगा। इस मोर्चे पर लगभग 145 कैंडीडेट वैक्सीन प्री-क्लीनिकल मूल्यांकन हैं और वर्तमान में 35 वैक्सीन का नैदानिक परीक्षण किया जा रहा है। भारत में कोविड-19 के वैक्सीन के विकास को सुविधाजनक बनाने पर फोकस किया जा रहा है। 30 से अधिक वैक्सीन कैंडीडेट को सहयोग दिया जा रहा है, जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं, तीन कैंडीडेट चरण-1/2/3 परीक्षण के उन्नत चरण में हैं और चार से अधिक उन्नत प्री-क्लीनिकल विकास चरण में हैं।

कोविड-19 बायोरिपोजटरी स्थापित की गई हैं, जिन्होंने 40 हजार से अधिक नमूनें एकत्र किए हैं, जिन्हें डाइग्नोस्टिक, थेरापियोटिक्स और वैक्सीन विकसित करने के लिए अनुसंधानकर्ताओं तथा उद्योग को उपलब्ध कराया गया है।

कोविड वैक्सीन की खरीद और वितरण के काम में समन्वय के लिए भारत सरकार ने 7 अगस्त, 2020 को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) की अध्यक्षता में कोविड-19 पर वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह का गठन किया था।

आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 के प्रबंधन और इसमें कमी लाने के लिए विभिन्न उपायों से योगदान दिया है। मंत्रालय ने बचाव स्वास्थ्य उपायों के लिए स्वयं की देखभाल और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देशों की सिफारिश की है। आयुष मंत्रालय ने प्रोफिलेक्सिस और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों से संबंधित स्वास्थ्य परामर्श जारी किए थे, जिनका 8 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया और उन्हें भारतीय दूतावासों में परिचालित किया गया। विभिन्न आयुष अस्पतालों को क्वारंटीन केन्द्र, आइसोलेशन केन्द्र, कोविड केयर सेंटर और कोविड हेल्थ सेंटर बनाया गया है। लगभग 8.5 लाख आयुष देखभाल पेशेवरों को कोविडवॉरियर.गोव.इन पर पंजीकृत किया गया है। आयुष मंत्रालय ने बहु-विषयी अनुसंधान और विकास कार्य बल का गठन किया है। कार्य बल ने आयुष प्रोफिलेक्टिक अध्ययन और कोविड-19 के पुष्ट मामलों में अतिरिक्त हस्तक्षेप के लिए नैदानिक अनुसंधान प्रोटोकॉल डिजाइन किया है और बनाया है। आयुष-सीएसआईआर के संयुक्त अध्ययन की शुरुआत प्रोफिलेक्सिस/उपचार के लिए आयुष दवाओं से की गई। आयुष अनुसंधान परिषदों और मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय संस्थानों की प्रोफिलेक्सिस पर कंटेनमेंट जोन में लक्षित आबादी पर आयुष हस्तक्षेप जारी है। इसके लिए बड़े पैमाने पर जनसंख्या आधारित अध्ययन कराया जा रहा है। आयुष मंत्रालय ने आयुष परामर्श और आयुष-संजीवनी ऐप मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से कोविड-19 की रोकथाम में आयुष परामर्शों और उपायों के इस्तेमाल और स्वीकृति प्रभावशीलता के मूल्यांकन के प्रभाव की शुरुआत की है।

राज्यों से अपनी लॉजिस्टिक भंडार, विशेष रूप से पीपीई और उनकी खरीद का मूल्यांकन करने का अनुरोध किया गया है। केन्द्र सरकार ने अब तक कुल 1.92 करोड़ पीपीई के ऑर्डर दिए हैं। मंत्रालय ने पहले ही 1.39 करोड़ पीपीई किट और 3.43 करोड़ एन-95 मास्क राज्यों को आपूर्ति कर दिए हैं (11 सितंबर, 2020 तक)।

औषध विभाग ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा का उत्पादन कई गुना बढ़ा दिया है। 11 सितंबर, 2020 तक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 10.84 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोक्वीन गोलियां राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को जारी की हैं। भारत ने 140 से अधिक देशों में इनका निर्यात भी किया है।

केन्द्र सरकार ने किसी प्रकार भी स्थिति से निपटने के लिए 60,948 वेंटीलेटर की खरीद के ऑर्डर दिए हैं। 11 सितंबर, 2020 तक राज्यों को 32,109 वेंटीलेटर आवंटित किए गए, जिनमें से 30,170 पहुंचा दिए गए हैं। देश ऑक्सीजन और ऑक्सीजन सिलेंडर में आत्म निर्भर है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 1,02,400 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीद कर उनकी विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को आपूर्ति कर दी है। इसके अलावा, राज्यों को ऑक्सीजन कंसनटेटर की भी आपूर्ति की जा रही है।

