गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय में संगोष्ठी
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04 Nov 17
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बांसवाड़ा /गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय में ‘भारत के संदर्भ में चीन की आर्थिक चुनौतियाँ’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात विचारक एवं चिंतक हनुमान सिंह राठौड़ ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे भारतीय जनमानस की दूरदर्शिता का अभाव हीे चीन के आर्थिक साम्राज्यवाद के जनक है।् उन्होने बताया कि भारत वर्ष सदैव ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ का पोषक रहा हैं। जिसके कारण ही साम्यवादी चीन हमेशा एशिया का प्रतिनिधित्व विश्व मंच पर करता रहा किन्तु भारत की इस उदारता का चीन ने अनुचित उपयोग किया जिसके कारण से आज देश की एकता, अखण्डता और अक्षुण्ता के लिए चीन नासुर बन चुका है।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय उदयपुर के कुुलपति प्रो. एस.एस.सारंगदेवोत ने नैतिक मूल्यों के पतन और राष्ट्रीय जागरूकता के अभाव से चीन के भारतीय बाजार पर बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करते हुए बताया कि ज्ञान और संस्कृति के लिए प्राचीन काल से ही चीन भारत पर आश्रित रहा है। चीन बदलते परिवेश में भारत के लिए आर्थिक, भौगोलिक और सामरिक क्षेत्र में अनेक समस्याओं का जन्मदाता बन रहा हैं जिसके पीछे जन चेतना का अभाव सबसे प्रमुख कारण है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए गोविन्द गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय बाँसवाड़ा के कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने अनेक उद्वरणों के माध्यम से चीन की नीतियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि चीन एक ऐसा पड़ौसी देश है जिसके लिए आर्थिक साम्राज्यवाद से बढकर के कोई कार्य नहीं हैं। उन्हांेने बताया कि चीन का 60 प्रतिशत औद्यौगिक उत्पादन निर्यात पर आधारित हैं। इसलिये चीन के अस्तित्व को बचाने के लिए वहां की सरकार अपनी हर योजना निर्यात को केन्द्र में रखकर बनाती है।
उन्हांेने बताया कि देश में फिक्की द्वारा किये गये सर्वेक्षण से प्रमाणित होता है कि चीन का चीनी वस्तुओं का भारत मे प्रचलन बढ़ता रहा तो आने वाले समय में भारत के अधिकांश उद्योग धन्धे बन्द हो जायेंगे और बेरोजगारी बड़े पैमाने पर फैलेगी। जिससे बचने के लिए समय रहते व्यक्तिगत लाभ के स्थान पर सार्वजनिक हित का चिन्तन अत्यन्त आवश्यक है। प्रो. सोडाणी ने बताया कि चीन के कारण से भारत के कई परम्परागत उद्याोग जैसे फिरोजाबाद का काँच उद्योग, लुधियाना का साईकिल उद्योग, सूती वस्त्र उद्याोग आदि समाप्त हो रहे है। समाज में देश के लिये उभरते हुए संकट के इस विषय के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही विश्वविद्यालय इस प्रकार की संगोष्ठियों का आयोजन करता है। उन्होने विद्यार्थियों से चीनी वस्तुओं के स्थान पर देश में बनी हुई वस्तुओं का प्राथमिकता से उपयोग करने की प्रतिज्ञा करने का आह्वान किया।
उपस्थित अतिथियों का स्वागत एवं संगोष्ठी का विषय निरूपण कुलसचिव सोहनलाल कठात ने किया। अतिथियों का माल्यार्पण से स्वागत डॉ. सर्वजीत दूबे , डॉ. राकेश डामोर, श्री पुष्पेन्द्र पण्ड्या, डॉ महीपाल सिंह राव, डॉ युवराज ने किया। सरस्वती वन्दना एवं राष्ट्रगान का गायन सुश्री रिया उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ नरेन्द्र पानेरी ने किया एवं आभार प्रदर्शन डॉ. महीपाल ंिसंह ने किया ।
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