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भारतीय लोक कला मण्डल के 70 वें स्थापना दिवस पर दी परफोरमर्स

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01 Mar 21
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भारतीय लोक कला मण्डल के 70 वें स्थापना दिवस पर दी परफोरमर्स

उदयपुर| भारतीय लोक कला मण्डल के 70 वें स्थापना दिवस पर दी परफोरमर्स कल्चरल सोसायटी, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में  आयोजित किये जा रहे 17 वें पद्मश्री देवीलाल सामर स्मृति नाट्य समारोह के अंतिम दिन जयपुर के सूफियान खाॅन द्वारा निर्देशित नाटक बिवियों का मदरसा ने लोगों को हंसा-हंसा कर लौट पोट किया।

 भारतीय लोक कला मण्डल के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया फ्रांस के दिग्गज अभिनेता और नाटककार मौलियर द्वारा लिखित  नाटक ‘‘बिवीयों का मदरसा’’ को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के बहुमुखी प्रतिभा के धनी बलराज पंडित ने जानी मानी अभिनेत्री सुरेखा सिकरी के साथ मिलकर भारतीय परिवेक्ष में रूपांतरित किया है। । 

नाटक की कहानी में पचास साल के अमीर हनीफ मुहम्मद को पक्का यकीन है कि पूरी औरत जात बेईमान है और अपने शौहरों से बेवफाई करती हैं । इस वजह से उन्होंने आज तक निकाह नहीं किया और तय किया होने वाली कि अपनी बीवी को अपने हिसाब से तैयार करेगें। इसलिए हनीफ एक बच्ची (हुस्नआरा) को अपने एक खुफिया घर में दो नौकरों की देखरेख में पूरी दुनिया से छिपा कर रखते है । वहां अपना नाम ‘‘कतलू बेग’’ रख लेता है । लड़की को अच्छी बीवी बनने की शिक्षा और प्रशिक्षण देता है ताकि बड़ी होने पर वह उससे निकाह कर सके । लेकिन हुस्नआरा ने एक नौजवान (गुलफाम) को देख लिया और दोनों एक दूसरे के साथ इश्क कर बैठे । गुलफाम, हनीफ मुहम्मद के अमीर दोस्त शौकत का बेटा था। दोनों में से कौन हुस्नआरा से शादी करता है ? क्या हनीफ के शादी के सपने साकार होंगे ? इसी उथल-पुथल भरा जिंदगी से भर नाटक जो सामाजिक  असामनता के कारण हास्य उत्पन्न करता है । ये सामाजिक स्थिति आज भी सामयिक है । 

उन्होने बताया नाटक की मुख्य भूमिका में सुफयान खान, विनोद सोनी, विकास यादव, नरेश प्रजापत, गरिमा चैधरी, गौरव निर्वाण, मंशा सोलंकी, अजय कुमार,  मानस श्रीवास्तव, प्रदीप सोलंकी, असलम पठान, शहजोर अली, आर डी  अग्रवाल थे। कार्यक्रम के अंत में संस्था के मानद सचिव सत्य प्रकाश गौड ने नाटक के निर्देशक सुफियान खाॅन को स्मृति चिन्ह् भेंट कर कलाकारों का अभिनंदन किया। 

उन्होने बताया कि भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर के 70 वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रमो में लगभग 300 लोक कलारों, 100 रंगकर्मीयों एवं 60 शिल्पियों ने भाग लिया। इस समारोह के सफल आयोजन के लिए उन्होने राजस्थान कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर, पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, कोलकता, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर, मा. ला. वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, हरियाणा कला परिषद, कुरूक्षेत्र, भाषा एवं संस्कृति विभाग, तेलंगाना, पंजाब फोक आर्ट सेंटर, गुरूदासपुर का अभार व्यक्त किया जिनके सहयोग से भारतीय लोक कला मण्डल के 70 वें स्थापना दिवस कार्यक्रम सफल हो पाया है। अगले वर्ष फिर मिलने के साथ ही सभी कलाकारों, रंगकर्मीयों एवं शिल्पकारों ने नम आँखों से विदा ली।


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