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उदयपुर रेलवे स्टेशन को विश्व-स्तरीय एकीकृत हब के रूप में पुनर्विकसित करने के लिए आईआरएसडीसी ने आमंत्रित किया आरएफक्यू

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24 Jul 21
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उदयपुर रेलवे स्टेशन को विश्व-स्तरीय एकीकृत हब के रूप में पुनर्विकसित करने के लिए आईआरएसडीसी ने आमंत्रित किया आरएफक्यू

 पुनर्विकास का उद्देश्य यात्रियों को अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करना और उनके यात्रा अनुभव को बढ़ाना है

- उदयपुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए कुल अनिवार्य लागत 132 करोड़ रुपया है, बिड प्रदान करने के बाद कार्य पूरा करने के लिए समय सीमा तीन वर्ष है

उदयपुर, भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) ने उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए रिक्वेस्ट फॉर क्वालिफिकेशन (आरएफ़क्यू) आमंत्रित किया है। इसका उद्देश्य उदयपुर रेलवे स्टेशन को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर इसे एक आधुनिक स्टेशन के रूप में विकसित करना है। इसके पुनर्विकास की परिकल्पना एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के समान ही एक एकीकृत रेलवे स्टेशन के रूप में की गई है। ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) के सिद्धांतों का पालन करते हुए स्टेशन को डिजाइन-बिल्ड फाइनेंस ऑपरेट ट्रांसफर (डीबीएफओटी) के मॉडल पर पुनर्विकसित किया जाएगा। रियायत की अवधि 60 वर्ष होगी। रियायत प्राप्त करने वाले का दायित्व होगा कि वह स्टेशन का पुनर्विकास और 60 वर्षों तक इसका रखरखाव करे, उसे स्टेशन उपयोगकर्ताओं और वाणिज्यिक विकास से राजस्व एकत्र करने का भी अधिकार होगा। अनिवार्य विकास के लिए कुल क्षेत्रफल 49,8115 वर्गमीटर है और स्टेशन एस्टेट के विकास के लिए बिल्ट-अप एरिया 1,0,1374 वर्गमीटर तक है। प्री-बिड बैठक 6 अगस्त 2021 को आयोजित की जाएगी वहीं, बोली जमा करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2021 है। आरएफ़क्यू के बारे में अधिक जानकारी के लिए etenders.gov.in पर जाएं।

इसे लेकर *आईआरएसडीसी के एमडी एवं सीईओ एस. के. लोहिया* ने कहा, "उदयपुर शहर एक विश्व-स्तरीय पर्यटन स्थल है। इस रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का उद्देश्य इसे एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तर्ज पर एक प्रतिष्ठित केंद्र में बदलना है और यात्रा के अनुभव को बढ़ाना है। यह पुनर्विकास स्टेशन को उदयपुर शहर के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करेगा। साथ-ही इसका गुणात्मक प्रभाव स्थानीय अर्थव्यवस्था के विकास और रोजगार के अवसरों के सृजन पर होगा। स्टेशन पुनर्विकास के लिए एक नोडल संस्था के रूप में, आईआरएसडीसी सभी परियोजनाओं को समयानुसर पूरा करने और भारत के विकास में योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।"

पुनर्विकास में एक नई ईस्ट-साइड एंट्री स्टेशन बिल्डिंग की परिकल्पना की गई है, जिसमें रेलवे अंडर-ब्रिज के माध्यम से नई ईस्ट-वेस्ट रोड कनेक्टिविटी की योजना है। पैदल मार्गों के नेटवर्क के माध्यम से वाणिज्यिक भूमि से आईएसबीटी के साथ कनेक्टिविटी, स्टेशन में प्रवेश / निकास के लिए अलग व्यवस्था और सभी यात्रियों के लिए आसान साइनेज भी इसमें शामिल है।

*पुनर्विकास की मुख्य विशेषताएं हैं:*

- प्रस्तावित रेलवे स्टेशन भवनों में उदयपुर की स्थापत्य शैली और राजस्थान की विरासत परिलक्षित होती है।

- प्रस्थान करने वाले यात्रियों के लिए हवाई अड्डे जैसा कॉनकोर्स और विश्व-स्तरीय सुविधाएं।

- बेहतर यात्री सुविधाएं, सहजता और अनुभव प्रदान करना।
 
- स्टेशन भवन में विभिन्न स्तरों पर आने और जाने वाले यात्रियों के लिए अलग-अलग आवाजाही की व्यवस्था।

