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कोविड जैसी महामारी में ऐसा कार्यक्रम जनमानस हेतु प्रेरणास्त्रोत :: डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़

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01 Jul 21
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कोविड जैसी महामारी में ऐसा  कार्यक्रम जनमानस हेतु प्रेरणास्त्रोत :: डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,उदयपुर के माननीय कुलपति तथा समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.नरेंद्र सिंह  राठौड़ ने सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित , 1 से 30 जून तक माहपर्यन्त चलाये गए राष्ट्र स्तरीय कारयक्रम "चलती रहे ज़िंदगी "के समापन सत्र में व्यक्त किये। आपने कहा की वर्तमान में महामारी के चलते कमोबेश हर व्यक्ति   उदासी, भय, अवसाद, चिंता, व्यापक चिंताओं, नकारात्मक विचारों, सामाजिक अलगाव, वित्तीय असुरक्षा की भावना के चलते परेशानी महसूस कर रहा है। परिणाम स्वरुप न केवल उसकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है अपितु परिवार ,समुदाय और कार्यस्थल पर भी स्वयं की क्षमताओं के अनुरूप कार्य कर पाने में पूर्णतया असफल महसूस कर रहा है। यद्यपि तकनीकी साहुलियतो के चलते नौकरी सम्बन्धी कार्य तो कर पा रहा है किन्तु परिवार में बहुआयामी संकट का  व्यापक स्पेक्ट्रम गहरा रहा है। ऐसे समय में एक माह तक चलाया गया ये कार्यक्रम निसंदेह मनोसामाजिक दृष्टि  से मनोरंजन ,शिक्षा और ज्ञान की त्रिवेणी साबित हुआ है।

 विशिष्ट अतिथि श्रीमती कविता पाठक ,कुलसचिव ने अपने उद्बोधन में इस नवाचार की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा की ऐसे कार्यक्रम हमारे मानसपटल पर अमित छाप अंकित करते हैं और सदा नकारात्मकता को पीछे धकेल कर सकारात्मक सोच की और अग्रसर करते हैं। आपने इस विश्वविद्यालय के लिए यादगार कदम बताया।

अधिष्ठाता ,सामुदायिक एवम व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय ,डॉ. मीनू श्रीवास्तव ने स्वागत करते हुए कहा की सामुदायिक एवम व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय होने के नाते जनसाधारण की खुशहाली की पैरोकारिता करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। आपने कहा की कार्यक्रम के  उद्देश्य इस प्रतिकूल परिस्थिति के कारण अपरिहार्य अवकाश के समय का उपयोगी तरीके से उपयोग करना,,महामारी की स्थिति के दौरान सकारात्मकता पैदा करना, जीवन काल के परिप्रेक्ष्य में पारिवारिक मूल्यों जैसे सहानुभूति, साझाकरण, देखभाल आदि को फिर से जीवंत करना।

तथा अगली पीढ़ी के लिए जीवन कौशल का अनुभव बैंक तैयार करना थे। जिसकी पूर्णता प्रतिभागियों द्वारा दी गई प्रतिक्रिया से ज़ाहिर हो रही है। आपने सभी से आह्वाहन किया की विगत ३० दिनों के दौरान जो भी आपके अनुभव रहे ,उसे अधिकाधिक लोगों तक प्रचारित करने का प्रयास करें और वर्तमान परिस्तिथि में पूर्ण संयम बरतें जिस से भविष्य में इस महामारी की विकट पुरावृति ना हो।

