उदयपुर । राष्ट्र-संत चन्द्रप्रभ श्री जी महाराज ने कहा कि सुमिरन करने से मन सँवर जाता है, सेवा करने से तन सँवर जाता है, सत्संग करने से वचन सँवर जाता है और तीनों को आत्मसात् कर लें तो पूरा जीवन सँवर जाता है। जीवन 3 तरह का होता है - पशु प्रधान, मनुष्य प्रधान और दिव्यता प्रदान। अगर हम डॉग जैसा जीवन जिएँगे तो संसार रूपी सरोवर के कीचड़ में धँस जाएँगे और गॉड जैसा जीवन जिएँगे तो संसार रूपी सरोवर में कमल की तरह खिल जाएँगे। कंस हो या कृष्ण, राम हो या रावण, ओसामा हो या ओबामा राशि दोनों की एक है, पर फर्क जीवन जीने का है। भ से भारत भी होता है और भ्रष्टाचार भी, स से सत्य भी होता है और सत्यानाश भी। हम जीवन को कौन-सी दिशा देते हैं, यह हम पर निर्भर है।
संतप्रवर शनिवार को बांरा के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित प्रवचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्र-संत ने कहा कि विचार सुंदर हो तो मन मंदिर बन जाता है, आचार सुंदर हो तो तन मंदिर बन जाता है, व्यवहार सुंदर हो तो घर मंदिर बन जाता है, पर तीनों सुंदर हो जाए तो जीवन खुद ही मंदिर जैसा बन जाता है। हम जो सम्मान भाव मंदिर के प्रति रखते हैं, अगर वही भाव जीवन के प्रति ले आएँ तो जीवन को भी हम मंदिर जैसा निर्मल बना सकते हैं। अगर हम केवल मूर्ति में भगवान देखेंगे तो मंदिर जाएँगे, तभी भगवान नजर आएगा, पर इंसान में भगवान देखना शुरू कर देंगे तो हमें बाजार में भी मंदिर नजर आना शुरू हो जाएगा।
संतश्री ने कहा कि जीवन बड़ा अनमोल है। इसे सफल और सार्थक बनाने का प्रयास करें। जैसे दुरुपयोग करने से धन निष्फल हो जाता है, उपयोग करने से धन सफल हो जाता है, पर दान करने से धन सार्थक हो जाता है, वैसे ही जीवन को सार्थक करने के लिए मन में सुमिरन को जोड़ें। केवल प्रेमी-प्रेमिका या पति-पत्नि के बारे में सुमिरन करेंगे तो जीवन निष्फल हो जाएगा, माता-पिता का सुमिरन करेंगे जीवन सफल हो जाएगा, पर प्रभु का सुमिरन करेंगे तो जीवन सार्थक हो जाएगा।
संतश्री ने कहा कि हम दुख में तो भगवान का सुमिरन करते हैं, पर सुख में भागवान अर्थात पत्नी का सुमिरन करते हैं। जो सुख में भगवान को शुकराना अदा करता है, उसे ही दुख में भगवान को याद करने का अधिकार मिलता है। हम भगवान के नाम की माला तो फेरते हैं, पर हमारा मन भोगों में ही उलझा रहता है। हम भगवान के नाम की चाहे एक माला फेरें, पर पूरे मन से फेरें। जो एक बार भी दिल से भगवान का नाम ले लेता है, उसके जन्म-जन्म के पाप-ताप-संताप नष्ट हो जाते हैं। लोग पापों को धोने के लिए गंगा में डुबकी लगाते हैं। यह कैसी विचित्र परंपरा है कि जीवन भर पाप करो और एक बार गंगा में डुबकी लगाकर आ जाओ सारे पाप खत्म। अगर आप हकीकत में पापों को धोना चाहते हैं तो प्रभु के सुमिरन रुपी गंगा में डुबकी लगाएँ।
दिन में तीन बार प्रभु की प्रार्थना करने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि सुबह प्रभु की प्रार्थना शुकराना अदा करने के लिए करें, दोपहर में प्रार्थना सब के कल्याण के लिए करें और रात को प्रार्थना दिन में हो चुकी गलतियों की क्षमा याचना करने के लिए करें। दुनिया में सफल होने के लिए लोन चाहिए, पर सुमिरन में सफल होने के लिए मौन चाहिए। दुनिया में कुछ भी खरीदो तो बिल चुकाना पड़ता है, पर प्रभु से जुड़ने के लिए दिल लगाना पड़ता है। जो दिल से प्रभु सुमिरन में लग जाता है, उसका जीवन सार्थक हो जाता है।
इससे पूर्व उदयपुर से केसरिया जी तीर्थ पदयात्रा संघ के बांरा, सरकारी विद्यालय पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा धूमधाम से स्वागत किया गया।
3 दिसंबर रविवार को पदयात्रा संघ का सुबह का प्रवास पिपली भी में रहेगा और शाम को केसरिया जी गज मंदिर संघ पहुंचेगी। 4 दिसंबर को सुबह 7:30 बजे केसरिया जी मंदिर के लिए विराट शोभायात्रा निकलेगी प्रभात फेरी होगी और 9:00 बजे भक्तामर महापूजन और संघ माला का विराट आयोजन होगा।