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कोविड-19 में बच्चों की सुरक्षा पर राज्य स्तरीय वर्चुअल सेमिनार

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05 May 21
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कोविड-19 में बच्चों की सुरक्षा पर राज्य स्तरीय वर्चुअल सेमिनार

उदयपुर बाल संरक्षण आयोग के सदस्य डॉक्टर शैलेंद्र पंड्या ने कहा है कि वर्तमान प्रासंगिक दौर में चल रही जानलेवा कोविड-19 संक्रमण बीमारी में बच्चों की सुरक्षा सरकार के साथ प्रत्येक स्वयंसेवी संस्था की पहली प्राथमिकता है और बच्चों और उनके परिवारों को इस बीमारी में पाए जाने पर उन्हें समुचित इलाज वह बच्चों को तुरंत आइसोलेट करने की आवश्यकता है ताकि देश के इन नौनिहाल और भावी पीढ़ी को बचाया जा सके।

डॉक्टर शैलेंद्र पंड्या मंगलवार को बच्चों के सर्वोत्तम हित में काम करने वाले बाल सुरक्षा नेटवर्क के द्वारा राज्य स्तरीय वर्चुअल मीट में बच्चों के क्षेत्र में काम करने वाले पुलिस प्रशासन से जुड़े मानव तस्करी यूनिट बाल कल्याण समिति चाइल्ड लाइन एवं बालकों के सर्वोत्तम हित में काम करने वाले विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।

डॉक्टर शैलेंद्र पंड्या ने बाल संरक्षण आयोग द्वारा बच्चों के क्षेत्र में किए गए अब तक के कार्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कोविड-19 जैसी संक्रमण बीमारी में शहरी क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी की चपेट में आए बच्चों उनके परिजनों को समुचित इलाज मुहैया करवाने एवं एक घर में रहने वाले परिवारों को बीमारी का पता लगने के बाद बच्चों को सुरक्षित निकाल कर उन्हें आइसोलेशन में रखने पर जोर दिया। उन्होंने स्वयंसेवी संस्थाओं से इस संदर्भ में ग्रास रूट लेवल पर काम करने व बच्चों को इलाज के लिए सतत प्रयत्नशील व ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता लाने पर बल दिया।

बच्चों के क्षेत्र में काम कर रहे मदर एनजीओ जयपुर के अरावली संस्थान के निदेशक वरुण शर्मा ने कोरोना संक्रमण के इस दौर में गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष बीमारी के अधिक फैलने तथा उसकी चपेट में आने वाले बच्चों पर चौकानेवाले आंकड़ों पर रोशनी डाली वरुण शर्मा ने बताया कि ग्रामीण विकास को पंचायती राज के अलग हो जाने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों पर इस बीमारी का अत्यधिक असर हो रहा है और उन्हें समुचित जानकारी के अभाव में इलाज भी नहीं मिल पा रहा है। शर्मा ने बताया कि राज्य स्तरीय ग्रामीण क्षेत्रों में की जा रही सर्वे में 7 से 9% बच्चोंं के प्रभावित होने की संभावना है जो आंकड़ाा लाखों में पहुंचता है।

शर्मा ने श्रमिकों व श्रमिकों के साथ आने वाले बच्चों के पलायन उनके भूख परवरिश और परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गत वर्ष लोक डाउन में ₹12 से ₹330 तक हुए इंश्योरेंस के बाद इस बीमारी से मरे लोगों को ₹200000 के इंश्योरेंस क्लेम दिलाने पर जन जागरूकता का वातावरण निर्माण करने की आवश्यकता बताएं।

जयपुर स्थित मानव तस्करी यूनिट पुलिस मुख्यालय से जुड़े प्रतिनिधि कृष्ण गढ़वाल ने राज्य्य सरकार द्वारा बच्चों केे क्षेत्र तथा पुलिस प्रशासन द्वारा संवेदनशीलता के साथ किए जा रहे कार्यों पर प्रकाश पर प्रकाश डाला।

बैठक में एडवोकेट हरीश पालीवाल ने कोरोना संक्रमण के इस दौर में किशोरियों पर लगातार हो रहे दुष्कर्म तथा इस बीमारी से ग्रामीण क्षेत्रों में अनाथ हो रहे नाबालिक बच्चों को सुरक्षित करने तथा उनका पारिवारिक पुनर्वास करने की आवश्यकता बताई। ग्रामीण क्षेत्रोंं में बच्चों के भय मुक्त वातावरण भूख रहित परिवेश व चिकित्सा के समुचित व्यवस्था पर जोर दिया।

