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54 हजा़र से अधिक नौनिहाल हो रहे स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषाहार से खुशहाल

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14 Nov 19
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54 हजा़र से अधिक नौनिहाल हो रहे स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषाहार से खुशहाल

आंगनवाडी में बच्चों की बेहतर उपस्थिति और ठहराव हिन्दुस्तान जिं़क की खुशी परियोजना के लिए महत्वपूर्ण था। साथ ही बच्चों के सर्वागिण विकास जिससे उनके स्वास्थ्य,शिक्षा और पोषण को सुनिश्चित करने में खुशी परियोजना वरदान साबित हो रही है। इस परियोजना से वर्तमान में प्रदेश के 5 जिलो की 3117 आंगनवाडी केन्द्रों के 54 हजार बच्चें लाभान्वित हो रहे है।
जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के बाल विकास संस्थानों के माध्यम से मौजूदा कर्मचारियों, मास्टर ट्रेनर और आंगनवाड़ी पर्यवेक्षकों के लिए तकनीकी सहायता प्रणाली को मजबूत कर खास तौर पर आंगनवाड़ी केंद्रों में उपस्थित बच्चों की उपस्थिति, ठहराव और वृद्धि निगरानी को बढावा मिला है। इन केन्द्रों पर बच्चों के लिए अनुकूल और अधिक सुविधाजनक व्यवस्था बनाने के लिए बुनियादी ढांचे की मरम्मत और रखरखाव के संबंध में चयनित आंगनवाड़ी केन्द्रों में जरूरी आवश्यकताओं को पूरा किया जा रहा है।
“मुस्कुराती गुडिया और खिलखिलाता राजू आज हर आंगनवाडी केंद्र के पहचान है। गुडिया और राजू को अब आंगनवाडी केंद्र आना अच्छा लगता है. वे रोज यहाँ आकर पूरे चार घंटे शाला पूर्व शिक्षा लेते हैं और हँसते- खेलते घर लौटते हैं. इसी में उनके परिजनों के खुशी भी झलकती है।
खुशी परियोजना, हिंदुस्तान जिंक द्वारा राजस्थान के 5 जिलों के 3117 आंगनवाडी केन्द्रों को सशक्त एवं मॉडल बनाने का एक सार्थक प्रयास है। परियोजना के तहत आंगनवाडी केन्द्रों पर समेकित बाल विकास योजना द्वारा प्रदत्त सभी 6 मुख्य सेवाओं को मजबूत करना है, जिसमे पोषक तत्वो से पूर्ण पूरक पोषाहार उपलब्ध करवाना, शाला पूर्व शिक्षा का सुचारू क्रियान्वयन, रेफरल सुविधाओं और बच्चों के स्वास्थ्य और स्वच्छता को बेहतर बनाते हुए समुदाय की भागीदारी को बढ़ाना और ढांचागत निर्माण में सहयोग करना है. चयनित जिलों में राजसमन्द, उदयपुर, चितौडगढ़, अजमेर तथा भीलवाड़ा है।
पिछले 03 सालों में खुशी परियोजना के माध्यम से बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर सार्थक प्रयास हुए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से आंगनवाडी केन्द्रों के बेहतर संचालन में खुशी ने अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई है। खुशी आंगनवाडी केन्द्रों में समय पर खुलने, बच्चों के नियमित उपस्थिति और पूरे समय केंद्र पर उनके ठहराव, समय पर गुणवत्तापूर्ण पोषाहार, आदि में बहुत सकारात्मक सार्थक परिणाम लाकर दिखाए हैं। साथ ही बच्चों के अभिभावकों और समुदाय की भागीदारी भी केंद्र में बढ़ी है.

