नई दिल्ली (नीति गोपेंद्र भट्ट)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात और पर्यटन के लिए जग प्रसिद्ध उदयपुर से सटा दक्षिणी राजस्थान का आदिवासी बहुल डूंगरपुर जिला देश का पहला कोरोना मुक्त आदिवासी जिला बनने की आखिरी मंज़िल तक पहुँच गया है।
डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति और स्वच्छ राजस्थान के ब्रांड एम्बेसेडर रहें के.के .गुप्ता ने अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान विशेष साक्षात्कार में बताया कि जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अनुसार जिले में अब मात्र दो-तीन एसिम्पटमैटिक कोरोना रोगी बचे है जिनकी नेगेटिव रिपोर्ट आते ही डूंगरपुर देश का पहला कोरोना मुक्त आदिवासी जिला बन जायेगा।
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने में ‘कोरोना हारेगा, डूंगरपुर जीतेगा ‘ मॉडल के अन्तर्गत किए गए अनुकरणीय कार्यों में नागरिकों, जिला प्रशासन और सरकार की अद्वितीय भूमिका निभाई ।
साथ ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए ‘मान ले तो हार हैं और ठान ले तो जीत है...’ के मूल मन्त्र को अंगीकार कर डूंगरपुर जिले के बाशिन्दों ने कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी को हराने के लिए ज़बर्दस्त इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया। जिला प्रशासन के नेतृत्व में चिकित्सा विभाग और नगर परिषद विशेष कर सफाई कर्मियों की टीम ने कोरोना को हराने की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।विशेष कर जिला कलक्टर सुरेश ओला के नेतृत्व में उनकी टीम, पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी, अतिरिक्त कलक्टर केपी सिंह, नगरपरिषद कमीश्नर नरपतसिंह राजपुरोहित आदि के अथक प्रयास डूंगरपुर में कोविड को दूर भगाने में बड़ी भूमिका निभाई हैं। सभी ने सामूहिक रूप से कोरोना पर काबू पाने के हरसंभव प्रयासों में कोई कसर बाकी नहीं रखी ।
के के गुप्ता ने जिला प्रशासन द्वारा की गई मॉनिटरिंग को तारीफ ए काबिल बताया । कोरोना की ज़बर्दस्त मार के दौरान जिला प्रशासन अधिकारियों की टीम ने कोरोना पीड़ित लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया। इस वजह से कोरोना के स्प्रेड नहीं होने में मदद मिली।
इसके पूर्व होली के बाद फैली कोरोना लहर ने दुर्भाग्य से कई घरों के चिराग और स्वजनों को लील लिया । इससे पैदा हुए भय के वातावरण को कम करने और मरीजों की चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच सहज बनाने के लिए भी प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई ।
जिला कलक्टर ने मानवीयता की मिसाल कायम करते हुए प्रतिदिन कोविड़ अस्पताल का दौरा कर हर गतिविधि पर नजर रखी और चिकित्सा विभाग से जुड़े अधिकारियों, चिकित्सकों और नर्सिंग कार्मिकों की हौंसला अफजाई की।साथ ही व्यवस्था में पाई जाने वाली कमियों को दूर कर आवश्यक सुधार लाए। उनकी सक्रियता ने जिले के आम अवाम का आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने जिस तरह प्रतिदिन कोविड़ अस्पताल पहुंचकर चिकित्साधिकारियों से फीडबैक लिया और प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन किया, वह काबिले तारीफ है।उनके मरीजों से आत्मीय संवाद ने न केवल रिकवरी रेट में इजाफ़ा किया वरन लोगों के हौंसले और मनोबल को भी मजबूत किया।
‘जिला प्रशासन द्वारा मेरा वार्ड,मेरा गांव,मेरा जिला कोरोना मुक्त अभियान ‘के तहत सघन अभियान चलाया गया और भरी गर्मी में गांव-गांव- टापरे-टापरे पहुँचने की मेहनत रंग लाई ।
नगरपरिषद क्षेत्र में हुआ सघन वृक्षारोपण लोगों के लिए संजीवनी बना । कोरोना ने इंसानों को वृक्षों का महत्व को समझा दिया हैं ।
डूंगरपुर में बना नगर परिषद का वृद्धाश्रम,कोविड़ केयर सेंटर के रूप में रोगियों के लिए उपयोगी बना । शहर से दूर शांत एवं एकांत वातावरण में कोरोना संक्रमितों के लिए यह वृद्धाश्रम एक बेहतर सकुन केन्द्र बना ।
हर मायने में बदली डूंगरपुर के नागरिकों की सोच कोरोना वायरस से बचाव एवं सुरक्षा के मामले में खूब कारगर रही।इसी प्रकार डूंगरपुर में स्थापित हुए रोटी बैंक ने भी कोरोना काल में आमजन का खूब साथ दिया।ज़िला हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमितों के साथ आने वाले परिजनों को गुणवत्ता युक्त भोजन उपलब्ध करवाने में रोटी बैंक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस तरह कोरोना को मात देने में राजस्थान के डूंगरपुर मॉडल को अपनाने की चर्चा अब देश भर में होने लगी है।
उल्लेखनीय है कि डूंगरपुर ने विकास पुरुष के के गुप्ता के नेतृत्व में पिछलें वर्षों में स्वच्छता कार्यक्रम के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी धाक जमाई और कई अवार्ड भी जीतें। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री सहित अन्य अनेक विशिष्ट लोगों ने डूंगरपुर में किए गए स्वच्छता अभियान, जल संरक्षण,सघन वृक्षारोपण आदि सराहनीय कार्यों की मुक्त कण्ठ से सराहना की है।