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पुस्तक समीक्षा : ऐसा देश है मेरा-भारत भृमण

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25 Sep 20
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पुस्तक समीक्षा : ऐसा देश है मेरा-भारत भृमण

अच्छे पात्र बनाने के लिए मात्र मिट्टी ,चाक और डंडे का होना ही पर्याप्त नहीं है वरण के कुशल शिल्पी कुम्भकार का होना भी आवश्यक है। कोटा के लेखक डॉ. प्रभात कुमार सिंघल भी एक ऐसे ही कुशल शब्द शिल्पी हैं, जिन्होंने कई पुस्तकों को निबद्ध कर रचना संसार को समृद्ध बनाया है। पर्यटन को केंद्र बिंदु में रखते हुए लिखी गई उनकी पुस्तक " ऐसा देश है मेरा-भारत भृमण " भारत को जानने की जिज्ञासा रखने वालों के लिये अपने आप में समग्र कृति है। पुस्तक की सामग्री ही लेखक के अथक परिश्रम को स्वयं सिद्ध करने को पर्याप्त हैं। अथाह ज्ञान के सागर में गोते लगा कर चुने हुए फूलों को शब्दों की माला में जैसे पिरोकर रख दिया है। जबरदस्त घूमने के शोक से वह इस पुस्तक लिखने को प्रेरित हुए।
पर्यटन पर यूँ तो अनेक लेखकों ने कलम चलाई हैं, अनेक पुस्तकें बाजार में हैं, पर यह पुस्तक इस अर्थ में नवीनता लिये हुए है कि सभी राज्यों एवं संघ शाषित राज्यों को उनके प्रमुख पर्यटन स्थलों से जोड़ते हुए शुरू में हर राज्य के ऐतिहासिक,भौगोलिक, संस्कृति,पर्यावरण, जंगल, वन्यजीव, नदी, पर्वत, विशिष्ठ व्यक्तियों, कलाकारों, साहित्यकारों, कला, संगीत,नृत्य, सहित अन्य प्रमुख विशेषताओं को गागर में सागर की तरह परोस कर, शब्द संयोजन एक कहानी के रूप में इस प्रकार किया गया हैं कि पाठक को सम्बंधित राज्य की सम्पूर्ण झांकी के दिग्दर्शन होते हैं। तथ्यों को सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध रूप से इस प्रकार प्रस्तुत किया गया हैं कि पाठक पढ़ना शुरू करता है तो,अंत तक रोचकता बनी रहती हैं। भाषा सरल एवं सुुुगम है।
  भारत के समस्त राज्यों के पर्यटन स्थलों को रोचकता से प्रस्तुत करते समय ध्यान रखा गया है कि पाठक को पर्यटक स्थल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो,उसकी जिज्ञासा का समाधान हो। एतिहासिक तथ्यों की  प्रामाणिकता, प्रकृति का श्रंगार, वास्तुशिल्प -स्थापत्य की गहराई, मूर्तिशिल्प की विवेचना, घार्मिक स्थलों के प्रति जनविश्वास और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं, स्थल विशेष का महत्व पुस्तक की प्रमुख विशेषताएँ कही जा सकती हैं। देश का काफी भाग आदिवासियों का घर है, उनकी निराली एवं अनूठी परम्पराओं को भी पूरा स्थान दिया गया हैं। यथा स्थान चित्रों का उपयोग कर, प्रस्तुतिकरण को इतना प्रवाहमान बनाया गया है कि पाठक को महसूस होता है कि पढ़ने के साथ-साथ भारत भृमण कर रहा हो।
     पर्यटन के साथ भारत की समस्त विशेषताओं को रेखाँकित करती 332 पृष्ठ की भारत भृमण यात्रा, भारत के मानचित्र के अनुसार उत्तर में जम्मू-कश्मीर से शुरु हो कर पश्चिम भारत, मध्य भारत, पूर्वी भारत के राज्यों से होती गई दक्षिणी भारत के अंतिम छोर केरल राज्य के अंतिम पड़ाव पर विश्राम पाती है। देश के 28 राज्यों एवं 7 संघ शाषित प्रदेशों को 35 अध्यायों में विभक्त कर राज्यों की सिलसिलेवार जानकारी दी गई  हैं। डेल्टन पब्लिशिंग हाउस,नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक का मूल्य ₹1195/- कुछ अधिक है,इसे कम किया जा सकता था। पुस्तक का आमुख पृष्ठ एवं क्लेवर अत्यंत आकर्षक है।
  पर्यटन एवं संस्कृति पर आधारित सूचनात्मक, तथ्यात्मक,विवरणात्मक एवं रोचक दस्तावेज के रूप में सामने आई यह पुस्तक निश्चित ही भारत को जानने के इच्छुक व्यक्तियों एवं पर्यटकों के लिए तथा भारत पर्यटन विकास को बढ़ावा देने में उपयोगी साबित होगी।
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