नई दिल्ली: ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में आम आदमी पार्टी को झटका लगा है. पीटीआई की रिपोर्ट के हवाले से खबर है कि आप के 20 विधायक अयोग्य करार दे दिए गए हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर कर लिया है और इसके बाद आम आदमी पार्टी के 20 विधायक अयोग्य करार दिए गए हैं.
गौरतलब है कि 19 जनवरी को लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था और अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी थी. आम आदमी पार्टी ने आयोग के इस कदम के बाद दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से भी उसे कोई फौरी राहत नहीं मिल पाई थी.
ये हैं अयोग्य करार दिए गए 'आप' के 20 विधायक,आदर्श शास्त्री,अलका लांबा,संजीव झा,कैलाश गहलोत ,विजेंदर गर्ग ,प्रवीण कुमार ,शरद कुमार चौहान,मदन लाल ,शिव चरण गोयल,सरिता सिंह,नरेश यादव ,राजेश गुप्ता ,राजेश ऋषि ,अनिल कुमार बाजपेई .सोम दत्त ,अवतार सिंह ,सुखबीर सिंह ,मनोज कुमार ,नितिन त्यागी & जरनैल सिंह
आम आदमी पार्टी ने नेता गोपाल राय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'राष्ट्रपति ने 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. अभी न्याय के लिए हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. चुनाव आयोग ने पक्षपातपूर्ण फैसला किया है. हम भाजपा के हर षड्यंत्र के खिलाफ लड़ने को तैयार हैं.'
बता दें कि दिल्ली सरकार ने 2015 में अलग-अलग विभागों में काम काज का जायजा लेने के लिए संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी. हलांकि ये नियुक्ति शुरुआत से ही विवादों में रही. ऐसा नहीं है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने ही ऐसे संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी.
इससे पहले भाजपा के शासनकाल में एक जबकि शीला दीक्षित के शासनकाल में पहले एक और फिर बाद में तीन संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी. लेकिन AAP सरकार इनसब से काफी आगे निकल गई और संसदीय सचिवों की गिनती सीधे 21 पर पहुंच गई. हालांकि, पिछले साल राजौरी गार्डन में AAP के उम्मीदवार की हार के साथ संसदीय सचिव बने विधायकों की संख्या 20 रह गई थी.
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