एक प्रमुख चुनौती यह थी कि विभिन्न क्षेत्रों और विभागों में बड़ी संख्या में कोविड वॉरियर की पहचान और उन्हें प्रशिक्षित किया जाए, जो न केवल कोविड संबंधित कार्य बल्कि अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं को बनाए रखना सुनिश्चित कर सकें। रक्षा, आयुष, एनसीसी, एनएसएस, एनवाईके, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और निजी क्षेत्र से जनशक्ति संसाधन की पूलिंग की गई है।

विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं के बावजूद कोविड वॉरियर ने आवश्यकता के अनुसार मानवता की सेवा की। देश उन डॉक्टरों, नर्सों, अर्ध-चिकित्साकर्मियों, अग्रिम पंक्ति के क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं, सुरक्षा और पुलिसकर्मियों, स्वच्छता कर्मचारियों, वॉलेंटियर और पत्रकारों का ऋणी है, जिन्होंने कोविड से देशवासियों को बचाने में अथक प्रयास और काम किए। मैं इस सदन से अनुरोध करता हूं कि उनके द्वारा की गई अतुलनीय सेवा के लिए सराहना की जाए।

कुछ ऐसी घटनाएं हुईं, जब स्वास्थ्य देखभाल सेवा कर्मियों को अपना कार्य करते हुए प्रताड़ना, हिंसा, भय और जीवन के खतरे का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति पर काबू पाने और उनके प्रयासों में मदद देने के लिए भारत सरकार ने 22 अप्रैल, 2020 को महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 लागू किया।

चिकित्सा जनशक्ति समेत जन-संसाधन के क्षमता निर्माण के लिए डीओपीटी द्वारा iGOT – Diksha (online platform) (https://igot.gov.in/igot/) उपलब्ध कराया गया है। यह जनशक्ति अस्पतालों में रोगियों तथा गैर-चिकित्साकर्मियों के प्रबंधन और सर्विलांस में जुटे क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं तथा लॉजिस्टिक्स में मदद देते हैं। प्रशिक्षण मॉड्यूल का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। लगभग 29.15 लाख लोगों ने विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें 5,699 डॉक्टर, 86,018 आयुष पेशेवर, 4,102 नर्सें, 963 सहायक स्वास्थ्य पेशेवर, 5,881 अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता, 2,70,736 वॉलेंटियर और 25,42,892 अन्य भागीदार शामिल हैं। लगभग 18.96 लाख पाठ्यक्रम iGOT – Diksha प्लेटफॉर्म पर संपन्न हुए हैं। चिकित्सा और गैर-चिकित्सा पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण संसाधन भी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं।

अब हम यात्रा संबंधित मामलों के प्रबंधन से, स्थानीय प्रसार के कारण शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के व्यापक प्रसार से होने वाले बड़े फैलाव और कलस्टर सीमित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके लिए जनता की भागीदारी के साथ सरकार के सतत् प्रयासों की आवश्यकता होगी, ताकि बड़े पैमाने पर मृत्यु और रोगों को रोका जा सके। इसी तरह मातृ प्रजनन और शिशु स्वास्थ्य के प्रबंधन, वैक्सीन से रोके जा सकने वाले रोगों, गैर-संचारी रोगों, टीबी, वेक्टर जनित रोगों जैसे कि कालाजार और मलेरिया के प्रबंधन में प्राप्त सफलता को बनाए रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अतः गैर-कोविड आवश्यक सेवाओं के प्रबंधन पर अधिक जोर दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट का भारत में कोविड-19 के प्रसार की ताज़ा स्थिति की सूचना जनता को देने के लिए प्रतिदिन अद्यतन किया जाता है। नियमित रूप से प्रेस विज्ञप्तियां जारी की जाती हैं और प्रेस ब्रीफिंग की जाती हैं।

कोविड-19 पर संचार सामग्री और टूलकिट विकसित किए गए हैं (पर्चे, पोस्टर, ऑडियो और एवी फिल्म) और उन्हें राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को दिए गए हैं, ताकि वे समुदाय द्वारा किए जाने वाले रोकथाम की आवश्यक उपाय, भ्रम और दुष्प्रचार और रोग से जुड़े अपमान से निपटने और बड़े पैमाने पर हेल्पलाइन नम्बर का प्रचार कर सकें। संचार सामग्री स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है और इसे सोशल मीडिया पर भी प्रचारित किया जाता है। एसएमएस के माध्यम से क्या करें क्या न करें का व्यापक प्रचार किया जा रहा है (550 करोड़ एसएमएस भेजे गए हैं)। टेलीफोन सब्सक्राइबरों को कॉलर ट्यून संदेश 13 भाषाओं में भेजे जा रहे हैं और यह संदेश 170 करोड़ सब्सक्राइबर तक पहुंचते हैं।

