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शिल्पग्राम उत्सव 21 से: 21 राज्यों के कलाकार भाग लेंगे

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18 Dec 19
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शिल्पग्राम उत्सव 21 से: 21 राज्यों के कलाकार भाग लेंगे

उदयपुर / ग्राम्य जनजीवन और लोक कलाओं को जनता के मध्य लाने, पारंपरिक शिल्प कला एवं लोक कलाओं के प्रोत्साहन के उद्देश्य से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र 21 से 30 दिसम्बर तक उदयपुर के शिल्पग्राम में राष्ट्रीय हस्त शिल्प एवं लोक कला उत्सव ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ का आयोजन करेगा जिसमें 21 राज्यों के 700 लोक कलाकार व 21 राज्यों के 800 शिल्पकार भाग लेंगे। उत्सव का उद्घाटन 21 दिसम्बर को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र करेंगे। राज्य के कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे तथा सांसद अर्जुनलाल मीणा तथा उदयपुर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया विशिष्ट अतिथि होंगे।
केन्द्र के प्रभारी निदेशक सुधांशु सिंह ने मंगलवार को शिल्पग्राम में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेन्स में उत्सव की जानकारी देते हुए बताया कि देश के विभिन्न अंचलों में शिल्प सृजन करने वाले शिल्पकारों को शिल्प कला का प्रदर्शन करने तथा कलात्मक उत्पादों के लिये बिना मध्यस्थ के बाजार उपलब्ध करवाने के ध्येय एवं लोक कलाकारों को कला प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध करवाने के लिये केन्द्र द्वारा हर वर्ष इस उत्सव का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, विकास आयुक्त हथकरघा, नई दिल्ली, विकास आयुक्त हस्तशिल्प राष्ट्रीय पटसन बोर्ड, ट्राइफेड तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में देश के विभिन्न राज्यों के एक हजार से ज्यादा लोक कलाकार व शिल्पकार तथा व्यंजन के शिल्पी भाग लेंगे।
उन्होंने बताया कि उत्सव के दौरान रोजाना सुबह 12. बजे हाट बाजार प्रारम्भ होगा जहा शिल्पकार कलात्मक वस्तुओं के प्रदर्शन के साथ-साथ उसका बेचान भी करेंगे। हाट बाजार में ही लोक कलाकारों द्वारा विभिन्न थड़ों पर कला प्रस्तुतियाँ दी जावेंगी। उन्होंने बताया कि उत्सव में 23 व 24 दिसम्बर को बंजारा रंगमंच पर भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की युवा प्रतिभा लोक कला पुरस्कार योजना की राजस्थान राज्य की प्रतियोगिताएँ होंगी। इसी मंच पर 25 से 29 दिसम्बर तक ‘‘हिवड़ा री हूक-यानि दिल चाहता है..’’ में आगंतुकों को कला प्रदर्शन के लिये मंच उपलब्ध करवाया जायेगा। इसी मंच पर सांस्कृतिक प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी होगा। उत्सव में रोजाना शाम 6 बजे से मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा।
उत्सव के पहले दिन 21 दिसम्बर को विशेष कोरियोग्राफ कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम की कोरियोग्रीफी प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्मश्री बंसी कौल द्वारा की जावेगी।
श्री सिंह ने बताया कि उत्सव में 21 से 23 दिसम्बर तक बाई मेजेयी (नागालैण्ड), शास्त्रीय नृत्य ऑडीसी, गोटीपुवा, संबलपुरी (ऑडीशा), चेराव (मिजोरम), लाय हरोबा, थांग-ता, पुंग चोलम (मणिपुर), छाऊ (झारखण्ड), खोलवादन (पश्चिम बंगाल), लेबांग बुमिनी (त्रिपुरा), ढाल थुंगरी, बारदोई सिकला व लोक वाद्य (असम), पारंपरिक परिधान प्रदर्शन.
