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महाराणा शंभु सिंह की आज १७३वीं जयन्ती

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31 Dec 20
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महाराणा शंभु सिंह की आज १७३वीं जयन्ती

उदयपुर |  मेवाड के ७१वेंएकलिंग दीवान महाराणा शंभु सिंह जी (राज्यकाल १८६१-१८७४ ई.स.) का जन्म पौष कृष्ण एकम, विक्रम संवत १९०४ को हुआ था। आज महाराणा शंभुसिंह जी की १७३वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर की और से पूजा-अर्चना रखी गई है।

१३ अक्टूबर १८६१ को महाराणा स्वरूप सिंह जी ने कुंवर शंभुसिंह को गोद लिया। महाराणा शंभुसिंह जी ने १७ नवम्बर १८६१ ई. में छोटी उम्र में ही मेवाड का राज्यकार्य संभाला। युवा महाराणा के मार्गदर्शन हेतु ब्रिटिश राजनीतिक एजेन्ट श्री आर.एल. टेलर को नियुक्त किया गया था। महाराणा ने अपने शासनकाल में कई नये नियम और कार्यालय स्थापित कर प्रशानिक कार्यों को मजबूती प्रदान की। इस हेतु महाराणा ने २३ दिसम्बर १८६९ को ’महकमा खास‘ नाम की एक कचहरी की स्थापना की थी। जनता में सुशासन के लिये उन्होंने दीवानी और फौजदारी अदालतों की भी स्थापित की थी। प्रजा के बेहतर स्वास्थ्य के लिये चिकित्सा, शिक्षा के साथ डाक सेवाओं को भी आरम्भ किया गया। समय-समय पर चिकित्सा के लिए स्वास्थ्य केन्द्र खोले गये, जेल और पुलिस व्यवस्था में सुधार किया गया, नगर में पुलिस की गस्त बढा दी गई, मन्दिरों की व्यवस्था के लिए देवस्थान विभाग खोला गया और इनसे प्राप्त आय का उपयोग बाढ, अकाल आदि नैसर्गिक आपदाओं के समय जनता की सहायता के लिए रखा गया। उनके प्रजा हितेषी कार्यों एवं राज्य के सुशासन के लिये ब्रिटिश सरकार की और से महाराणा को जी.सी.एस.आई नामक खिताब से नवाजा गया।

महाराणा शंभुसिंह ने मेवाड में आधुनिक शिक्षा में बहुत रूचि ली थी। अपने व अपने गुरु पंडित रत्नेश्वर प्रसाद के नाम से सन् १८६३ में पहला राजकीय विद्यालय ’शंभुरत्न पाठशाला‘ की उदयपुर में स्थापना की। महाराणा ने १८६६ में दो महिला शिक्षिकाओं को नियुक्त कर बालिका वद्यालय को भी स्थापित किया। १८७२ में भीलवाडा और चित्तौडगढ में दो स्कूल की स्थापना की गई। महाराणा शंभु सिंह जी द्वारा १८६२ में पहला राज्य औषधालय उदयपुर में खोला गया। १८६४ में रोगियों के लिए ठहरने हेतु सुविधा प्रदान की गई। १८६९-७० में आम जनता के लिए खेरवाडा में एक छोटा अस्पताल खोला गया। इस अस्पताल के रख-रखाव के लिये महाराणा की और से मासिक अनुदान दिया जाता था।

महाराणा शंभुसिंह जी के निर्माण कार्यों में जगनिवास का शंभु प्रकाश महल, शंभुरत्न पाठशाला, के साथ ही उदयपुर-देसूरी, नीमच-नसीराबाद, उदयपुर-खेरवाडा और उदयपुर से चित्तौडगढ तक सडकों का निर्माण भी करवाया तथा कई जीर्णोद्धार के लिए उन्होंने अनुदान भी दिया। महाराणा के शासन काल में उनकी माँ ने जगदीश मन्दिर के पास गोकुल चन्द्रमा मन्दिर का निर्माण भी करवाया।

महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने उक्त ऐतिहासिक जानकारियों के साथ बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते महाराणा की जयंती पर किसी प्रकार का आयोजन नहीं रखा जाएगा।


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