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डॉ विमला भंडारी की कृति ‘अध्यात्म का वह दिन‘ और ‘उड़ने वाले जूते‘ को अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय पुरस्कार

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30 Nov 22
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डॉ विमला भंडारी की कृति ‘अध्यात्म का वह दिन‘ और ‘उड़ने वाले जूते‘ को अखिल भारतीय स्तर पर राष्ट्रीय पुरस्कार

उदयपुर । मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी, भोपाल से हुई पुरस्कारों की घोषणा के अंतर्गत 13 अखिल भारतीय स्तर पर एवं 15 प्रादेशिक स्तर पर विभिन्न विधागत कृतियों पर वर्ष 2020 के पुरस्कारों की घोषणा की गई है। इसमें राजस्थान की गौरव सलूंबर निवासी डॉ विमला भंडारी की कृतियां भी शामिल है। डॉ. भंडारी द्वारा लिखी गई यात्रा वृतांत विधा की पुस्तक ‘अध्यात्म का वह दिन‘ को वर्ष 2020 के पुरस्कार में शामिल करते हुए एक लाख रुपये की राशि, शॉल, प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह के साथ भेंट करने की घोषणा हुई है। इस पुस्तक को इससे पूर्व वर्ष 2020 में अखिल भारतीय स्तर आयोजित की गई प्रतियोगिता में भी एक लाख रुपये की राशि एवं 100 ग्राम के रजत पदक के साथ पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।
डॉ विमला भंडारी की बाल साहित्य की कृति पुस्तक ‘उड़ने वाले जूते‘ को साहित्य महारथी शान्ति अग्रवाल पुरस्कार प्रतियोगिता की विजेता होने की भी घोषणा दिल्ली से की गई,  यह पुरस्कार उन्हें दिल्ली 25 दिसंबर को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में अर्पित किया जाएगा। डॉ विमला भंडारी की दो पुस्तकें उड़ने वाले जूते और हवा से बातें बच्चों द्वारा पसंद की गई पुस्तकों में शुमार हुई है। नवभारत टाइम्स ने अपने दिल्ली संस्करण संस्करण में प्रकाशित किया है कि बच्चों के बीच एक रैंडम सर्वे करवाया जिसके तहत उनसे उनकी पसंद की बुक्स, मूवी और यूट्यूब सीरियल के बारे में पूछा गया था जिसके तहत उन्होंने अपनी पसंद में विमला भंडारी की उपरोक्त पुस्तकें का नाम लिया। ज्ञातव्य है उड़ने वाले जूते के अतिरिक्त उनके द्वारा लिखी गई कई बाल कहानियों पर यूट्यूब में कार्टून लघु फिल्म भी बन चुकी है।
विमला भंडारी की लिखी राजस्थानी बाल कथा संग्रह अणमोल भेंट को वर्ष 2013 में साहित्य अकादेमी,  दिल्ली एवं राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से भी पुरस्कार दिया जा चुका है। इससे पूर्व उनकी बाल साहित्य की कृति प्रेरणादायक बाल कहानी को 1995 में राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर  से पुरस्कृत हो चुकी है। 50 से अधिक पुस्तकों की रचयिता व संपादक डॉ विमला भंडारी को राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार और सम्मान अब तक मिल चुके हैं। वर्तमान में वह सलिला संस्था, सलूंबर की अध्यक्ष है और बाल साहित्य के क्षेत्र में कई साहित्यिक गतिविधियां संपन्न कराती रही हैं।


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