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साढे चार सौ महिलाएं सर्वाइकल कैंसर होने से बची

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08 Mar 19
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साढे चार सौ महिलाएं सर्वाइकल कैंसर होने से बची

उदयपुर। वर्ल्ड हैल्थ आर्गोनाइजेशन ने प्रदेश में गर्भाशय के कैंसर की स्क्रीनिंग की जिम्मेदारी जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल को दी है। इसमें महिलाओं में होने वाले कैंसर का पहले ही पता लग सकेगा और इससे होने वाली पीडा और मौतों पर अंकुश लग सकेगा। इसके पायलट प्रोजेक्ट में जीबीएच अमेरिकन हॉस्पीटल ने आठ हजार महिलाओं की स्क्रीनिंग की है, जिसमें से साढे चार सौ महिलाओं को प्रथम व द्वितीय चरण का गर्भाशय का कैंसर पाया गया है।

यह जानकारी जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल के मेडिकल ऑकोलॉजिस्ट एवं प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. मनोज यू महाजन ने प्रेस कांफ्रेंस में दी। डॉ. महाजन ने बताया कि देश में 26 से 60 वर्ष की आयु की हर साल करीब डेढ लाख महिलाएं गर्भाशय के कैंसर से ग्रसित हो रही है। समय पर इलाज नहीं होने और कैंसर तृतीय व चौथी स्टेज की गंभीर अवस्था में हो जाता है। ऐसे ही कई कारणों से महिला की मौत भी हो जाती है। इन्हीं कारणों से जहां एक और डेढ लाख महिलाएं सालाना गर्भाशय के मुंह के कैंसर से ग्रसित हो रही है, वहीं करीब 70 हजार महिलाओं की मौत भी इस कैंसर के कारण हर साल हो रही है। अब तक के सर्वे में सबसे बडा कारण महिलाओं में जागरूकता की कमी और संकोच के कारण बता नहीं पाना सामने आया है। डब्ल्यूएचओ से मिली जिम्मेदारी के बाद जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल ने खुद के स्तर पर सो६यल वर्कर तैयार किए है। इन्हें प्रशक्षण देकर गर्भाशय के कैंसर की जांच का तरीका बताया गया है। वे महिलाओं के बीच पहुंचकर अब जागरूकता का कार्य कर रहे है। इसमें वे महिलाओं को किट के उपयोग का तरीका बता रहे है ताकि महिला अपने ही परिसर में खुद की जांच कर सैंपल सो६यल वर्कर को सुपुर्द कर सकें। इस किट का उपयोग आसान होने से नेगेटिव रिपोर्ट वाली महिलाओं को अगले पांच से दस वर्ष तक गर्भाशय के मुंह का कैंसर होने का खतरा नहीं होता है। पॉजिटिव रिपोर्ट वाली महिलाओं में प्रथम व द्वितीय स्टेज के कैंसर का कोल्पोस्कापिक गाइडेड ट्रीटमेंट से बिना भर्ती किए ओपीडी बेस्ड उपचार संभव है। इस उपचार के बाद महिलाओं को जीवनभर गर्भाशय के कैंसर का खतरा नही रहता है। पॉयलट प्रोजेक्ट में चयनित हुई साढे चार सौ महिलाओं का जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल में निःशुल्क उपचार कर गर्भाशय के मुंह कैंसर होने से बचाया गया है।

मातृत्व मृत्यु दर से भी बडा आंकडा सर्विक्स कैंसर का

डब्ल्यूएचओ के डॉ. पार्थ बासू ने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने यूरोप व एशया के अलग अलग देशों में पायलट प्रोजेक्ट दो वर्ष की अवधि में पूरे करने के लिए दिए थे। जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल इन सभी देशों में पहला हॉस्पीटल चयनित हुआ जिसने प्रोजेक्ट को सिर्फ आठ महीने में पूरा कर रिपोर्ट डब्ल्यूएचओ को सुपुर्द की। महिलाओं में मातृत्व मृत्यु दर से भी बडा कारण सर्विक्स कैंसर सामने आ रहा है। इसके बावजूद अभी तक किसी भी सरकार का ध्यान इस और नहीं है। इसी गंभीर हालात को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने हर देश में इस तरह के प्रोजेक्ट लागू किए है। भारत में राजस्थान में कार्य करने के लिए जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल के साथ सांझा किया है। इसमें डब्ल्यूएचओ की टीम खुद सांझा हॉस्पीटल में पहुंचकर सो६यल वर्कर को ट्रेनिंग दे रही है। इसके बाद उन्हें फील्ड में वर्क के लिए भेजा जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामीण महिलाओं के साथ-साथ शहर की पढी लिखी महिलाएं भी इसके प्रति जागरूक नहीं है। अब हर व्यक्ति को 25 वर्ष की उम्र से कम वाली बेटियों को सर्विक्स कैंसर से बचाव का टीका लगाने और 26 से 60 वर्ष की महिलाओं को यह जांच कराकर खुद व परिवार को बचाने की जरूरत है।

जीबीएच में है कैंसर स्पेशयलिस्ट

जीबीएच के ग्रुप डायरेक्टर डॉ. आनंद झा ने बताया कि जीबीएच के चेयरमैन डॉ. कीर्ति जैन खुद वि६व प्रसिद्ध कैंसर रोग वि६ोष्ज्ञ है। उन्होंने जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल की स्थापना के साथ ही प्रयास किए थे कि एक छत के नीचे सभी तरह के कैंसर का उपचार संभव हो। इसी का नतीजा है कि जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल में मेडिकल ऑकोलॉजिस्ट डॉ. मनोज यू महाजन इस प्रोजेक्ट को भी कॉर्डिनेट कर रहे है। इस कैंसर के उपचार के लिए सर्जिकल ऑकोलॉजिस्ट डॉ. कुरेश बंबोरा, रेडिएशन ऑकोलॉजिस्ट डॉ. ममता लोढा, इंटेंसिविस्ट डॉ. भरत गुप्ता, न्यूरो आंको डॉ. अजीतसिंह, आंको पैथोलॉजिस्ट डॉ. पवन निखरा, डॉ. कविता निखरा बतौर टीम से प्रोजेक्ट की सफलता के लिए जुटे है। इस प्रोजेक्ट में सर्विक्स कैंसर की स्क्रीनिंग के साथ प्रथम व द्वितीय स्तर के कैंसर का उपचार किया जा रहा है, वहीं तृतीय व चौथी स्टेज के गंभीर कैंसर के लिए भी कैंसर की पूर्ण टीम उपचार में जुटी है। इस पूरे प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग डब्ल्यूएचओ के साथ अमेरिका में चिकित्सारत चेयरमैन डॉ. कीर्ति जैन भी कर रहे है। इसी का नतीजा है कि इस पायलट प्रोजेक्ट की सफलता पर जीबीएच मेमोरियल कैंसर हॉस्पीटल को यूरोप और फ्रांस में भी नवाजा जा चुका है। पत्र्कार वार्ता में ग्रुप डायरेक्टर मेडिकल सर्विसेज डॉ. दिनेश शर्मा भी मौजूद रहे।


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