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गीतांजली हॉस्पिटल में मिलेगी रोगियों को पैलिएटिव केयर

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02 Mar 20
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गीतांजली हॉस्पिटल में मिलेगी रोगियों को पैलिएटिव केयर

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर द्वारा पैलिएटिव मेडिसिन एवं सपोर्ट केयर विभाग की शुरुआत अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नयी दिल्ली एवं एशिया पेसिफ़िक होस्पिस पैलिएटिव केयर नेटवर्क के सहयोग से होने जा रही है जोकि दक्षिण राजस्थान में एक सराहनीय कदम है। पैलिएटिव केयर की जानकारी जन जन तक पहुंचाने एवं जनता में इसके प्रति जागरुकता फैलाने के सन्दर्भ में गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में संगोष्ठी का आयोजन किया गया|

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तम्बोली थे| गीतांजली के निश्चेतना विभाग की एच.ओ.डी डॉ. सुनंदा गुप्ता, डॉ. सीमा परतानी (प्रोफेसर निश्चेतना विभाग), डॉ. नवीन पाटीदार (ओंको निश्चेतना विशेषज्ञ) व निश्चेतना विभाग की टीम एवं कैंसर विभाग के सभी डॉक्टर्स उपस्तिथ थे| कार्यक्रम का संचालन डॉ. आकांशा द्वारा किया गया| इसके अंतर्गत उपस्तिथ श्रोताओं द्वारा डॉक्टर्स से सवाल जवाब भी किये गए|

जैसा कि स्पष्ट है हम सभी के जीवन में कभी ना कभी ऐसा समय आ सकता है जब हमें प्रियजनों को एक गंभीर बीमारी का सामना करना पडे| उस समय हम सबसे कमज़ोर होते है एवं आगे आने वाली परिस्थिति के लिये तैयार नहीं होते। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि हम अल्पज्ञान के कारण निर्णय नहीं ले पाते हैं। ऐसे में पेलिएटिव केयर की अहम् भूमिका रहती है|

क्या है पेलिएटिव केयर?

पेलिएटिव केयर (प्रशामक देखभाल) उन लोगों की चिकित्सा के देखभाल का एक विशेष रूप है, जिनको गंभीर बीमारी है। इस तरह की देखभाल सामान्यतया विभिन्न गंभीर बीमारियों कि जैसे कि कैंसर, एच आई वी, ल्युकेमिया, पार्किसन डिजीज, लकवा, फेफडो की गंभीर बीमारी आदि के लक्षणों तथा उससे उत्पन्न तनाव से राहत प्रदान करने के लिऐ होती है। यह सम्बल व्यावहारिक, चिकित्सकीय, सामाजिक, मनौवैज्ञानिक, आध्यात्मिक या वित्तीय हो सकती है।ऐसे समय में पेलिएटिव केयर (प्रशामक देखभाल) टीम के सदस्य काफी हद तक सहायता प्रदान करते है। इस केयर में शारीरिक उपचार के साथ-साथ टीम मरीज एवं उनके परिजनों से सलाह मशवरा भी करती है एवं सम्बल भी प्रदान करती है तथा मरीज के लिए उपलब्ध सभी उपचार के विकल्पो को समझाती है। यह देखभाल मरीज को अपने उपचार पर अधिक नियंत्रण और आत्म विश्वास प्रदान करती है।

डॉ. सुनंदा गुप्ता ने बताया कि पेलिएटिव केयर की शुरुआत 1980 में पदाम्भूषणीय डॉ. राज गोपाल द्वारा की गयी थी| उन्होंने यह भी बताया की पैलिएटिव केयर से रोगी की तकलीफ व दर्द को कम करके जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जाता है तथा पेलिएटिव केयर (प्रशामक देखभाल) प्रशिक्षित विशेषज्ञों की टीम द्वारा प्रदान की जाती है जिसमे डॉक्टर, नर्सेज के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता एवं विभिन्न विभागों (साइकोलोजिस्ट, आहार विशेषज्ञ, फिज़ियोथेरेपिस्ट आदि) के व्यक्ति जो इस क्षेत्र मे विशिष्ट है शामिल रहते हैं|

कैंसर विभाग के ओंकोसर्जन आशीष जाखेटिया ने बताया कि रोगी की कुछ अवस्थ्यायें ऐसी आ जाती है जिसमें इलाज़ होना असंभव सा हो जाता है| ऐसे समय में रोगी को समझाना आवयश्यक हो जाता है कि अब साइड इफेक्ट्स वाले इलाज से रुककर पेलिएटिव केयर सेंटर का रुख करना चाहिए जिससे कि कष्टों का निवारण हो पाए और रोगी के जीवन की गुणवत्ता को सुधारा जा सके|

डॉ. सीमा परतानी ने बताया कि पैलिएटिव केयर आज की लाइफस्टाइल के चलते इसके ज़रूरत निरंतर बढती जा रही है| उन्होंने ये भी कहा कि यह केयर गंभीर बीमारी के उपचार के साथ-साथ शुरू होती है और समस्त उपचार के दौरान एवं जीवन के अंत समय तक जारी रहती है।

जीएमसीएच सीईओ प्रतीम तम्बोली ने निश्चेतना विभाग की टीम को पैलिएटिव केयर की शुरुआत करने के उपलक्ष में बधाई दी और कहा कि निश्चेतना विभाग रोगियों को सम्पूर्ण देखभाल के साथ साथ सम्पूर्ण चिकित्सा देने के लिए सदेव प्रतिबद्ध है| गीतांजली हॉस्पिटल पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से हर प्रकार की उत्कृष्ट एवं विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है| उन्होंने ये भी कहा कि दक्षिण राजस्थान में पैलिएटिव केयर जैसी सुविधा की शुरुआत होना उदयपुरवासियों के लिए गर्व की बात है|

कार्यक्रम के अंत में डॉ. नवीन ने पैलिएटिव देखभाल में मानवीय स्पर्श के महत्व को समझाया व कहा कि पैलिएटिव व होस्पिएस देखभाल दर्द प्रबंधन, भावनात्मक और आध्यात्मिक रोगी की जरूरतों और इच्छाओं को पूरा करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल देने के लिए एक टीम दृष्टिकोण शामिल है| इसके पश्चात उपस्तिथ सभी अतिथियों, श्रोताओं को धन्यवाद दिया|


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