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ब्राह्मण साहित्य बहुत ही बड़ा साहित्य है, हमारे वेदों में 1121 ब्राह्मण ग्रंथ

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14 Aug 20
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ब्राह्मण साहित्य बहुत ही बड़ा साहित्य है, हमारे वेदों में 1121 ब्राह्मण ग्रंथ

उदयपुर  / जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ ;डीम्ड टू बी विश्वविद्यालयद्धए उदयपुर के संघटक साहित्य संस्थान एवं नक्षत्र ज्योतिष शोध संस्थानए उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मनीषी पंडित जनार्दनराय नागर स्मृति ऑनलाइन व्याख्यानमाला के मां सरस्वती वंदना के साथ प्रारंभ की गई मुख्य वक्ता के रूप में ’डॉ  शत्रुघ्न पाणिग्राही सह आचार्यए श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय वेरावल अपने विषय ब्राह्मण साहित्ये शतपथ ब्राह्मणस्य स्थानम् अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ब्राह्मण ग्रंथ क्या है ब्राह्मण साहित्य बहुत ही बड़ा साहित्य है।  हमारे वेदों में 1121 ब्राह्मण ग्रंथ हैंए सबसे प्राचीन शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ है। वेद के दो भाग हैं मंत्र साहित्य और ब्राह्मण। मंत्र भाग का उतना ही महत्व है जितना कि ब्राह्मण ग्रंथ का। कुल ब्राह्मण ग्रंथ 1121 हैं उनमें से आज के समय में केवल 14 ग्रंथों का ही अध्ययन हो रहा है शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ दो प्रकार के हैं आज सभी समाज सभी वर्गों में वैज्ञानिक तथ्यों को आधार मानकर शतपथ ब्राह्मण ग्रंथ को जानना चाहिए। शतपथ ब्राह्मण में प्रथम वाक्य  है हमारे समाज में आज भी लोग उपवास करते हैं हम  व्रत ग्रहण करते हैं और जल को स्पर्श करते हैं क्योंकि जल को पवित्र माना गया है अग्नि व जल हमारे जीवन में बहुत ही उपयोगी हैं। व्रतों का आचरण करना होगाए प्रत्येक वेद में अनेक मंत्र हैं। शतपथ ब्राह्मण का पहला मंत्र है सत्य पर चलना चाहिएए जल को उत्तर दिशा में रखना चाहिएए शतपथ ब्राह्मण ग्रंथों से शिक्षा लेनी चाहिए। साथ ही  रसोई बनाते समय मौन व्रत का पालन करना चाहिएए हवि देते समय मौन व्रत को का ध्यान करें आदि पर विस्तार से विचार व्यक्त किए।संगोष्ठी का स्वागत उद्बोधन करते हुए साहित्य संस्थान निदेशक प्रोफेसर जीवन सिंह खर्कवाल ने संस्थान का परिचय देते हुए अपने विचार व्यक्त किए डॉ भगवती शंकर व्यास ने सभी विद्वान जनों का धन्यवाद ज्ञापित किया।   संचालन डॉ कुलशेकर व्यास किया।


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