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स्वयं का उद्योग, मील का पत्थर साबिेत होगी योजना, बनेंगे आत्मनिर्भर

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11 Sep 20
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स्वयं का उद्योग, मील का पत्थर साबिेत होगी योजना, बनेंगे आत्मनिर्भर

भीलवाड़ा  / वर्तमान परिस्थितियों में खेतीबाड़ी के तौर तरीको के साथ उन्नत कृषि को अपनाकर उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है एवं उत्पाद का सही मूल्य संवर्द्धन हो इसके लिए  कृषक संबंधित उत्पाद का स्वयं का उद्योग लगाकर आत्मनिर्भरता हासिल कर सकते है। सरकार ने राजस्थान कृषि प्रसंस्करण, कृषि व्यवसाय एवं कृषि निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 लागू की है।  उद्योग लगाओ आय बढाओ थीम के अन्तर्गत एक करोड रु0 तक का उद्योग कोई भी किसान लगा सकता है जो ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की आय के लिये मील का पत्थर स्थापित होगी।
            योजना का मुख्य उद्देश्य कृषक अपने उत्पादन के पश्चात् उन उत्पादों का कच्चे से पक्के में तबदील करने के लिये उद्योग लगाओ-आय बढाओ है। जिससे उनके उत्पादों का सही मूल्य संवर्धन हांसिल हो सके एवं उनकी आर्थिक स्थिति में इजाफा हो और ये उत्पाद घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पहुंचे जिससे आत्मनिर्भरता की ओैर आगे बढा जा सके।
        राज्य सरकार की उक्त योजना के अन्तर्गत कृषि प्रसंस्करणों एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए कृषक एवं उनके संगठनों को परियोजना लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 100 लाख रु0 की सीमा तक अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार कृषि प्रसंस्करण उद्योगों एवं आधारभूत संरचनाओं के विकास के लिए पात्रा उद्यमियों को 25 फीसदी अधिकतम 50 लाख रु0 की सीमा तक अनुदान दिये जाने का प्रावधा8न है। भारत सरकार के विभागों, संस्थानों-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि द्वारा संचालित योजना में स्वीकृत परियोजनाओं पर लागत का 10 प्रतिशत अतिरिक्त अनुदान दिये जाने का प्रावधान किया गया है। जिसमें 100 लाख एवं अन्य उद्यमियों के लिये 50 लाख रु0 अधिकतम अनुदान की सीमा तय की गई है।
           योजना के अंतर्गत फल और सब्जियां प्रसंस्करण, मशाला, अनाज, खाद्य उत्पाद, तिलहन उत्पाद, चांवल और आटा मिलिंग, हर्बल, औषधीय, फूल और सुगंधित उत्पाद, लघु वन उपज प्रसंस्करण के अलावा शहद, गैर खाद्य  कृषि, खाद्य जायके आदि उद्योग कृषक अपने उत्पादों के लगा सकते हैं। इसी तरह पशुपालन के क्षेत्रा में दूध प्रसंस्करण, मांस, मुर्गी,  मत्स्य,  केटल फीड, मुर्गी दाना, फिश मील आदि उद्योग शामिल किये गये हैं।  इन उद्योगों के लिये भारतीय रिजर्व बैंक से  मान्यता प्राप्त वित्तिय संस्थान, अनुसूचित बैंकों से सावधी ऋण लिये जाने पर 5 प्रतिशत की दर से 5 वर्ष तक उद्योगों के लिये अधिकतम 50 लाख रु0 एवं आधारभूत संरचना इकाई के लिये 100 लाख रु0 ब्याज अनुदान दिये जाने का प्रावधान है।
           उक्त योजना के अन्तर्गत 137 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिनमें 53 आवेदनों को स्वीकृत किया जाकर 84 प्रक्रियाधीन है। इनमें 75.39 करोड रु0 की स्वीकृति हुई है। इस तरह 53 प्रकरणों में 18.12 करोड रु0 का अनुदान भी स्वीकृत किया गया है जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है।


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