एक विशेष कॉल सेंटर/हेल्पलाइन (1075) प्रारंभिक दिनों में शुरू की गई थी, ताकि समुदाय को जानकारी दी जा सके, जिसका इस्तेमाल नागरिक प्रभावी रूप से नियमित तौर पर कर रहे हैं। अब तक कुल 41.04 लाख कॉल प्राप्त हुई हैं।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सीएसआईआर और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने शिक्षाविदों, अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाओं, उद्योगजगत, स्टार्टअप और एनजीओ के माध्यम से कोविड-19 के वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिकीय सॉल्यूशन की समूची चेन को कवर किया है। इन सॉल्यूशंस में व्यवहार, प्रसार और वायरस के प्रभाव, महामारी की गणित मॉडलिंग और विश्व स्तरीय वेंटिलेटर, निदान किट, वैक्सीन, थेराप्यूटिक्स, एनटीवायरल कोटिंग्स, डिसइंफेक्टेंस, पीपीई, मास्क, मोबाइल टेस्टिंग बूथ और अस्पतालों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित टूल और जनता के लिए सूचना प्रसार जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं।

इन उद्देश्यों के लिए समूचे स्टार्टअप इको-सिस्टम की व्यापक मैपिंग की गई, ताकि वाणिज्यिक उत्पादन के लिए 110 प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और 20 से अधिक उद्योगों की पहचान कर उन्हें मदद दी जा सके। वायरस व्यवहार के सभी क्षेत्रों में 150 से अधिक परियोजनाओं की शुरुआत की गई है।

भारत सरकार उभरते परिदृश्य पर ताजा स्थिति प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन मुख्यालय, क्षेत्रीय कार्यालय और देश स्थित कार्यालय के साथ समन्वय कर रही है। भारत सरकार ने कोविड-19 से उत्पन्न चुनौती का सामना करने के लिए अन्य देशों को सहायता दी है। भारत ने कोविड की कार्रवाई के लिए जी-20 और ब्रिक्स देशों में प्रमुख भूमिका निभाई है। भारत जहां आवश्यक हो निकटवर्ती सार्क देशों को सहायता प्रदान कर रहा है।

सरकार अग्रसक्रिय रूप से कमियों की पहचान कर रही है और आत्म निर्भर भारत बना रही है, जो इसी प्रकार की भावी महामारियों, बीमारियों और आपदा की चुनौती से निपटने में सक्षम होगा। प्रधानमंत्री आत्म निर्भर स्वस्थ भारत योजना को सशक्त बनाने के लिए 65,560.98 करोड़ रुपये के व्यय वित्त ज्ञापन पर विचार किया जा रहा है। इसमें अनुसंधान, स्वास्थ्य देखभाल तथा जन-स्वास्थ्य ढांचे में निवेश शामिल हैं, जिससे विशेष रूप से महामारी प्रबंधन पर फोकस किया जाएगा।

मैं माननीय सांसदों को अवगत करा रहा हूं कि अभी कोविड के खिलाफ जंग समाप्ति से दूर है। एक ओर जब हम अनलॉक चरण में है, ताकि अर्थव्यवस्था को बहाल किया जा सके और एक संतुलित दृष्टिकोण बने, यह महत्वपूर्ण है कि कोविड के संक्रमण के फैलाव पर नियंत्रण और इसके प्रसार की चेन को तोड़ने के लिए सतत् सामुदायिक सहयोग निरंतर सुनिश्चित किया जाए।

आपके संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में कोविड समुचित व्यवहार के लिए जागरूकता विकसित करने में आपके सहयोग की अत्यंत आवश्यकता है। साधारण जन-स्वास्थ्य उपाय जैसे कि मास्क/फेस कवर डालना, बार-बार हाथ धोना, श्वस्न संबंधी शिष्टाचार और दो गज की दूरी सोशल वैक्सीन है, अगर इसका जिम्मेदारी से पालन किया जाए तो इससे कोविड पर नियंत्रण और इसके प्रसार को रोकने में हमें मदद मिलेगी।

मैं इस सदन को यह बताना चाहता हूं कि सरकार भारत में कोविड के फैलाव को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय कर रही है।

 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Health Plus
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like