उदयपुर | महाराणा जवान सिंह जी (राज्यकाल १८२८-१८३८ ई.स.) मेवाड के ६८वें श्री एकलिंग दीवान थे उनका जन्म मार्गशीर्ष शुक्ल की द्वितीया, विक्रम संवत १८५७ को हुआ था। आज (१६ दिसम्बर) महाराणा जवानसिंह जी की २२०वीं जयन्ती है।
३१ मार्च १८२८ ई. से महाराणा जवानसिंह ने मेवाड का राज्यकार्य संभाला। महाराणा ने मेवाड राज्य में शैक्षिक और साहित्यिक प्रथाओं को बढावा दिया। इन्हीं महाराणा के समय नेपाल के महाराजा विक्रमशाह ने मेवाड राज्य के रीति-रिवाजों को देखने-समझने के लिए नेपाल से कुछ प्रतिष्ठित व्यक्तियों का दल उदयपुर भेजा। क्योंकि नेपाल के राणा के पूर्वज मेवाड के सिसोदिया वंश के वंशज थे।
मेवाड में मराठाओं के आर्थिक संघर्ष के बावजूद कला और साहित्य में महाराणा का लगाव होने के कारण ही साहित्यिक विकास संभव हो सका। महाराणा की कविता और धर्म में अच्छी रूची थी।
महाराणा ने १८३३-३४ ई.स. में मथुरा, वृन्दावन, अयोध्या, इलाहाबाद, बनारस और गया जी की तीर्थ यात्राएं की तथा उन्होंने कई गुरुकुलों का दौरा भी किया। जब महाराणा वापस मेवाड आये तो उन्होंने स्वदेशी शैक्षिक प्रणाली में सुधार के लिए काफी रूचि ली। उन्होंने ’ब्रजराज‘ नाम का उपयोग करते हुए एक कविता लिखी। उनकी कविताएं श्रीकृष्ण की प्रशंसा पर आधारित थी और उनकी कविताए ब्रज भाषा में लिखी जाती थीं तथा महाराणा ने कई कविताओं की रचना की। जिसे बाद में राजस्थान विद्यापीठ, उदयपुर ने उन कविताओं को एक पुस्तक रूप ’ब्रजराज-काव्य-माधुरी‘ में संकलित कर सन् १९६६ में प्रकाशित किया।
महाराणा ने कई विद्वानों एवं कलाकारों को सम्मान प्रदान कर आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया। इस प्रकार महाराणा जवान सिंह ने कला और साहित्य को समृद्ध करने में अपना योगदान दिया।
सन् १८३४ में महाराणा जवानसिंह ने पीछोला झील के तट पर जलनिवास नामक महल बनवाया। उन्होंने राजमहल में घुमट मंदिर, मुकुट मंदिर (बाडी महल) का निर्माण भी करवाया।
महाराणा ने उदयपुर में तीन मन्दिरों का निर्माण करवाया, जिसमें ’श्री जवान-स्वरूपेश्वर महादेव मन्दिर‘, बडी पोल के पास, जगदीश चौक के पास ’श्री जवान-सूरजबिहारी मन्दिर‘ प्रमुख है। जगदीश चौक मार्ग स्थित ’श्री जवान-स्वरूपेश्वर मन्दिर‘ में महाराणा जवान सिंह और उनकी बाघेली रानी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित है।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने उक्त ऐतिहासिक जानकारियों के साथ बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते महाराणा की जयंती पर किसी प्रकार के आयोजन नहीं रखे जाएगें।