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पेसिफिक में ऑनलाईन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश एवं विदेश के 235 शोधार्थियों ने भाग लिया

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19 Apr 21
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पेसिफिक में ऑनलाईन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में देश एवं विदेश के 235 शोधार्थियों ने भाग लिया

पेसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, पेसिफिक यूनिवर्सिटी एवं पेसिफिक बिजनेस स्कूल के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय बारहवीं ऑनलाईन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का 16 अप्रैल, 2021 का शुभारंभ हुआ। कांफ्रेंस चेयर प्रो. महिमा बिड़ला, डीन फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट ने बताया की उत्तर भारत का प्रमुख अग्रणी शिक्षण संस्थान होने के कारण पेसिफिक विश्वविद्यालय स्थायी वैश्विक विषयों पर विभिन्न आयोजनों के प्रति सदा जागरूक और सजग रहा है एवं अपने शैक्षणिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करते हुए एवं कोविड-19 की चुनौतियों से रूबरू होते हुए, इस सम्मेलन को ऑनलाईन मोड में आयोजित किया गया है जिसमें देश के 18 राज्यों एवं मलेशिया, मेक्सिको, बांग्लादेश, नेपाल, कुवैत, सउदी अरब, भुटान आदि विदेशी शोधार्थियों, शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक क्षेत्र के 235 सारांश प्रपत्र प्राप्त हुए जिसमें से 105  शोधपत्रों का वाचन हेतु चयन किया गया।

                पेसिफिक विश्वविद्यालय के प्रेसीडेन्ट प्रो. कृष्णकान्त दवे ने वर्तमान महामारी में शिक्षक, छात्र एवं समस्त शैक्षणिक गतिविधियों पर पड़ने वाले प्रभावों कि विवचेना की एवं किस प्रकार तकनीकि प्रयोग द्वारा शैक्षणिक गुणवत्ता का सुधार किया जा सकता है उस पर विचार प्रस्तुत किये। साथ ही न्यू एज्युकेशन पाॅलिसी द्वारा पड़ने वाले प्रभावों पर सबका ध्यान केन्द्रित किया। प्रो. हेमन्त कोठारी डीन, पीजी, पेसिफिक विश्वविद्यालय द्वारा शैक्षणिक अनुसंधानों का स्थायी वैश्विक परिपे्रक्ष्य में सम्मेलन संबंधी विषयों पर प्रयोग करने हेतु जोर दिया गया।

                प्रारम्भिक सत्र के मुख्य अतिथि डा. रेमण्डो पी. आरसेेगा, चांसलर, लीसीयम ऑफ द फिलीपींस युनिवर्सिटी, फिलीपींस ने वर्तमान समय में सर्वव्यापी महामारी काॅविड-19 के कारण लोगों में बदलते व्यवहार, सुचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग, पर्यावरण अनुकुलित समाज एवं व्यापार, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संबंधी गुणवत्ता के सुधार एवं वैश्विक असमानता जैसे विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किये। प्रमुख रूप से स्थायी वैश्विक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्श, ई-काॅमर्स, सोशल काॅमर्स, वर्चुअल रियलिटी जैसे अनेकों सुझाव दिये जो प्लेनेट, पीपल एवं उनके हितों के सन्दर्भ में समसामयिक थे। 

                सत्र के गेस्ट ऑफ ऑनर प्रो. आर.ए. गुप्ता, वाइस चांसलर, राजस्थान टैक्नीकल युनिवर्सिटी, कोटा ने बताया कि वर्तमान समय में शौधार्थियों को अच्छे अनुसंधानों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। जिससे वैश्विक रूप से प्रभाव डालने वाली समस्याओं का प्रायोगिक रूप समय रहते ही विवेचन एवं अध्ययन कर उनका समाधान प्राप्त किया जा सकें। उन्होंने शिक्षा के वर्तमान स्वरूप में परिवर्तन कर शिक्षा को परिणामजनक बनाने कि ओर ध्यान केन्द्रित किया एवं साथ ही यह भी बताया कि सभी को पर्यावरण, अपने पृथ्वी ग्रह एवं समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन संसाधनों के सीमित एवं तार्किक प्रयोग से करना चाहिए।

                विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित अर्जुन सी. मारफटिया, सीनियर वाइस प्रेसीडेन्ट, ईएनएएम एसेट मैनेजमेन्ट कम्पनी प्रा. लिमिटेड ने पर्यावरण एवं संसाधन प्रबन्धन (ई.आर.जी.) के सन्दर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होेंने देश विदेश में प्रयोग में लाई गई विभिन्न  तकनीकों जिनसे पर्यावरण एवं पृथ्वी ग्रह की अतुल्यता को संरक्षित किया जा सकता है के प्रयोग पर सबका ध्यान केन्द्रित किया। प्रमुख रूप से कागज के प्रयोग को पुुर्णतः रौकने एवं उससे संबंधित पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के विभिन्न क्षेत्रों पर कार्यान्वयन पर जोर दिया।      सत्र के मुख्य वक्ता डा. पुनम पाण्डे, एक्स एज्युकेटिव, डायरेक्टर ऑफ यू.एन. ग्लोबल काॅम्पेक्ट नेटवर्क इण्डिया ने बताया कि सार्वभौमिक विकास की परिकल्पना, पर्यावरण, समाज एवं व्यापारिक हितों के बगैर नहीं कि जा सकती है। व्यवसायों को अपने विकास एवं सफलता के लिए प्रमुख स्तम्भों जिसमें पर्यावरण संसाधनों, सामाजिक संसाधनों एवं व्यावसायिक संसाधनों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। इन्होंने देश एवं समाज के प्रति व्यावसायों कि कर्तव्य निष्ठा का संपादन पर्यावरण हितों को ध्यान में रखते हुए करने पर कारगर कदम उठाने पर जोर दिया एवं किस प्रकार छोटे-छोटे कदम जैसे वैश्विक युग में टैक्नोलाॅजी के प्रयोग द्वारा पर्यावरण संरक्षण कर एक साथ आगे बढ़ने पर जोर दिया।

                सम्मेलन निदेशक प्रो. दिपिन माथुर, निदेशक, पेसिफिक बिजनेस स्कुल ने सम्मेलन कि वर्तमान आवश्यकता पर सबका ध्यान केन्द्रित किया एवं बताया कि व्यावसायिकरण के दौर में व्यावसाय समाज एवं पर्यावरण के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर किस प्रकार स्थायी हितों को प्राप्त कर सकते हैं। जिसमें व्यावसायों द्वारा रियुज, रिसायकल, जैसी नितियों के प्रयोग पर अपने विचार प्रस्तुत किये। उन्होंने यह भी बताया कि दो दिनों तक पाँच टेक्निकल सत्रों में शोधपत्रों का वाचन होगा जो कि पर्यावरण, समाज, अर्थव्यवस्था, सामाजिक एवं मानव संसाधन क्षेत्र के विभिन्न समसामायिक विषयों पर होंगे।

                दो दिवसीय सेमिनार में विभिन्न तकनीकी सत्रों के मुख्यवक्ता एवं अध्यक्ष डा. उत्तमकुमार एम. किनांगे, कौसली इंस्टीट्युट ऑफ मैनेजमेन्ट स्टडीज, कर्णाटक युनिवर्सिटी, धरबाड, डा फ्रेन्सीस केयोडे, डीन, लीसीयम ऑफ द फिलीपींस युनिवर्सिटी, फिलीपींस, डा. गायत्री तिवारी, हेड सीसीएएस, एमपीयूएटी, उदयपुर, डा. अल्पना सिंह, प्रीसींपल, डिपार्टमेन्ट ऑफ एज्युकेशन, एमएलएसयू, उदयपुर, डा. संजय बियानी, प्रोफेसर, सौराष्ट्र युनिवर्सिटी, गुजरात, प्रो. जसवीन कौर, गुरूनानक देव युनिवर्सिटी, अमृतसर, डा. निर्मला जोशी, प्रोफेसर, एमइटी, मुम्बई, डा. विठल एस. सुखाथनकर, गौवा इंस्टीट्युट ऑफ मैनेजमेन्ट, प्रो. एस.के. भट्ट, डीन, डीपार्टमेन्ट ऑफ बिजनेस स्टडीज, सरदार पटेल युनिवर्सिटी, डा. कामिनी शाह, सरदार पटेल युनिवर्सिटी आदि ने सम्मेलन के विभिन्न विषयों पर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया।

                सम्मेलन सचिव डा. शिवोह्म सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन ने सभी अतिथियों एवं शोधार्थीयों को इस नए दौर की संगोष्ठी में जुड़ने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। डा. पल्लवी मेहता ने सम्मेलन के उदघाटन सत्र का संचालन किया।


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