आयोजन सचिव डॉ. गायत्री तिवारी ने बताया की देश भर से 430 लोगों ने इसमें पंजीकरण करवाया था। जिसमें हर आयु वर्ग के लोग शामिल थे। मुख्यतः उदयपुर ,जयपुर ,तमिलनाडु ,महाराष्ट्र ,धारवाड़ ,जबलपुर ,भोपाल ,पश्चिम बंगाल ,पटना ,दिल्ली ,देहरादून ,कोटा ,चूरू आदि प्रमख हैं। आपने बताया की कार्यक्रम की संकल्पना सभी आयुवर्ग के हिसाब से सप्ताहवार चार भागों में बाँट कर की गई। पहली ,पीढ़ियों के सेतु -हमारे बुज़ुर्ग - 60 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग , हमसफ़र: 21 साल से 60 साल के वयस्क, परवाज़: बचपन से लेकर किशोरावस्था तक के बच्चे , दिशा: सभी गृहणियों  के लिए की गई। इस दौरान यादों के गलियारों से ,वृद्धों की समस्या,जनरेशन गैप-समस्याएं और समाधान,साइबर सुरक्षा,अकेलापन- कारण, प्रभाव और उपचारात्मक उपाय,जीवन संध्या (जीवन समीक्षा-आवश्यकता और महत्व) , सकारात्मकता: जीवन का सार,सुनना सीखें ,वैवाहिक सफलता,पप्रौढावस्था  की चुनौतियां,संघर्ष प्रबंधन प्रवीणता,जीवन कौशल,आत्मरक्षा,आत्म जागरूकता,इंटर पर्सनल एंड इंट्रा पर्सनल रिलेशंस,अस्वीकृति का सामना कैसे करें,"नहीं" कहना सीखेंजैसे विषयों पर इंटरैक्टिव सत्र ,संवाद ,व्याख्यान आयोजित किये गए। मुख्य वक्ता, डॉ.नरेंद्र सिंह  राठौड़, डॉ। विजयलक्ष्मी चौहान ,निवर्तमान प्रोफेसर ,मनोविज्ञान विभाग ,मोहन लाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ,उदयपुर ,स्त्री एवम  प्रसूति विशेषज्ञ ,राज्य सरकार ,डॉ. नाज़िमा सलोदा , उदयपुर ,डॉ. मुक्ता अग्रवाल (पोषण विशेषज्ञ-प्रमुख, गृह विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय,जयपुर,डॉ. रामावतार सैनी (प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष , अस्थि रोग विभाग, गीतांजलि अस्पताल और मेडिकल कॉलेज,उदयपुर ,श्रीमती श्रद्धा चतुर्वेदी,साइबर कंसलटेंट ,यू। के। प्रोफेसर  कल्पना जैन , विभागाध्यक्ष,मनोविज्ञान विभाग, एमएलएसयू, उदयपुर,डॉ. विनीता लावानिया,सह आचार्य ,समाजशास्त्र,कन्या विश्वविद्यालय,नाथद्वारा   , श्रीमती  चेतना भाटी (डीएसपी) उदयपुर, डॉ. गायत्री तिवारी जैसे  विषय विशेषज्ञों ने निशुल्क सेवाएं दी और इस कार्य को एक पुनीत कदम बताया।
सह संयोजिका डॉ. हेमू राठौड़ ने बताया की अंतिम सत्रों में हुनर सत्र के दौरान प्रतिभागियों ने अपनी अपनी कला यथा डांस ,गाना ,योग ,कहानी ,कविता ,पेंटिंग ,जैविक खाद के डेमोंस्ट्रेशन आदि के द्द्वारा किया। आखिरी दिन ,मुड़ कर देखें नामक सत्र में सभी ने अपने अनुभव बताते हुए कार्यक्रम को बहुत ही प्रभावशाली ,प्रासंगिक ,सारगर्भित बताते हुए भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी और भविष्य में इसकी पुरावृति का आग्रह किया। अत्यंत सक्रीय और पूरे माह अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाने वालों में मुख्यतः श्रीमती कुमुदिनी चांवरिया ,सेवा निवृत ,वित्त नियंत्रक ,राजस्थान  अकाउंट सर्विस,उदयपुर ,श्रीमती नीलम जैन ,निवर्तमान लेक्चर ,नई दिल्ली ,डॉ. सुमन सिंह ,निवर्तमान प्रोफेसर ,उदयपुर ,डॉ. अभय मेहता ,निवर्तमान अनुसंधान निदेशक ,उदयपुर ,डॉ. सुनीता अग्रवाल ,लेक्चरर ,जयपुर ,प्रीती गौड़ ,जयपुर, श्री राजन गुप्ता ,देहरादून , डॉ. वीणा चतुर्वेदी ,जयपुर , डॉ. निर्मला सैनी,लेक्चरर चूरू ने इस कार्यक्रम की अत्यधिक सराहना करते हुए कहा की इस से नए लोगों से हमारा परिचय हुआ और सामुदायिक परिवार का दायरा विस्तृत हुआ जो भविष्य के हमारे संबंधों को और मज़बूत करेगा। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण प्रतिदिन ज़िंदगी से समबन्धित कोई भी गीत /ग़ज़ल की दो पंक्तियों से किया जाने वाला समापन रहा। सह संयोजिका डॉ. सुमित्रा मीणा ने प्रतिदिन शब्दों के  अलग अलग अक्षरों को विस्तारित करके धन्यवाद ज्ञापन  कर नए आयाम  स्थापित  किये। तकनीकी  सहयोग  श्रीमती रेखा राठौड़ ,डॉ स्नेहा जैन और सुश्री विशाखा त्यागी ने दिया।


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