उदयपुर। आगमरत्न विजय महाराज ने कहा कि मंदिर के लिये खरीदी गई वस्तु का उपयोग स्वयं के लिये नहीं करना चाहिये।
वे आज वे आज वे आज मोक्षदर्शन विजय महाराज की निश्रा में हिरणमगरी से. 4 स्थित श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समिति शान्तिनाथ जिनालय में आयोजित प्रवचन सभा में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वयं की न्याय व नीति संगत तरीके से की गई कमाई से खरीदी गई शुद्ध द्रव्य वस्तु से भगवान की पूजा अर्चना करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा करनी चाहिये। इससे हमारें भवोभव के भ्रमण का अन्त होता है क्योंकि जब तक संसार संसार परिभ्रमण नहंी मिटेगा,तब तक दुखों का अन्त नहंी होगा। अतः प्रदक्षिणा महामंागलिक है। आत्मा का भव भ्रमण रोकने व दर्शन,ज्ञान,चरित्र रूपी तीन रत्नों को पाने के लिये प्रदक्षिणा की जाती है।
श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक समिति के अध्यक्ष सुशील बांठिया ने बताया कि हिरणमगरी संे. 4 स्थित आराधना भवन में मुनि आगमरत्न विजय उत्तराध्यय सूत्र आगम के प्रथम अध्याय विनय पर प्रवचन दे रहे है।