मायाचारियों का कभी नहीं होता मोक्षः आचार्य विमदसागरजी
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26 Aug 16
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उदयपुर, आदिनाथ भवन सेक्टर 11 में भक्तामर शिविर के दौरान आयोजित प्रातःकालीन धर्मसभा में आचार्यश्री विमद सागरजी महाराज ने कहा कि आज का मनुष्य क्रोध, मान, माया, लोभ और अहंकार से भरा हुआ है। ऐसा मनुष्य देव शास्त्र, गुरू और प्रभु की पूजा करता भी है तो वह निष्फल होती है। ऐसे मायाचारी मनुष्यों का कभी मोक्ष नहीं हो पाता है। मनुष्य को जिन वाणी पर विश्वास करना चाहिये, निज वाणी पर नहीं। आचार्यश्री ने कहा कि सन्त की वाणी से सभा में अमृत बरसता है, जबकि निज वाणी से जहर बरसता है, समाज में कडुआहट का जहर फैलता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा प्रभु की भक्ति, देव शास्त्र और गुरूवाणी पर ही भरोसा करना चाहिये। हमें मनुष्य जीवन बडी ही दुर्लभता से मिला है, इसे निरर्थक नहीं गंवा कर इसे सार्थक बनाना चाहिये।
आचार्यश्री ने कहा कि जो कषाय और राग द्वषों से भरा हुआ है उसे प्रभु के दर्शन कैसे हो सकते हैं। जो क्रोधी है उससे क्षमा की उम्मीद व्यर्थ है। जो मान से भरा है उससे विनय की अपेक्षा बेकार है। जो मायाचारी है उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता, जो लोभी है उससे ईमानदारी की अपेक्षा नहीं की जा सकती और जो द्वेष पाल कर रखता हो उसमें निष्पक्षता नहीं आ सकती। जब तक मनुष्य इन सारे राग, द्वेष और कषायों से मुक्त नहीं होगा तब तक वह संसार सागर से पार नहीं पा सकता, घर और बाहर उसके जीवन में सुख शांति का वास नहीं हो सकता।
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