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बचत योजनाओं में जमा धन के नियम होंगे उदार

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14 Feb 18
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सरकार लघु बचत योजनाओं से जुड़े कानून में बदलाव करने जा रही है। नए कानून में पीपीएफ खाताधारक को पांच साल की अवधि से पहले भी अपने अकाउंट बंद कराने की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस बदलाव के बाद छोटे निवेशकों को कई अन्य तरह के लाभ भी मिलने की उम्मीद है।सरकार ने लड़कियों, वरिष्ठ नागरिकों और लघु बचत योजनाओं में निवेश करने वालों के हितों का ध्यान रखते हुए इससे जुड़े कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है। नियमित बचत करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए लघु बचत कानूनों में संशोधन करते हुए बचत प्रमाण पत्र कानून 1959, लोक भविष्य निधि कानून 1968 और सरकारी बचत बैंक कानून 1873 के विलय का प्रस्ताव किया गया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, लघु बचत स्कीमों को लेकर कई कानून हैं। ‘‘न्यूनतम सरकार अधिकतम सुशासन’ की अवधारणा के तहत सरकार ने इन तीन कानूनों का विलय करने का प्रस्ताव किया है।मिली जानकारी के अनुसार सरकारी बचत प्रमाण पत्र (एनएससी) कानून 1959 और लोक भविष्य निधि कानून 1968 के प्रावधानों को भी नए कानून में शामिल किया जाएगा। सरकार का कहना है कि प्रस्तावित सरकारी बचत प्रोत्साहन कानून में पीपीएफ कानून को समाहित करने के दौरान निवेशकों के हित संरक्षण का ध्यान रखा जाएगा। इसके लिए जमाकर्ताओं के किसी लाभ को समाप्त नहीं किया जाएगा बल्कि नया कानून बनाने की मंशा जमाकर्ताओं के लिए कानून को सरल बनाना है। इसके जरिये निवेशकों को छूट भी दी जा सकेगी।सरकार ने कहा कि लोक भविष्य निधि खाते को जब्त करने के संबंध में अक्सर चिंता जताई जाती रही है, लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि इस तरह का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। वर्तमान और भविष्य के सभी निवेशकों को संशोधित कानून में भी पूरा संरक्षण दिया जाएगा। नए कानून में किए जा रहे प्रावधानों के तहत यदि जमाकर्ता चाहेगा तो पांच वर्ष पूर्ण होने से पहले भी पीपीएफ खाते को बंद कर सकता है। मौजूदा कानून के अनुसार, कोई भी पीपीएफ खाता पांच वित्त वर्ष पूरा किए बगैर बंद नहीं किया जा सकता है। सभी स्कीमों के लिए अपरिपक्व बंदी की व्यवस्था होगी। अब लघु बचत स्कीमों की अपरिपक्व बंदी चिकित्सा, उच्च शिक्षा की जरूरतें पूरी करने के लिए की जा सकेगी।अव्यस्कों के लिए अब अभिभावक लघु बचत स्कीम में निवेश कर सकेंगे। इसमें अभिभावक को भी अधिकार और जिम्मेदारियां दिये जाने के प्रावधान है। वर्तमान कानून में अव्यस्कों द्वारा जमा किए जाने के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। नए कानून में बच्चों में बचत की भावना जागृत करने के उद्देश्य से यह प्रावधान किया गया है। दिव्यांगों के नाम पर भी खाता शुरू करने के वर्तमान तीनों कानूनों में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है लेकिन नए कानून में इसके लिए भी उपाय किए गए हैं।
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