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किसान संगोष्ठी एवं पशुचिकित्सा शिविर

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20 Jun 20
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किसान संगोष्ठी एवं पशुचिकित्सा शिविर

माननीय राज्यपाल महोदय के स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के अन्तर्गत महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा चयनित ग्राम विशमा एवं हायला में 19-20 जून, 2020 को किसान संगोष्ठी एवं पशुचिकित्सा एवं टिकाकरण शिविर आयोजित किया गया जो इन्टरनेशनल ट्रेक्टर लिमिटेड, होशियारपुर (पंजाब) द्वारा सामुदायिक सामाजिक जिम्मेदारी के तह्त प्रयोजित था।

ग्राम विशमा में आयोजित संगोष्ठी में किसान महिलाओं एवं किसानों को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि वल्लभनगर स्थित राजूवास के पशुपालन महाविद्यालय के अधिष्ठाता, डाॅ. राजीव जोशी ने किसानों से आह्वान किया कि कृषि के साथ-साथ पशुपालन से जुड़े व्यवसाय अपनाकर वे अपनी आमदनी में बढ़ावा कर सकते हें। पशुओं से अच्छी आमदनी प्राप्त करने के लिये ये बहुत ही आवश्यक है कि हम अच्छी नस्ल के साथ-साथ पशुओं के खान-पान व रख-रखाव पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने सन्तुलित आहार की महŸाा, बकरी पालन, खरगोश पालन पर अपने अनुभाव साझा किये। उन्होंने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा गांवों में किये गये नवाचारों की प्रशंसा की एवं राजूवास का पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशक, डाॅ. एस.एल. मून्दड़ा ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रसार शिक्षा निदेशालय द्वारा किसानों के लिये किये जा रहे कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने ने किसानों से आजिविका सुरक्षा हेतु कृषि कार्यों की चर्चा की। डाॅ. मून्दड़ा ने विश्वविद्यालय द्वारा विशमा एवं हायला गांवों में किये गये कार्यों की प्रशंसा की व किसान बहनों से आह्वान किया कि वे वैज्ञानिकों को पूरा सहयोग करें व उनके द्वारा सुझाई तकनीकों को अपनाकर अपनी आमदनी में वृद्धि करें।

एटिक समन्वयक डाॅ. इन्द्रजीत माथुर ने स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के अन्तर्गत लिये गये विशमा व हायला ग्रामों में पिछले दो वर्षों में किये गये कार्यों का ब्यौरा प्रस्तुत किया। पशुपालन विशेषज्ञ डाॅ. एस.सी. जीनगर ने अतिथियों एवं संगोष्ठी में भाग ले रहे किसानों व किसान बहनों का स्वागत किया व विस्तार से पशु चिकित्सा शिविर के महत्व एवं पशुओं के रख-रखाव की जानकारी दी।

इस अवसर पर पशुपालन विभाग, राजस्थान सरकार के सहयोग से दोनों गांवों में पशु चिकित्सा एवं टीकाकरण शिविर आयोजित किये गये। संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, डाॅ. भूपेन्द्र भारद्वाज द्वारा पशु चिकित्सक, डाॅ. सुनिल वारजुरकर, पशुधन सहायक श्री विनोद कटारा, श्री रेवालाल मीणा, श्री सुखराम व श्री राजेश को नियुक्त किये गये। शिविर में गाय, भैंस व बेलों में गलगोंठ की बिमारी की रोकथाम हेतु एच.एस. वैक्सीन एवं बकरियों में फड़कियां रोग की रोकथाम हेतु ई.टी. वैक्सीन का टीकाकरण किया गया। दुधारू पशुओं में अन्त परजीवी रोकथाम हेतु निलजान, आॅक्सीक्लोजाॅनीड तथा ग्याबन पशुओं में फेनबेन्डाजोल टेबलेट दी गई। दूध बढ़ाने हेतु एग्रोमीन र्फाटमिनल मिक्सचर दिया गया। मुर्गियों में बिमारियों की रोकथाम हेतु टेरावेट पाउडर दिया गया।

शिविर में 262 बड़े पशु (गाय, भैंस, बेल) तथा छोटे पशु 631 (भेड़, बकरी), 125 मुर्गीयों को उपचारित एवं टिकाकरण किया गया।

पशुओं को पाॅली में आने के लिए तथा गर्भ रोकने के लिए क्लोमन किट तथा कोछा टेबलेट दी गई। कार्यक्रम का संयोजन श्री भोपाल सिंह झाला द्वारा किया गया।

 


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