स्कूल रेडीनेस पर जोर
आंगनवाडी केंद्र के बाद बच्चे स्कूल में नामांकित होकर ड्राप आउट न हो और वे वहां नियमित शिक्षा प्राप्त करे, इस पर खुशी ने शुरू से ही फोकस किया। 3 वर्ष से 6 वर्ष के दौरान बच्चों की शाला पूर्व शिक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से विविध गतिविधियों को शुरू किया गया। बच्चों के लिए किट निर्माण और वितरण, खिलौनों सहित आंगनवाडी कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण ने भी इसमें बदलाव लाने में सहायता की, सतत कोशिशों का ही परिणाम रहा कि आज खुशी केन्द्रों से स्कूल में नामांकित होने वाले बच्चे वहां के माहौल में ढल रहे हैं। देलवाड़ा (खमनोर, राजसमन्द) की आंगनवाडी कार्यक्र्ता बिलकिस बानो बताती हैं, ‘‘बच्चों की शाला पूर्व शिक्षा में आया परिवर्तन देखते ही बनता है. अब बच्चे पुरे समय केंद्र पर रुकते हैं और विविध गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेते हैं।‘‘
स्वास्थ्य जांच, नवाचारों और सीमेम कैंप ने कुपोषण को दी मात
2016 में राजसमन्द के कुछ बच्चों को अतिकुपोषण के चलते अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इसके बाद उदयपुर में भी कुछ ऐसे मामले सामने आये। मामले की गंभीरता को समझते हुए हिंदुस्तान जिंक ने राज्य सरकार का सहयोग लेते हुए बच्चों की स्वास्थ्य और पोषण स्तर की जांच का जिम्मा लिया। इनमे अधिकांश बच्चे 3 साल से छोटे थे और अपने घरों में ही थे। ऐसे में हिंदुस्तान जिंक ने अलग अलग नवाचारों से बच्चों के पोषण स्तर को सुधारा लगातार जांच और फोलो अप, बच्चों के लिए पोषकतत्वों से पूर्ण पूरक पोषाहार के साथ साथ जमीनी स्तर पर निगरानी की गयी। आंगनवाडी केन्द्रों पर किचन गार्डन विकसित करते हुए पूरक पोषाहार को और पौष्टिक बनाया गया। गर्भवती धात्री महिलाओं, अभिभावकों और आंगनवाडी कार्यकर्ताओं के साथ रेसिपी निर्माण कार्यशालाओं के द्वारा उन्हें अलग अलग पौष्टिक भोजन बनाने और उन्हें बच्चों को खिलाने का प्रशिक्षण दिया गया. घर घर जाकर बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी। इन सब सम्मिलित प्रयासों का परिणाम यह रहा कि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया। अच्छे स्वास्थ्य से बच्चों की दिनचर्या में सुधार हुआ और वे समय पर केंद्र आने लगे। इस वर्ष से सीमेम कैंप के द्वारा बच्चों में कुपोषण को दूर करने का कार्य प्रारंभ किया गया।
नन्दघर ने बदल दी आंगनवाडी की परिभाषा
हिंदुस्तान जिंक ने उदयपुर, राजसमन्द, भीलवाड़ा, चितौड़गढ़ और अजमेर में 300 से अधिक आंगनवाडी केन्द्रों को क्रमोन्नत करते हुए उन्हें डिजिटल लर्निंग केंद्र के रूप में बदल दिया। इन्हें नन्दघर नाम दिया गया. एक आदर्श नन्दघर में बच्चों के लिए ढेर सारे खिलौने, ई-लर्निंग के लिए स्मार्ट टीवी, साफ पेयजल के लिए आर ओ, बाल अनुरूप शौचालय, बाल सुलभ चित्रकारी, बिजली सहित सुरक्षित माहौल दिया गया। बच्चों और समुदाय का केंद्र से लगाव बढ़ाया और परिजनों ने निजी स्कूलों से बच्चों को वापस केंद्र भेजना शुरू किया। आज नन्दघर बच्चों के प्री स्कूल बनकर उभरे हैं।
यूनिफार्म और सेंडिल भी
हिंदुस्तान जिंक पिछले 2 वर्षों से 54000 बच्चों को यूनिफार्म और सेंडिल प्रदान कर रही है. इस से बच्चों का रुझान केन्द्रों की तरफ तो हुआ ही है, उनके जीवन स्तर, रहन सहन और स्वच्छ्ता में भी सुधार देखा गया है. हर साल दीवाली के बाद हिंदुस्तान जिंक बच्चों को यूनिफार्म प्रदान करती है।
अन्य संस्थाएं और कॉर्पोरेट भी चल पड़े जिंक की राह पर
खुशी परियोजना ने दक्षिणी राजस्थान में बच्चों के बेहतर जीवन स्तर के इतने सकारात्मक परिणाम दिए कि अन्य कोर्पोरेट सीएसआर और सामाजिक संस्थाएं भी इस माॅडल पर कार्य करने जानकारी ले रही है। आज राजस्थान सहित देश के कई राज्यों में खुशी मॉडल के सफल प्रयासों को अपनाया गया है और बच्चों के भविष्य और वर्तमान को सुधारने के प्रयास शुरू हुए हैं। आंगनवाडी केंद्र में समुदाय सहभागिता से रेसिपी ट्रायल, किचन गार्डन विकास और विविध विकास के आयामों को देखकर कई संस्थाओं ने इसे अपने अपने कार्यक्षेत्र में लागू किया है।
 

 


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