उदयपुर जाने-माने आयुर्वेद मनीषी व इतिहासवेत्ता डॉ. राजेंद्र प्रकाश भटनागर ने आयुर्वेद के साथ-साथ मेवाड़ के कई अछूते पहलुओं को प्रकाश मे लाकर इतिहास में नवीन आयाम प्रदान किए ,उन्होंने इतिहास के संस्कृत ग्रंथ अमर काव्यम का हिंदीअनुवाद कर मेवाड़ के तिथि एवं कालक्रम की महत्वपूर्ण घटनाओं को अन्य पांडुलिपियों ,शिलालेखों, ताम्रपत्रोओर प्रमाणों के साथ पुस्ट किया और कई शोध ग्रंथों की रचना की जो आज के शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है।
उक्त विचार मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष इतिहासकार प्रो.गिरीश नाथ माथुर ने लेखक डॉक्टर राजेंद्र प्रकाश भटनागर की32 वीं पुण्यतिथि पर मेवाड़ इतिहास परिषद एवं भारतीय चिकित्सा विकास परिषद द्वारा आयोजित "डॉ राजेंद्र प्रकाश भटनागर का आयुर्वेद एवं इतिहास क्षेत्रों में योगदान" विषयक ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. गोविंद लाल मेनारिया ने डॉ. भटनागर को इतिहास के सच्चे शोधार्थी व मूल ग्रंथों के अध्येता कहा और उदयपुर स्थापना तिथि को प्रमाणो सहित प्रस्तुत करने वाले प्रथम अन्वेषक बताया।
विशिष्ट अतिथि राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ गुणवंत सिंह देवड़ा ने डॉ. भटनागर का आयुर्वेद जगत मे दी गई स्थाई मूल्य की सेवाओं व योगदान पर प्रकाश डाला।
परिषद के महासचिव डॉ.मनोज भटनागर ने
" डॉ. राजेंद्र प्रकाश भटनागर द्वारा रचित आयुर्वेद एवं इतिहास विषयक जनोपयोगी महत्वपूर्ण ग्रंथो व शोध लेखों"विषयक लेख का वाचन किया।
संगोष्ठी संयोजक शिरीष नाथ माथुर ने डॉ. भटनागर के साहित्य व समाज के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों का स्मरण कराया।
इतिहासकार डॉ.राजेंद्र नाथ पुरोहित, डॉ. अजातशत्रु ,डॉ. जे.के. ओझा, अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय मंत्री गौरीशंकर भटनागर, वैद्या सावित्री देवी,डॉ. संगीता भटनागर,अनुराधा माथुर ,विनोद चौधरी ने भी अपने विचार रखे व डॉ.भटनागर को श्रद्धांजलि अर्पित की।