24 व 26 दिसम्बर बस्तर फोक बैण्ड (छत्तीसगढ़), वाद्य वंृद (आंध्र प्रदेश), दक्षिण भारत के शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम, कथकली, मोहिनी अट्टम, कुचीपुड़ी, माधुरी, लम्बाड़ी (तेलंगाना), लावणी (महाराष्ट्र), गणगौर (मध्य प्रदेश), वीर वीरई नटनम् (पुद्दुचेरी), पूजा कुनीथा (कर्नाटक), मलखम्भ (महाराष्ट्र)
27 व 28 दिसम्बर कथक, रौफ़ (जम्मू कश्मीर), छपेली (उत्तराखण्ड), जब्रो व फ्लॉवर(लदाख), भांगड़ा व गिद्दा (पंजाब), मयूर (राजस्थान), घूमर (हरियाणा)
29 से 30 दिसम्बर भपंग, कालबेलिया, चरी (राजस्थान), बिहू (असम), पुंग चोलम, स्टिक (मणिपुर), सिंगारी (ऑडीशा), भांगड़ा, गिद्दा (पंजाब), मेवासी (गुजरात), नटुवा (पश्चिम बंगाल), झंकार तथा वाद्य फ्युजन (महाराष्ट्र) कला शैलियाँ आमंत्रित की गई हैं।
पहले दिन 21 दिसम्बर को 3 बजे बाद प्रवेश निःशुल्क
उन्होंने बताया कि उत्सव के पहले दिन 21 दिसम्बर को दोपहर 3.00 बजे बाद लोगों के लिये प्रवेश निःशुल्क होगा। परिवहन विभाग द्वारा शहर से शिल्पग्राम हेतु आवागमन के लिये विभिन्न रूटों पर परमिट जारी किया जा रहा हैं। शिल्पग्राम उत्सव के दौरान लोगों के शिल्पग्राम आने जाने के लिये एक तरफा यातायात व्यवस्था रहेगी। चार पहिया वाहन बड़ी छोर से तथा दा पहिया वाहन रानी रोड छोर से प्रवेश कर सकेंगे।
इस वर्ष इस उत्सव का आयोजन एक नये कलेवर के साथ हो रहा है। उत्सव, त्यौहार और पर्व भारत की संस्कृति का अभिन्न अंग है। ये ही ऐसे अवसर हैं जब लोग एक साथ एक जगह एकत्र हो कर आपसी प्रेम, सद्भाव और भातृत्व भाव से नृत्य, संगीत, गायन, वादन से अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं। ‘‘शिल्पग्राम उत्सव-2019’’ की मुख्य विषयवस्तु (थीम) ऐसी अवधारणा को दृष्टिगत रखते हुए निर्धारित की गई है ताकि समृद्ध कला विरासत और संस्कृति के माध्यम से भारत की एकता और श्रेष्ठता को विश्व पटल पर रख कर ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ का वास्तविक स्वरूप विश्व के सम्मुख प्रस्तुत कर सकें।
हमारी लोक कलाएँ, शिल्प परंपराएँ, हमारा खान-पान, हमारा पहनावा, आभूषण यहां तक कि हमारे आचार और विचार हमें एक सूत्र में बांधे रखने में सक्षम हैं। यही तत्व ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ के मूल मंत्र भी हैं। ऐसे ही विचार को कलाओं और शिल्प कलाओं के रूप में ‘‘शिल्पग्राम उत्सव’’ का आयोजन 21 दिसम्बर से 30 दिसम्बर 2019 तक किया जा रहा है।
भारत सरकार का संस्कृति मंत्रालय निरन्तर इस प्रयास में हैं कि सांस्कृतिक और रचनात्मक आयोजनों के माध्यम से एक प्रांत की कलाओं और कलाकारों को अन्य प्रांतों में कला प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध करवा कर देश वासियों अपने देश की वैविध्यपूर्ण संस्कृति से रूबरू करवा सके। इसके लिये भारत के सभी राज्यों का अन्य राज्यों के साथ सांस्कृतिक बंधन अथवा जोड़ा बनाया गया है। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान का सांस्कृतिक बंधन पश्चिम बंगाल व असम से है, गुजरात का छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र का ऑडीशा, गोवा का झारखंड, केन्द्र शासित प्रदेश दमण व दीव का पुद्दूचेरी से बंधन (पेयरिंग) किया गया है। शिल्पग्राम उत्सव में इन प्रांतों के कलाकारों व शिल्पकारों के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों के कुल 800 कलाकार और शिल्पकार भाग लेंगे।
