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जनजातीय गौरव वर्ष - 2025 विद्यार्थियों ने चित्रों में सजाई जनजातीय संस्कृति की झलक

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01 Nov 25
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जनजातीय गौरव वर्ष - 2025 विद्यार्थियों ने चित्रों में सजाई जनजातीय संस्कृति की झलक

भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के निर्देशानुसार भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को समर्पित जनजातीय गौरव वर्ष के समापन के उपलक्ष्य में राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों की ओर से जागरूकता, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य, शिक्षा और विकास से जुड़े कार्यक्रमों का व्यापक आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में शनिवार को जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग की ओर से प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में “जनजातीय संस्कृति, परंपरा एवं कला विषयक चित्रकला प्रतियोगिता” का आयोजन हुआ।

प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों में जनजातीय समाज की समृद्ध संस्कृति, पारंपरिक जीवनशैली और लोककला के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। बच्चों ने अपने रंगों और कल्पनाओं से जनजातीय विरासत, नृत्य, लोकपर्व, परिधान, प्रकृति और लोकदेवताओं के सुंदर चित्र उकेरे।

उदयपुर संभाग में रही जबरदस्त भागीदारी
उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद और प्रतापगढ़ जिलों के एकलव्य विद्यालयों में यह प्रतियोगिता उत्साहपूर्वक आयोजित हुई। केवल उदयपुर जिले में ही कोटड़ा, दादिया, ऋषभदेव, खेरवाडा व जोटाणा, सलूम्बर में सराड़ा, कूण व प्रेमनगर, बांसवाड़ा जिले में सुंद्राव, पाडोला, कुशलगढ़, आंबापुरा, परखेला व बांसला विद्यालयों में बच्चों ने जनजातीय संस्कृति की झलक पेश की। इसके अलावा डूंगरपुर जिले में डूंगरपुर, सूरजगांव, सीमलवाड़ा व पारड़ा चुण्डावत, प्रतापगढ़ में टीमरवा, पीपलखूंट, पांचागुड़ा व नागदेड़ा विद्यालयों में भी बच्चों ने उत्साह से प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके अलावा सिरोही जिले के आबूरोड़, टोंक के निवाई, बारां के हनोतियां, करौली के रानोली, अलवर के रैणी व मल्लाणा, जयपुर के बिहारीपुरा व जमवारामगढ़ तथा सवाईमाधोपुर जिले के बरनाला में स्थित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में भी चित्रकला सहित अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। कार्यक्रम के दौरान विद्यालय प्राचार्यों, शिक्षकों एवं छात्रों ने भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

प्रतिभा और सृजनशीलता का संगम
बच्चों ने जलरंग, पेंसिल, चारकोल और पोस्टर कलर से भगवान बिरसा मुंडा, गौरा-गवरी, तीज-त्योहार, पारंपरिक नृत्य, शिकार, प्रकृति और ग्रामीण जीवन जैसे विषयों को चित्रों में साकार किया। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के आयुक्त के एल स्वामी ने बताया कि यह आयोजन केवल प्रतियोगिता नहीं बल्कि जनजातीय गौरव और आत्मगौरव के पुनर्जागरण का पर्व है। यह आयोजन आने वाली पीढ़ी में जनजातीय संस्कृति और गौरव की भावना को सशक्त करने का एक सराहनीय प्रयास है।

सलूम्बर में होगा राज्य स्तरीय समारोह
जनजाति गौरव वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित 15 दिवसीय कार्यक्रमों के तहत राज्य स्तरीय समारोह सलूम्बर जिले में आयोजित होगा। इसमें एकलव्य विद्यालयों में हुई चित्रकला प्रतियोगिता में से चयनित श्रेष्ठ कृतियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। इसके अलावा सौधमाटी आदि धरोहर प्रलेखन योजना का शुभारंभ भी किया जाएगा। जनजातीय सांस्कृतिक कार्यक्रम, जनजाति कलाकृतियों की प्रदर्शनी, जनजाति युवाओं को कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ आदि गतिविधियां भी होंगी। इससे पूर्व 1 से 15 नवम्बर तक विभिन्न विभागों की ओर से कई तरह की गतिविधियां भी आयोजित की जाएंगी। वहीं पंचायत से लेकर जिला स्तर तक समारोह भी होंगे।


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