चाइल्डफंड इंडिया के प्रतिनिधि पन्नालाल ने इस दौर में ग्रामीण परिवेश में हो रही नाबालिग बच्चियों को बच्चों के बाल विवाह की रोकथाम करने भीलवाड़ा बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्षा श्रीमती सुमन  त्रिवेदी ने अपने परिजनों को खो लेने वाले तथा बीमारी से परेशान बच्चों को प्रोत्साहित करने राजसमंद में काम करने वाले याकूब खान ने कोविड-19 के परिवेश में बच्चों के क्षेत्र में काम करने के लिए एक्शन प्लान बनाने हेल्पलाइन की स्थापना करने तथा सूचना मिलनेेेे पर बच्चों को प्राथमिक सहायता मुहैया करानेेे के लिए प्रशासनिक स्तर पर पास जारीी करने सलाह दी।

सराड़ा क्षेत्र में काम करने वाले गायत्री शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधि नितिन पालीवाल ने बच्चों के स्वास्थ्य पर कोटडा मैं काम करनेे वाले सरफराज खान ने बच्चों को समुचित पोषाहार तथा आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों के लिए सरकारी स्तर पर गेहूं चावल एवं मिड डे मील योजना शुरू करनेे की पैरवी की। वही बांसवाड़ा चाइल्ड लाइन के प्रतिनिधि कमलेश बंद करने सगन आदिवासी क्षेत्र कुशलगढ़ में घर परिवारों के साथ बच्चों के बीमारी में भी काम करने पलायन कर पड़ोसी राज्यों में जाने पर चिंता जाहिर की।

बाल श्रम उन्मूलन के साथ बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने वाले आजीविका ब्यूरो के प्रतिनिधि राजेंद्र शर्मा ने पड़ोसी राज्यों में जा रहे किशोर किशोरियों के स्वास्थ्य तथा उनके समुचित इलाज पर प्रकाश डाला तथा पड़ोसी राज्यों में दक्षिण राजस्थान के कामकाज के लिए गए बच्चों को सुरक्षित लाने की चुनौती पर रोशनी डाली। जयपुर ग्राम चेतना विकास के प्रतिनिधि ओमप्रकाश ने बताया कि कोविड-19 पीरियड में जयपुर में उन्होंने 56 परिवारों को हल्दी धनिया के प्रोडक्ट संस्थागत बनाना सिखा कर उन्हें आत्मनिर्भर व स्वावलंबी बनाया है यह प्रयास संस्थाओं को व्यक्तिगत स्तर पर कर बच्चों वाले परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की वकालत की। चाइल्डलाइन उदयपुर के समन्वयक नवनीत औदीच्य ने कोविड-19 के इस दौर में भी बच्चों पर हो रहे अपराधों की जानकारी तुरंत चाइल्डलाइन नंबर 1098 को देने तथा बच्चों को सुरक्षित करने पर जोर दिया।
बाल कल्याण समिति उदयपुर के अध्यक्ष ध्रुव कुमार चारण ने कोविड-19 के पीरियड में बच्चों की स्क्रीनिंग करने तथा सुरक्षित परिसर में रखने और उनका समुचित विकास करने पर बल दिया वहीं पूर्व अध्यक्ष डॉ प्रीति जैन ने इस पीरियड में बच्चों के हो रहे पढ़ाई के नुकसान तथा निजी शिक्षण संस्थाओं द्वारा फीस वसूली के मुद्दे को उठाया।
बैठक में बाल सुरक्षा नेटवर्क के समन्वयक डॉ राजकुमारी भार्गव ने दक्षिण राजस्थान के सघन आदिवासी क्षेत्रों में कोविड-19 के पीरियड में बच्चों के समुचित चिकित्सा उनके परिजनों के टीकाकरण एवं उनके भरण-पोषण की व्यवस्था किए जाने पर बल दिया। बाल सुरक्षा नेटवर्क के संयोजक बालकृष्ण गुप्ता ने राजस्थान में कोविड-19 के पीरियड में शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के इस बीमारी की चपेट में आने तथा उनको समुचित इलाज नहीं मिलने पर गहरी चिंता की है। गुप्ता ने बताया कि इस वर्चुअल मीटिंग में कोविड-19 के पीरियड में बच्चों के लिए किए जा रहे कार्य तथा आए सुझाव पर एक चार्टर सुझाव पत्र बनाया जाकर बाल संरक्षण आयोग को प्रेषित किया जाएगा जिससे दक्षिण राजस्थान सहित उदयपुर संभाग के ग्रामीण परिवेश के पलायन कर रहे परिवारों को बच्चों को सुरक्षित लाने तथा उनके इलाज आदि की व्यवस्था के लिए प्रशासन को इन बिंदुओं से अवगत कराया जा सके।
बैठक में उदयपुर बांसवाड़ा डूंगरपुर चित्तौड़ राजसमंद  सहित फोस्टर केयर सोसाइटी महान संस्था के राजेंद्र गामड़ सहित जयपुर भरतपुर की कई सहभागी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए। बैठक का संचालन हरीश पालीवाल ने किया धन्यवाद की रस्म गायत्री शिक्षण संस्थान के प्रतिनिधि नितिन पालीवाल ने अदा की।


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