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भूगोल विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन, अगली जैसलमेर में

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13 Jan 19
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भूगोल विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन, अगली जैसलमेर में

चित्तौडगढ भूगोल विषय में नवाचार, नए दृष्टिकोण और नई ऊर्जा के साथ सतत विकास की अवधारणा को आमजन तक पंहुचाने का संकल्प लेकर देशभर के ३०० से अधिक शोधार्थियों ने चित्तौड से विदा ली ।

’सुखद भविष्य के लिए पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक विकास को लेकर वैश्विक चुनौतियां‘‘ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बी.एल. चौधरी ने कहा कि जब कोई साहित्य नहीं था तब प्रकृति सर्वाधिक सुरक्षित थी और आज पर्याप्त साहित्य के होते हुए प्रकृति असुरक्षित होती जा रही है। प्रो. चौधरी ने उपनिषद् के श्लकों का उदाहरण देते हुए कहा कि त्याग पूर्वक भोग से ही प्रकृति संरक्षित रह सकती है तथा विश्व कल्याण संभव है। उन्होने क्षोभ जताते हुए कहा कि सतत विकास की बात तो सब करते हैं लेकिन उस पर अमल करने वाले बहुत कम है, सिर्फ कागजों में बात हो रही है। कानून बनाने और जानने वाले ही कानून का सर्वाधिक उल्लंघन कर रहे हैं । प्रो. चौधरी ने इन परिस्थितियों में शिक्षित वर्ग को और भी ज्यादा उत्तरदायित्व के प्रति सजग रहते हुए आमजन को जागरूक करने का आह्वान किया ।

संगोष्ठी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए आयोजक सचिव डॉ. नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि इस सफल आयोजन के पीछे सिर्फ और सिर्फ टीम भावना है और हम अपेक्षा से बेहतर कर पाये। महविद्याालय प्राचार्य प्रो. बी.एल. आचार्य ने अध्यक्षीय तथा भूगोल विभागाध्यक्ष निर्मल कुमार देसाई ने स्वागत उद्बोधन दिया । छात्रसंघ अध्यक्ष पहलवान सालवी ने कहा कि छात्रशक्ति राष्ट्रीय शक्ति है और इसी दृष्टिकोण से इस प्रकार के आयोजन हमारे लिए मार्गदर्शक का काम करते है। डॉ. सुषमा लोठ ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में आरजीए के सरंक्षक प्रो. माईनुद्दीन शेख, पूर्व अध्यक्ष डॉ. जयदीप, उपाध्यक्ष आर.एल शर्मा के साथ ही व्याख्याता, शोधार्थी, विद्यार्थी और भूगोलवेत्ता मौजूद रहे।

यंग साइन्सटिस्ट अवार्ड

तीन दिवसीय इस संगोष्ठी के दौरान विभिन्न चरणों की चयन प्रक्रिया के बाद दो युवाओं शोधार्थियों को यंग साइन्सटिस्ट अवार्ड से सम्मानित किया गया। भोपाल के अमित दैमन को प्रथम पुरस्कार और राजसथान यूनिवर्सिटी जयपुर के सत्यनारायण नागर को द्वितीय पुरस्कार दिया गया । पुरस्कार के रूप में स्मृति चिह्न के साथ क्रमशः इकतीस सौ और इक्कीस सौ रूपये नगद दिए गए। अमित देवन ने जहां अपना शोध जियो स्पेचल अंप्रोच फॉर मैंपिंग मानिटरिंग एंड कन्वेरसेशन ऑफ स्कर्ड ग्रोवस विषय के जरिये आधुनिक भूगोल विज्ञान पर केन्दि्रत किया वहीं सत्यनारायण नागर का शोध परम्परागत रूप से ग्रामीण विकास और प्रादेशिक प्रतिरूप पर केन्दि्रत रहा ।

प्रतिभागियो के संस्मरण, वालियन्टर्स पर केन्दि्रत

अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रतिभागी मिलन यादव ने कहा कि शिक्षक को अपने योग्य शिष्य से हारने में जो खुशी मिलती है वो हम आज महसूस करे रहे हैं। हमारे द्वारा पूर्व में किए गए आयोजनों की तुलना में यहां के युवा साथियों ने कई गुणा बेहतर किया है। राजस्थान विश्वविद्याालय की सरीना कालिया ने कहा कि जिस प्रकार का वॉलियन्टर्स प्रबंधन यहां के छात्रों के रूप में सामने आया है उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। आयोजकों ने युवा शक्ति का सकारात्मक उपयोग किया है। बालुराम मीणा ने इस प्रकार के आयोजनों को ऊर्जादायक बताते हुए कहा कि हम यहां से कुछ और बेहतर करने का दृष्टिकोण लेकर जा रहे हैं।

अगली कॉन्फ्रेंस जैसलमेर में

समापन सत्र में आगामी कान्फ्रेंस जैसलमेर में होने की घोषणा करते हुए राजस्थान भूगोल परिषद के महासचिव श्याम सुन्दर भट्ट ने आरजीए की वर्तमान कार्यकारिणी भी घोषित की। कार्यकारिणी में सरंक्षक प्रो. माईनुद्दीन शेख, अध्यक्ष डॉ. धर्मेंन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. सरीना कालिया, श्री इन्द्राज गुर्जर, महासचिव डॉ. श्याम सुन्दर भट्ट, संयुक्त सचिव डॉ.बी.पी.शर्मा,कोषाध्यक्ष डॉ. एस.के. जांगिड, सम्पादक डॉ. रामनारायण शर्मा को मनोनीत किया गया । कार्यकारिणी सदस्य के रूप में डॉ. शैलेन्द्र सिंह -प्रतापगढ, श्री साहिल चौधरी - टौंक, सुनीत मील-सुमेरपुर, हरलाल मील - हनुमानगढ, डॉ. जयदीप- पूर्व अध्यक्ष, डॉ. मनोज कुमार सैनी - जयपुर, हरिचरण मीणा- करौली, डॉ. भारतेन्दू गौतम - बूंदी,डॉ. एन.आर दाश- बडौदा, डॉ. नरेन्द्र गुप्ता - चित्तौडगढ को मनोनीत किया गया ।

पुस्तक का विमोचन

कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान के व्याख्याता डॉ. अरूण चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक ऑरगेनिक इवेल्यूशन का विमोचन प्रो. बी.एल चौधरी और मंचासीन अतिथियों के द्वारा किया गया । प्राचार्य प्रो. बी.एल. आचार्य के आगामी दो माह बाद सेवानिवृत होने पर राजस्थान भूगोल परिषद की कार्यकारिणी द्वारा अभिनन्दन किया गया।


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