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योग: प्राचीन भारतीय दर्शन से वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन तक"

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20 Jun 25
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योग: प्राचीन भारतीय दर्शन से वैश्विक स्वास्थ्य आंदोलन तक"

भूमिका

भारत की प्राचीनतम और सर्वाधिक प्रभावशाली जीवनशैली विधियों में से एक है *योग*, जो केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्किमानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक विकास का समग्र मार्ग है। आधुनिक युग की तेज़ रफ्तार, तनावपूर्ण जीवनशैली और मानसिक अशांति के बीच योग एक शांतिदायक समाधान बनकर उभरा है। 21 जून को *अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस* के रूप में मनाना न केवल भारत की संस्कृति का वैश्विक स्वीकार है, बल्कि यह एक विश्वव्यापी अभियान भी है, जो मानवता को संतुलित, स्वस्थ और सुखी जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

 

*योग का अर्थ और परिभाषा*

 

‘योग’ शब्द संस्कृत धातु ‘युज’ से बना है, जिसका अर्थ है – *जोड़ना*। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है। पतंजलि के अनुसार –

“योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः”

अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।

यह व्यक्ति को उसकी अंतः चेतना से जोड़ता है। योग न केवल आसनों की एक श्रृंखला है, बल्कि यह अनुशासन, ध्यान, संयम, आहार, आचरण और अंतःशुद्धि का विज्ञान है।

 

*योग का इतिहास*

 

योग का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। वेदों और उपनिषदों में योग का उल्लेख मिलता है। ऋषि पतंजलि ने लगभग 200 ईसा पूर्व ‘*योगसूत्र*’ नामक ग्रंथ में योग को सूत्रबद्ध किया। इसके अतिरिक्त भगवद्गीता में भी श्रीकृष्ण ने योग के विभिन्न प्रकारों – ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग– का वर्णन किया है।

 

हड़प्पा सभ्यता की खुदाई में भी योगिक मुद्राओं की मूर्तियाँ मिली हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि योग भारत की सांस्कृतिक आत्मा का अभिन्न अंग रहा है।

 

*योग के अंग (अष्टांग योग)*

 

ऋषि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित अष्टांग योग के आठ अंग हैं:

 

1. यम – नैतिक संयम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह)

2. नियम – व्यक्तिगत अनुशासन (शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय, ईश्वर प्रणिधान)

3. आसन – शारीरिक स्थिति

4. प्राणायाम– श्वास नियंत्रण

5. प्रत्याहार – इंद्रियों का निग्रह

6. धारणा– ध्यान केंद्रित करना

7. ध्यान – एकाग्रता

8. समाधि – आत्मिक स्थिति का अनुभव

 

*योग के प्रकार*

आज योग के कई प्रकार विकसित हो चुके हैं, जो भिन्न उद्देश्यों और व्यक्तियों के अनुसार अपनाए जाते हैं। प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

1. हठ योग– शरीर और मन को साधने का मार्ग

2. राज योग– ध्यान और समाधि पर आधारित

3. कर्म योग– निष्काम कर्म की साधना

4. ज्ञान योग – विवेक और आत्मबोध पर आधारित

5. **भक्ति योग* – भक्ति और समर्पण का मार्ग

6. कुंडलिनी योग– ऊर्जा जागरण का मार्ग

7. विन्यास योग अष्टांग योग, पावर योग – आधुनिक योग विधियाँ

 

*योग के लाभ*

 

 1. शारीरिक लाभ

 

* मांसपेशियाँ और जोड़ लचीले होते हैं।

* रक्त संचार सुधरता है।

* पाचन, श्वसन और तंत्रिका तंत्र को मजबूती मिलती है।

* रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

 

 2. मानसिक लाभ:

 

* तनाव और चिंता में कमी आती है।

* एकाग्रता बढ़ती है।

* मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त होती है।

* अनिद्रा, अवसाद जैसे मानसिक रोगों में राहत मिलती है।

 

*3. आत्मिक लाभ:*

 

* आत्मबोध की अनुभूति होती है।

* जीवन के प्रति दृष्टिकोण सकारात्मक बनता है।

* ध्यान और साधना से आंतरिक शुद्धि होती है।

 

*प्रमुख योगासन*

 

योग में कई आसन हैं जो शरीर और मन को संतुलित करते हैं। कुछ प्रमुख योगासन:

 

