भीलवाड़ा -जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है, सिंध के गौरवमयी इतिहास को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सिंध स्मृति दिवस का आयोजन भारतीय सिंधु सभा व पूज्य सिंधी पंचायतों के साथ धार्मिक संगठनों द्वारा देशभर में आयोजित किया जाता है। आजादी मिलने की खुशी हरेक के दिल में है, परंतु अपनी माता से बिछड़ने का दर्द सभी को है। सिंध मिलकर अखंड भारत बनेगा। हरी शेवा उदासीन आश्रम में स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत माता की आरती एवं पूजन अर्चन किया गया। प्रतिवर्ष इस दिन को सिंधी स्मृति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलित किए। उन्होंने बताया कि इस दिन अखंड भारत से सिंध प्रांत के निवासी अपने प्रांत को छोड़कर भारतवर्ष में आए थे, इसीलिए इस दिन को सिंधी स्मृति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है । संपूर्ण भारत के सिंधी भाषी लोग उस दिन अपने पूर्वजों के त्याग एवं बलिदान को याद करते हुए अपनी जन्म भूमि को प्रणाम करते हैं एवं अपनी जन्म भूमि को अखंड भारत के रूप में देखने का सपना संजोए हुए हैंl