प्रमुख आकर्षण
उत्सव के लिये शिल्पग्राम परिसर को नया स्वरूप दिया गया है। पूरे परिसर को पारंपरिक परिवेश में सजाया गया है। शिल्पग्राम परिसर की सज्जा को एक नये कॉन्सैप्ट के साथ सजाया गया है। वहीं मुक्ताकाशी रंगमंच की सज्जा को पुरा महत्व के प्रासाद के आहते का स्वरूप प्रदान किया गया है।
पार्किंग क्षेत्र का विस्तार
केन्द्र द्वारा इस वर्ष पार्कंग क्षेत्र का विस्तार किया गया है जिसमें 150 वाहन अधिक पार्क किये जा सकेंगे। पार्किंग का सुव्यवस्थित किया गया है जिससे कि लोगों को असुविधा न हो।
शिल्पग्राम उत्सव के कार्यक्रमों की परिकल्पना भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2020-2024 के अनुसार की गई है। ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’’ में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के सदस्य राज्यों की पेयरिंग (जोड़े) अन्य राज्यों से की गई है। उत्सव के पहले तीन दिन अर्थात 21-23 दिसम्बर की अवधि में पूर्वी भारत तथा पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की कलाओं को शामिल किया गया है। 24-26 दिसम्बर की अवधि में दक्षिण भारत, 27-28 दिसम्बर को उत्तर भारत तथा 29-30 दिसम्बर को पश्चिम भारत की लोक संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
शिल्प कलाओं में इस बार आदिवासी क्षेत्रों की शिल्प कलाओं पर केन्द्रित हाट बाजार होगा। इसमें विशेषकर पूर्वोत्तर भारत के राज्यों की शिल्प कलाएँ प्रमुख हैं।
हाट बाजार को 9 शिल्प क्षेत्रों में सजाया गया है। हाट बाजार के स्टॉल्स को ग्रामीण परिवेश अनुसार रखा गया है तथा इसमें शिल्पकार अपने उत्पादों को भलिभाँति सजा कर प्रदर्शित कर सकेगा।
हाट बजार में शिल्पकार शिल्प कला का सृजन करते हुए नज़र आयेंगे।
शिलपग्राम उत्सव में पहली बार बैलगाड़ी को शामिल किया गया है। उत्सव के दौरान एक गाडुलिया लोहार परिवार को आमंत्रित किया गया है जो यहां रहने के साथ-साथ अपने उत्पाद परंपरानुसार बनाते नज़र आयेंगे। बैंकों के माध्यम से सुव्यवस्थित टिकिट विक्रय सुविधा की गई है जिससे कि आगंतुकों को शिल्पग्राम में प्रवेश में असुविधा ना हो। शिल्पग्राम परिसर को ‘‘नो प्लास्टिक क्षेत्र’’ घोषित किया गया है। उत्सव के दौरान प्लास्टक/पॉलीथीन की थैलियाँ वर्जित रहेंगी। इसके अलावा शिल्पग्राम को ‘‘धूम्रपान मुक्त क्षेत्र’’ बनाया गया है। शिल्पग्राम परिसर में धूम्रपान वर्जित होगा।
स्वच्छता पर रहेगा विशेष फोकस
उत्सव के दौरान स्वच्छता पर विशेष फोकस रहेगा। आगंतुकों से भी ये अपेक्षा रहेगी वे इसमें सहयोग करें। उत्सव में लोगों को विभिन्न प्रकार के खान पान जिसमें पारंपरिक व अन्य प्रकार के व्यंजन उपलब्ध हो सकेंगे। यातायात व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया जावेगा। लोगों से अपेक्षा है कि वे सार्वजनिक यातायात का प्रयोग करें। उत्सव के सभी डिजाइन कार्यों के लिये उदयपुर के चित्रकार अनुराग मेहता द्वारा विभिन्न स्क्ैच केन्द्र को उपलब्ध करवाये गये है। इनके इस सहयोग के लिये केन्द्र उनके प्रति आभार व्यक्त करता है।


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