उदयपुर हमारे देश के प्राचीन भवन ,महल ,हवेलियां, मंदिर, शिलालेख, ताम्रपत्र ,मूर्तियां, आदि तो हमारी विरासत है जो हमारी सांस्कृतिक परंपराओं से परिचित करवाती है | वर्तमान में सर्वाधिक खतरा हमारे जंगल ,पहाड़, जन संसाधनों को हैं | इनको हानि पहुंचाने के कारण ही हमे महामारी का सामना कर रहे हैं |
उक्त विचार मेवाड़ इतिहास परिषद के अध्यक्ष प्रो. गिरीश नाथ माथुर ने विश्व विरासत दिवस की पूर्व संध्या पर मेवाड़ इतिहास परिषद द्वारा आयोजित ऑनलाइन संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए |
परिषद के महासचिव डॉ. मनोज भटनागर ने 'विरासतो का महत्व व संरक्षण' विषयक शोध पत्र का वाचन करते हुए कहां कि हमें जंगल पहाड़ एवं जल संसाधनों को विरासत की सूची में सम्मिलित कर उनके संरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए |
संगोष्ठी संयोजक शिरीष माथुर ने वर्तमान समय में विरासतो को पहुंचाई जा रही क्षति पर गहरा खेद व्यक्त कर विरासतो के संरक्षण के प्रति आम व्यक्ति की जिम्मेदारी बताया |
संगोष्ठी में डॉ संगीता भटनागर ,डॉ. राजेंद्र नाथ पुरोहित, डॉ.जी. एल. मेनारिया,डॉ जमनेश कुमार ओझा ने प्राचीन विरासतो के महत्व पर प्रकाश डाला |