- बस स्टेशन सहित शहर और रेलवे स्टेशन के बीच बेहतर सड़क संपर्क प्रदान करना।

- मल्टी- मॉडल एक्सेस, ड्रॉप-ऑफ़ और पार्किंग

- शेल्टर्ड ड्रॉप-ऑफ ज़ोन और मीटिंग ज़ोन

- स्टेशन की इमारत से जुड़ी कवर्ड पार्किंग

- स्टेशन भवन के निर्माण को स्वतंत्र और चरणबद्ध रूप से शीघ्र पूरा किया जाना और इसे देश को समर्पित करना।

- दिव्यांगों के लिए 100% सुगम स्टेशन परिसर जहां सभी स्थानों पर लिफ्ट/रैंप की सुविधा उपलब्ध होगी।

उदयपुर रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है, और स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों को भी सेवाएं प्रदान करता है। यह भारतीय रेलवे के उत्तर-पश्चिम रेलवे ज़ोन के अजमेर डिवीजन के अंतर्गत आता है और प्रतिदिन लगभग 16,465 यात्रियों को सेवाएं प्रदान करता है। यह दक्षिण-पूर्व और उत्तर-पश्चिम में वाणिज्यिक क्षेत्रों, उत्तर-पूर्व में संस्थागत क्षेत्रों और दक्षिण-पश्चिम की ओर आवासीय क्षेत्रों से घिरा हुआ है। मुख्य स्टेशन भवन स्टेशन रोड पर है जबकि दूसरी तरफ टेकरी रोड है। इसमें दो फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) से जुड़े कुल पांच प्लेटफॉर्म हैं। पुनर्विकास योजना का मुख्य उद्देश्य स्टेशन के आसपास के भू-खंडों को उनकी व्यावसायिक क्षमता का उपयोग करने के लिए डीफ़्रैग्मेन्ट करना है। लोगों को व्यावसायिक स्थानों से जोड़ने के लिए एक डिजाइन योजना तैयार की गई है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन भारत सरकार के प्राथमिक एजेंडे के तहत पुनर्विकसित किए जाने वाले 125 रेलवे स्टेशनों में से एक है। इसमें से आईआरएसडीसी 63 स्टेशनों पर और रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) 60 स्टेशनों पर काम कर रहा है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, रियल एस्टेट विकास के साथ-साथ 125 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आवश्यक कुल निवेश 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

*आईआरएसडीसी के बारे में:*

भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी), आरएलडीए, इरकॉन और राइट्स की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। आईआरएसडीसी, भारतीय रेलवे के रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय 24x7 हब में बदलने के मिशन के केंद्र में है और रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए नोडल एजेंसी और मुख्य परियोजना विकास एजेंसी (पीडीए) है। इन पुनर्विकसित रेलवे हब को 'रेलोपोलिस' कहा जाएगा, क्योंकि यह निवेश और व्यापार के अवसरों को आकर्षित करेगा।
रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास को तेज करने और कमर्शियल डेवलपमेंट के वास्तविक मूल्य का उपयोग करने के लिए, आईआरएसडीसी / रेल मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित उपकरण विकसित किए गए हैं, जो भारत में रेलवे स्टेशनों की योजना, डिजाइन, निविदा, कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए सभी प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए हैं: -

1. स्टेशन पुनर्विकास और स्टेशन सुविधा प्रबंधन के लिए मॉडल एग्रीमेंट्स;
2. भारतीय रेलवे में विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) के लिए सुगमता और सुविधाओं के प्रावधानों के मानकों के लिए सामंजस्यपूर्ण दिशानिर्देश- रेल मंत्रालय
3. रेलवे भूमि के भीतर वाणिज्यिक विकास के लिए फॉर्म-आधारित कोड्स: -
3.1- स्टेशन एरिया लेआउट रेगुलेटिंग प्लांस के लिए कोड्स;
3.2- प्रॉपर्टी डेवेलपमेंट कार्ड्स (वाणिज्यिक विकास) के लिए कोड्स;
3.3- कमर्शियल डेवलपमेंट के भीतर आर्किटेक्चरल डिजाइन के लिए कोड्स;
3.4- कमर्शियल डेवलपमेंट के भीतर ग्रीन बिल्डिंग के लिए कोड्स;
4. लेआउट रेगुलेटिंग प्लांस और प्रॉपर्टी डेवेलपमेंट कार्ड्स तैयार करने के लिए हैंडबुक;
5. हेरिटेज रेलवे एसेट्स के अपग्रेडेशन के लिए कोड; (पूरे प्रोजेक्ट लाइफसाइकिल के लिए)
आईआरएसडीसी / रेल मंत्रालय द्वारा विकसित इन उपकरणों के आवेदन के साथ, रेलोपोलिस में सार्वजनिक क्षेत्र की उपलब्धता बढ़ जाएगी, इस तरह के पुनर्विकसित रेलवे स्टेशनों को सही मायने में "सिटी सेंटर" के रूप में परिवर्तित किया जा सकेगा।


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