1. ताड़ासन – लंबाई बढ़ाने और संतुलन हेतु

2. वृक्षासन– एकाग्रता और संतुलन के लिए

3. भुजंगासन – मेरुदंड के लिए लाभकारी

4. पवनमुक्तासन – पाचन में सहायक

5. अर्धमत्स्येन्द्रासन – रीढ़ की हड्डी लचीली बनाता है

6. शलभासन, धनुरासन**, नौकासन** – पाचन, पीठ और पेट के लिए

7. सर्वांगासन**, हलासन, शीर्षासन– रक्त संचार और मस्तिष्क के लिए

 

*प्राणायाम और ध्यान*

 

*प्राणायाम*

 

श्वास पर नियंत्रण रखने की प्रक्रिया है। यह ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करता है। प्रमुख प्राणायाम:

 

* अनुलोम-विलोम

* भ्रामरी

* कपालभाति

* शीतली और शीतकारी

 

*ध्यान (Meditation)*

 

एकाग्रता और आत्म-साक्षात्कार का मार्ग है। ध्यान से मस्तिष्क की तरंगें शांत होती हैं, और मानसिक शांति मिलती है।

 

*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस*

*परिचय:*

 

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव पर **11 दिसंबर 2014** को 21 जून को *अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस* घोषित किया। इसका पहला आयोजन 21 जून 2015 को हुआ।

 

*क्यों 21 जून?*

 

21 जून *ग्रीष्म संक्रांति* का दिन होता है, जो सूर्य की उत्तरायण गति का प्रतीक है। यह प्रकृति और ब्रह्मांडीय ऊर्जा के संयोग का दिन माना जाता है।

 

 *उद्देश्य:*

 

* विश्व में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाना

* तनावमुक्त जीवन की प्रेरणा देना

* स्वास्थ्य के प्रति सजगता लाना

* भारत की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर स्थापित करना

 

*योग और आधुनिक जीवन*

 

वर्तमान समय में जब मानसिक तनाव, अवसाद, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप, मोटापा, मधुमेह जैसी बीमारियाँ जीवन का हिस्सा बनती जा रही हैं, योग एक प्राकृतिक समाधान के रूप में उभर कर सामने आया है।

 

*कार्यस्थलों पर योग:*

कई कंपनियाँ अब ऑफिस योग सत्र आयोजित कर रही हैं जिससे कर्मचारियों की उत्पादकता और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।

 

*विद्यालयों में योग:*

बच्चों की एकाग्रता, स्मरण शक्ति, अनुशासन और मानसिक संतुलन के लिए स्कूलों में योग शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

*डिजिटल युग में योग:*

ऑनलाइन योग कक्षाएँ, मोबाइल ऐप्स और यूट्यूब चैनलों के माध्यम से अब कोई भी व्यक्ति अपने घर पर ही योग का अभ्यास कर सकता है।

 

*महिलाओं के लिए योग*

 

महिलाओं के शारीरिक और हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में योग अत्यंत सहायक है:

 

* मासिक धर्म के समय दर्द से राहत

* गर्भावस्था में विशेष योगासन (प्रेगनेंसी योगा)

* थायरॉइड, मोटापा, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) आदि में लाभकारी

 

*योग – एक वैश्विक आंदोलन*

 

आज अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों में योग अत्यंत लोकप्रिय है। कई विदेशी विश्वविद्यालयों में योग पाठ्यक्रम शामिल किए गए हैं। योग प्रशिक्षक बनना आज एक सम्मानजनक और लोकप्रिय करियर विकल्प भी बन गया है।

 

**योग और आयुर्वेद का संबंध*

 

योग और आयुर्वेद दोनों भारत की प्राचीन चिकित्सा विधियाँ हैं। दोनों में शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने पर बल दिया गया है। योग शरीर को सक्रिय करता है, जबकि आयुर्वेद शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करता है।

 

*निष्कर्ष* 

 

योग केवल शरीर को साधने की कला नहीं, बल्कि जीवन को संतुलित और उद्देश्यपूर्ण बनाने की विद्या है। यह न किसी धर्म से जुड़ा है, न जाति-भाषा से। यह एक वैश्विक विरासत है जो मानवता के कल्याण के लिए समर्पित

 

प्रो. कर्नल शिव सिंह सारंगदेवोत कुलपति , जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू विश्वविद्यालय),उदयपुर , राजस्थान।


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