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हर क्षेत्र में गिरावट, आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है देश

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18 Aug 19
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हर क्षेत्र में गिरावट, आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है देश

           डॉ के. सी. श्रृंगी ने बताया कि आज भारत आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। व्रद्धि दर निरंतर कम हो रही है। आर्थिक मंदी से निवेश नहीं हो रहा है,नौकरियां नहीं मिल रही हैं और प्रगति आगे नहीं बढ़ पा रही है।श्रंगी आज कोटा के श्री करणी नगर विकास समिति के आश्रय भवन में ‘क्या भारतीय अर्थ व्यवस्था मंदी/सुस्ती की ओर अग्रसर है?’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।

           उन्होंने कहा कि एक प्रश्न बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों तथा आम जनता में उठ रहा है कि जो अर्थव्यवस्था दौड़ रही थी वह कैसे सुस्त पड़ गई है। आज मंदी उसी प्रकार की है जैसी 2008 में आई थी। 23 सेक्टरों में ग्रोथ देखी जाती है। उसमें अधिकांश में मंदी आ गई है। ग्रोथ रेट 7 की रेट से मंदी बढ़ रही थी, 5.8 आ गई है। इसका अर्थ है कि सुस्ती आ गई है. त्योहारों के मौसम में प्रगति आ सकती है। संगठित क्षेत्र में ऑटोमोबाइल्स में गिरावट आई है। 

       उन्होंने बताया कि यूजिंग सेक्टर बैंकिंग सेक्टरः घरेलू सामानों की बिक्री में सुस्ती देखने को मिलती है। नए निवेश नहीं हो रहे हैं, पुराने प्रोडक्ट बिक नहीं रहे हैं। भारत में निवेश न करके बाहर निवेश करने के लिए उद्यत है। नौकरियां नहीं मिल रही है, प्रगति के स्थान पर अवनति हो रही है। कीमतें गिर रही है इसलिए भी निवेश नहीं मिल रहा है। 

           प्राइवेट सेक्टर में एक दम से गिरावट आ गई है। लोगों ने अपने खर्च किए हैं फलतः नोटबंदी के कारण रहा है। जीएसटी भी अनुभवहीनता के कारण सही नहीं रहा। आशानुकूल राजस्व नहीं आ रहा है। नए बाजार में भी ग्रोथ की ओर ध्यान नहीं दिया गया। विदेशी निवेश कम हो रहा है। नया आ नहीं रहा कृषि क्षेत्र में भी मंदी आ गई है। कोई खेती नहीं करना चाहता। इनकी आय में कमी हो गई है। खर्चा करने की क्षमता कम हो रही है। ट्रेड-वार भी इसका एक कारण है। कंपनियों पर कर्जा भी बढ़ा हुआ है। 

       उन्होंने कहाअनिश्चितता व्याप्त हो रही है, इसलिए भी सुस्ती आ रही है। समस्या का समाधान क्या है, क्या हो सकता है, सरकार उदासीन है। सरकार निवेश करेगी। कई योजनाएं आ रही है, बहुत ज्यादा पॉजिटिव नहीं है अनिश्चितता की स्थिति पर पार पाना आवश्यक है। 

        इसी घड़ी में श्रीमती निवेदिता जी उपाध्यक्ष श्री विवेकानंद शिला स्मारक संस्थान द्वारा स्वामी जी का संदेश है हमारे जीवन में हमें समाज के लिए कार्य करना चाहिए। मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य आत्मानुभूति का है। सभी मैं अपनी आत्मा की अनुभूति करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। जो हम सभी के परम शक्ति अर्थात चैतन्य का अनुभव करें। हम सभी चार आश्रमों में तदनुकुल कार्य करें। सभी अव्यवस्था में संयम रखना अपेक्षित है। सभी व्यवस्थाओं में अपेक्षित सामाजिक कार्य करना चाहिए। अपने सामथ्र्य और शक्ति तथा अनुभव का लाभ समाज को देना चाहिए। निस्वार्थ तथा निरागृही होना यदापी कठिन है तथापि कष्ट सहिष्णु बनकर कार्य करना अपेक्षित है। अपने में स्थित ईश्वरीयता को दूसरों में देखना है यह संयम से संभव है। अंत में प्रो. हरिमोहन शर्मा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया


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