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जगदीश प्रजापत राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित

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17 Jul 20
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जगदीश प्रजापत राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित

‘‘जगजीवन राम अभिनव’’ कृषक पुरूस्कार प्रदान किया गया है। उल्लेखनीय है कि उक्त पुरूस्कार देश भर के 11 जोन में हर जोन के एक कृषक को दिया जाता है। श्री प्रजापत को यह पुरूस्कार जोन द्वितीय के 61 कृषि विज्ञान केन्द्रो में से अकेले को मिला है। उक्त पुरूस्कार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के 92 वें स्थापना दिवस पर आॅनलाइन दिया गया। आॅनलाइन समारोह में कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, कृषि एवं कृषक कल्याण राज्य मंत्री श्री पुरूषोत्तम रूपाला, कृषि एवं कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चैधरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के महानिदेशक डाॅ. त्रिलोचन महापात्रा एवं परिषद् के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे। श्री प्रजापत को यह पुरूस्कार महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के माननीय कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह जी राठौड़ के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में मिला है। श्री प्रजापत ने उक्त पुरूस्कार मिलने पर विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ साहब का सहद्रय आभार जताया साथ ही प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ. एस.एल. मून्दड़ा का भी आभार जताया। श्री प्रजापत को यह पुरूस्कार विगत 5 वर्षों में कृषि एवं उद्यानिकी के क्षैत्र में नवाचार करने के उपलक्ष्य में दिया गया। श्री प्रजापत नेे कृषि उद्यानिकी क्षैत्र में विगत 5 वर्षो में सफलता के नये आयाम स्थापित किये हैं। पुरूस्कार स्वरूप प्रमाण पत्र एवं नगद राशि 50,000/- रूपयें दिये जायेगें।  

चित्तौड़गढ़ जिले की निम्बाहेड़ा तहसील के छोटे से गांव बांगरेड़ा मामादेव के साधारण परिवार में जन्में श्री प्रजापत का परिवार वर्ष 2013 तक परम्परागत खेती करता था। जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति में कोई उठाव नही आया। वर्ष 2013 के पश्चात श्री प्रजापत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के वैज्ञानिको एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, चित्तौड़गढ़ के सम्पर्क में आये विभिन्न प्रशिक्षणों में हिस्सा लिया एवं तकनीकी जानकारी प्राप्त की उसके पश्चात श्री प्रजापत ने पीछे मुड़ कर नही देखा। श्री प्रजापत ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको की सलाह पर सफेद मूसली की खेती आरम्भ करने की सोची परन्तु बीज का मूल्य अधिक होने के कारण समीपवर्ती मध्यप्रदेश के वन क्षैत्र से सफेद मूसली का बीज इकटठा किया एवं बीज का गुणन करते हुए 1.5 हैक्टर क्षै़त्रफल में सफेद मूसली की खेती करने लगे श्री प्रजापत को देखकर आसपास के गांवों में 50 कृषकों ने सफेद मूसली की खेती करना प्रारम्भ किया। सफेद मूसली के अतिरिक्त जिले में प्रथम बार स्ट्राबेरी की खेती प्रारम्भ की जिससे प्रेरित होकर आज लगभग 15 कृषक स्ट्राबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे है। 8 वीं पास श्री प्रजापत ने वैज्ञानिको के सहयोग एवं सलाह से सफेद मूसली एवं स्ट्राबेरी के अलावा खेती के कई आयाम स्थापित किये जिनमें प्याज बीज उत्पादन, लहुसन उत्पादन, पाॅलीहाउस स्थापना, पेक हाउस स्थापना संतरा के बगीचे में लहुसन का अंतराशस्यन, वैज्ञानिक डेयरी फार्म  एवं सबसे खास सफेद मूसली छिलने की मशीन जिससे मूसली छिलने में श्रम एवं लागत की कमी के साथ साथ छोटी मूसली का अपव्यय रूका। 

श्री प्रजापत को जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरूस्कारो से सम्मानित किया गया जिसमें मुख्य रूप से आत्मा का राज्य स्तरीय पुरूस्कार, वाइबे्रन्ट गुजरात पुरूस्कार, जी न्यूज का राष्ट्रीय पुरूस्कार एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के राज्य स्तरीय किसान मेले के पुरूस्कार है। 

श्री प्रजापत के फार्म पर राज्य एवं देश के कई वैज्ञानिको एवं अधिकारियों ने भ्रमण कर श्री प्रजापत की प्रशंसा की है। श्री प्रजापत के इन्ही अभिनव नवाचारो से प्रेरित होकर चित्तौड़गढ़ जिले के एवं समीपवर्ती मध्यप्रदेश के कई कृषको ने श्री प्रजापत के नवाचारो को अपनाया है।   


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