नईं दिल्ली। देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर बीते वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी जनवरी-मार्च की तिमाही में घटकर 3.1 प्रतिशत पर आ गईं है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत रही थी। 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का सबसे कमजोर आंकड़ा है।
कहा जा रहा है कि वृद्धि दर में गिरावट का सबसे बुरा दौर अभी आना है। इसकी वजह कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन है। राष्ट्रव्यापी बंद का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ा है, इसका पता अगली तिमाही यानी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के आंकड़े आने के बाद चलेगा। सरकार ने एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को बंद करने की शुरआत मार्च के अंतिम सप्ताह से की थी। 25 मार्च से लागू लॉकडाउन को पहले ही तीन बार बढ़ाया जा चुका है। हालांकि, इस महीने की शुरआत से सरकार ने लॉकडाउन के दौरान कुछ छूट दी हैं।
सांख्यिकी और कार्यांम ाियान्वयन मंत्रालय ने शुावार को कहा कि बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 1.4 प्रतिशत की गिरावट आईं है, जबकि एक साल पहले समान तिमाही में इसमें 2.1 प्रतिशत की वृद्धि हुईं थी। हालांकि, कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बढ़कर 5.9 प्रतिशत पर पहुंच गईं, जो एक साल पहले की समान तिमाही में 1.6 प्रतिशत थी।आंकड़ों के अनुसार, पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर गिरकर 4.2 प्रतिशत रह गईं है।