सिद्धेश्वर महादेव जिंक नगर में आयोजित १६ वें पाटोत्सव के छटे दिन व्यासपीठ से गोवत्स श्री राहुल जी महाराज ने श्रीराम कथा के दौरान ध्रुव प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि उत्थानपात की दो पत्नियां सुनीति और सुरूचि थी, सुनीति के पुत्र ध्रुव हुए जो पिता की गोद में बैठने के लिए लालायित रहते थे । ऐसे में दूसरी मां सुरूचि ने इस बात के लिए प्रेरित किया कि यदि पिता की गोद में बैठना है तो पहले भगवान गोद में बैठकर मेरे गर्भ से जन्म लें तभी आपकों पिता की गोद मिलेगी। तब ध्रुव ने तपस्या की और भगवान सत्यनाराण की गोद में बिराजे वहां बैठने के बाद उन्हे इश्वर की कृपा से पिता की गोद के अधिकारी बने। यही कारण है कि वे सिद्ध भक्त हुए कि वें आज भी अटल ध्रुव के रूप में ध्रुव तारा बन कर विराजित है।
महाराज श्री ने प्रवचन में कथा का प्रारंभ शिव सती विवाह से हुआ। शिव विवाह के बाद भगवान शिव द्वारा सती को कथा सुनाना, क्या कारण था कि परमात्मा निराकार से नराकार रूप धारण करना पडा, नर तन धारण करने के कारण बताए। उन्होंने धर्म की हानि, असुरों का बढना, अज्ञानियों का बढना तथा नारद जी द्वारा भगवान को श्राप देना, जय विजय की कथा का वर्णन, वृंदा का श्राप,माता धरती का गाय का रूप लेकर जाना, मनु सतरूपा के तपस्या में भगवान के प्रतिफल में भगवान का कौशल्या व दशरथ के घर जन्म लेने के आदि के प्रसंग निभाएं।
मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री घनश्याम सिंह राणावत ने बताया कि पाटोत्सव में जिंक नगर सहित आस पास के गांवों के श्रद्धालु उत्साह से भाग ले रहे है।