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त्याग एवं परोपकार द्वारा मनुष्य गति को सार्थक बनाये - सुकुन मुनि

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18 Feb 20
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त्याग एवं परोपकार द्वारा मनुष्य गति को सार्थक बनाये - सुकुन मुनि

नरक गति, तिर्यंच गति, मनुष्य गति एवं देव गति में उत्कृष्ट मनुष्य गति को माना गया है। अतः हमंे इस अनमोल मानव जीवन को तप, त्याग एवं परोपकार से सार्थक बनाना चाहिये। यह विचार प्रवर्तक सुकुन मुनि ने अहिंसा भवन में सोमवार को अपने प्रवचन के दौरान बताये। जीवन मरण के इस चक्र से मुक्त होकर मोक्ष की तरफ कदम बढ़ाना है तो धरम पथ पर चलना होगा। राग, द्वेष, मोह, माया एवं अहंकार जैसे कषायांे को छोड़ना होगा। तप, त्याग, आराधना एवं परोपकार करने से अनंत इच्छाओं से निवृति पा सकते है।

संघ अध्यक्ष अशोक पोखरना ने बताया कि नानेश मुनि ने अपने प्रवचन के दौरान बताया कि अहंकार विनाश का मूल कारण है इसे विनय भाव से दूर करना चाहिये। हरीश मुनि ने बताया कि मनुष्य की अनंत जिज्ञासाआंे का निदान अन्तर्मन से चिंतन करने से निकल सकता है। धर्म सभा का संचालन रिखबचंद पीपाड़ा ने किया।

इससे पहले आज प्रातःकाल पूर्व सभापति मंजू पोखरना के आवास पर आयोजित धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए सुकुन मुनि ने कहा कि धर्म एवं संयम पथ पर चलने वाला व्यक्ति वीर होता है।


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