राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि क्रोध हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है जो 1 मिनट के लिए आता है और जिंदगी भर मेहनत कर बनाए गए करियर को चौपट कर जाता है। अगर हम अपने जीवन को जीते जी स्वर्ग बनाना चाहते हैं तो हमें गुस्से को जीतना होगा। गुस्से के चलते अमीरों की कोठियाँ भी नरक की आग उगलना शुरू कर देती हैं, वहीं मिठास से जीने वाले लोगों को कुटियाओं में भी स्वर्ग के सुख नसीब हो जाते हैं।
संतप्रवर शुक्रवार को टीडी के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित प्रवचन समारोह में संबोधित कर रहे थे। राष्ट्र-संत ने कहा कि अगर आप 1 घंटे की खुशी चाहते हैं तो जहाँ बैठे हैं वहाँ झपकी ले लीजिए, 1 दिन की खुशी चाहते हैं तो शहर में घूम आइए, 1 सप्ताह की खुशी चाहते हैं तो किसी हिल स्टेशन या तीर्थ पर चले जाइए, 1 महीने की खुशी चाहते हैं तो किसी सुंदर लड़की से शादी कर लीजिए, 1 साल की खुशी चाहते हैं तो किसी बड़े पैसे वाले व्यक्ति के गोद चले जाइए, पर आप जीवन भर खुश रहना चाहते हैं तो अपने स्वभाव को शांत और मधुर बना लीजिए। जैसा होगा हमारा नेचर वैसा ही बनेगा हमारा फ्यूचर। जैसा हम रखेंगे अपना स्वभाव, वैसा ही पड़ेगा दूसरों पर प्रभाव। जो लोग क्रोध के वातावरण में भी शांत रहते हैं वे हीरे की तरह होते हैं, पर जो विपरीत वातावरण आते ही उग्र हो जाते हैं वे काँच के टुकड़े जितनी औकात के बन जाते हैं।
गुस्से को जीतने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर ने कहा कि गलती हो जाए तो झुक जाइए और गुस्सा आए तो रुक जाइए, आप सदा लाभ में रहेंगे। वैसे हममें से हर किसी को जैन धर्म की एक डिग्री अवश्य पास कर लेनी चाहिए वह है : एम. डी. अर्थात मिच्छामि दुक्कड़म्। जो लोग गलती होते ही माफी माँग लेते हैं और दूसरों के द्वारा गलती होने पर माफ कर देते हैं वे जीते जागते धरती के देवता हुआ करते हैं। अगर हम किसी की सोने से पहले दो गलतियों को माफ कर देंगे तो भगवान सुबह उठने से पहले हमारी सौ गलतियों को माफ कर देगा। जो गलती करके सुधर जाए उसे इंसान कहते हैं, जो गलती पर गलती करे उसे नादान कहते हैं, जो उससे ज्यादा गलतियाँ करे उसे शैतान कहते हैं, जो उससे भी ज्यादा गलतियाँ करें उसे पाकिस्तान कहते हैं, पर जो उसकी भी गलतियों को माफ कर दे उसे ही शेरे दिल हिंदुस्तान कहते हैं। याद रखें, जो काम रुमाल से निपट जाए उसके लिए रिवाल्वर मत चलाइए और जो काम प्रेम से हो जाए उसके लिए गुस्सा मत कीजिए।
इतिहास की मुख्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान महावीर के पाँव के अंगूठे पर डसने वाला चंडकोशिक साँप पिछले जन्म में तपस्वी संत था, पर अपने शिष्य पर गुस्सा करने के कारण वह भयंकर विषधर साँप बन गया और जब वही साँप भगवान के उपदेश को सुनकर शांत हो गया तो मरकर देव बन गया। फैसला हमारे हाथ में है कि हम अगले जन्म में साँप बनना चाहते हैं या फिर स्वर्ग के अधिपति। क्रोध पर कंट्रोल करने के लिए हम बच्चों को डाँटें, मगर प्यार से। प्यार से समझाएँगे तो बच्चे सुधर जाएँगे और केवल गुस्सा करते रहेगे तो वे जिद्दी हो जाएँगे। बुरी बात को नेगलेट करने की आदत डालें, सप्ताह में 1 दिन गुस्से का उपवास करें और कोई हम पर क्रोध करे तो मुस्कान से पेश आने की आदत डालें।
इससे पूर्व उदयपुर से केसरिया जी तीर्थ पदयात्रा संघ के टीडी, सरकारी विद्यालय पहुंचने पर श्रद्धालुओं द्वारा धूमधाम से स्वागत किया गया।
2 दिसंबर शनिवार को पदयात्रा संघ का प्रवास बांरा के स्कूल में रहेगा।